आंध्र प्रदेश के पशुचिकित्सकों को सर्जरी की नई तकनीक सिखा रहा आईवीआरआई

बरेली , 22 मार्च । आईवीआरआई छोटे बड़े पशुओं की सर्जरी के नये कीर्तिमान गढ़ रहा है। देश और विदेश के पशु चिकित्सक बरेली आकर सर्जरी की नई तकनीक को सीख रहे हैं। आईवीआरआई में आंध प्रदेश के 15 पशुचिकित्साधिकारियों को पांच दिवसीय ” हैण्डस ऑन ट्रेनिंग ऑन “सॉफ्ट टिशू सर्जरी इन एनीमल्स” का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। पशुओं के लीवर, आंत, पथरी, हर्निया मूत्र मार्ग, बच्चे दानी तथा अन्य अंगों की शल्य चिकित्सा सिखाई जाएगी । आईवीआरआई विभिन्न प्रकार की विशेष तकनीकों के बारे में आंध्र प्रदेश के पशु चिकित्सकों को सिखा रहा है। जिससे वह सीमित संसाधनों में अपने क्षेत्रों में जाकर पशुओं की शल्य चिकित्सा कर ठीक कर सकेंगे। इस अवसर पर एक कंपेडियम का भी विमोचन किया गया ।
सोमवार को आईवीआरआई में प्रशिक्षण सत्र के उद्घाटन समारोह को सम्बोधित करते हुए संस्थान की संयुक्त निदेशक (केडराड) डा. के. पी. सिंह ने कहा कि पशुओं के रोग का इलाज करते समय हमें बहुत सी बातों का ध्यान रखना होता है जैसे पशु का सेंपिल सही तरीके से लेना तथा सेंपिल को सही लैब या प्रयोगशाला में भेजना बहुत जरूरी है तभी प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर रोगी पशु के उपचार का तरीका निकाला जाता है । डॉ सिंह ने आगे बताया की आईवीआरआई में पूरे देश से सेंपिल आते हैं तथा संस्थान विधिवत जांच कर अपनी रिपोर्ट देता है। उन्होने कहा की यह ट्रेनिंग फील्ड में कार्य करने वाले पशु चिकित्सकों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि पशुओं की छोटी-छोटी बीमारियों की शल्य चिकित्सा डिस्पेन्सरी लेवेल पर भी कर सकेंगे ।

पाठ्यक्रम निदेशक तथा रेफॅरल पॉलीक्लीनिक के प्रभारी डा अमरपाल ने बताया कि आईवीआरआई ने शल्य चिकित्सा की ऐसी तकनीक विकसित की है जिनसे पशु चिकित्सक दूर दराज एवं ग्रामीण क्षेत्रों में भी सीमित साधनों के साथ सर्जरी कर किसानों को लाभ पहुंचा सकते हैं। प्रशिक्षण कार्यक्रम में जनरल सर्जरी से संबन्धित समस्याओं पर विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा जिससे पशु चिकित्सकों के आत्मविश्वास स्तर को बढ़ाया जा सके । उन्होंने आगे बताया की पाठ्यक्रम को इस तरह से डिजाइन किया है की जनरल सर्जरी से संबन्धित सभी विषयों का इसमें समावेश किया गया है ।
इस अवसर पर शल्य चिकित्सा विभाग के विभागाध्यक्ष डा. मुजम्मल हक ने शल्य चिकित्सा विभाग के बारे में बताते हुये कहा कि यहाँ पशुओं फैक्चर एवं शल्य चिकित्सा सम्बन्धी सभी तरह की सुविधायें मौजूद हैं। विभाग द्वारा कई फैक्चर सम्बन्धी डिजाइन एवं पैटेन्ट हासिल किये हैं। विभाग को भारतवर्ष में पशुरोगों के निदान एवं शल्य चिकित्सा के लिए जाना जाता है। पाठ्यक्रम सह समन्वयक डॉ अभिजीत पावड़े ने भी पाठ्यक्रम के बारे में बताया ।
कार्यक्रम का संचालन पाठयक्रम समन्वयक डा. रोहित कुमार द्वारा किया गया। धन्यवाद ज्ञापन पाठ्यक्रम डा. अभिषेक सक्सेना ने किया। बरेली से ए सी सक्सेना की रिपोर्ट

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