आंध्र प्रदेश के पशुचिकित्सकों को सर्जरी की नई तकनीक सिखा रहा आईवीआरआई
बरेली , 15 मार्च । आईवीआरआई छोटे बड़े पशुओं की सर्जरी के नये कीर्तिमान गढ़ रहा है। आई वी आरआई टूटे फूटे पशुओं की सर्जरी कर फिक्सेटर, प्लेट और राड डालने वाला देश का पहला संस्थान है। देश और विदेश के पशु चिकित्सक बरेली आकर सर्जरी की नई तकनीक को सीख रहे हैं। आईवीआरआई में आंध प्रदेश के 15 पशुचिकित्साधिकारियों को पांच दिवसीय ” हैण्डस ऑन ट्रेनिंग ऑन “फ्रेक्चर मेनेजमेंट इन एनीमल्स” की क्लास दी जा रही है। आईवीआरआई के विशेषज्ञों के पास टूटे फूटे लंगड़ाते हुए पशु आते हैं और सर्जरी के बाद दौड़ते हुए चले जाते हैं। आईवीआरआई इस विशेष तकनीक के बारे में आंध्र प्रदेश के पशु चिकित्सकों को सिखा रहा है। इससे वह सीमित संसाधनों में अपने क्षेत्रों में जाकर पशुओं के फ्रेक्चर को ठीक कर सकेंगे।
कल आईवीआरआई में प्रशिक्षण सत्र के उद्घाटन समारोह को सम्बोधित करते हुए संस्थान की संयुक्त निदेशक (प्रसार शिक्षा) डा. रूपसी तिवारी ने कहा कि यह गरिमामयी संस्थान 134 वर्ष से भी अधिक पुराना है। संस्थान ने पशुओं की चार महत्वपूर्ण बीमारियों रिण्डरपेस्ट, अफ्रीकन हॉर्स सिकनेस, डौरीन आदि के उन्मूलन में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया है। उन्होंने कहा कि मोबाइल एप से किसानों एवं पशुपालकों काफी उपयोगी जानकारी दी जा रही हैं। संस्थान में ऑन लाइन पॉलीक्लीनिक ऐप लांच किया है। इसमें पशुओं की किसी भी तरह की बीमारी के सम्बन्ध में ऑनलाइन डाक्टरों से परामर्श लेने की सुविधा है। यूटयूब पर पशु रोग से सम्बन्धित जानकारी परक वीडियो डाले गये है।ं वह पशुपालकों एवं पशु चिकित्सकों के लिए बहुत उपयोगी हैं। संयुक्त निदेशक, शैक्षणिक डा एस के मेंदीरत्ता ने कहा कि आंध्र प्रदेश का पशुपालन विभाग अपने पशुचिकित्साधिकारियों को समय-समय पर नवीन तकनीकियों तथा जानकारियों के लिए प्रोत्साहित करते रहते हैं। कार्यक्रम का संचालन पाठयक्रम समन्वयक डा. रोहित कुमार द्वारा किया गया। धन्यवाद ज्ञापन पाठ्यक्रम सह समन्वयक डा. अभीजीत पावडे़ ने किया। इस अवसर पर डा. अभिषेक सक्सेना, डा. रेखा पाठक, डॉ उज्जवल डे थे।
आईवीआरआई ने तैयार की सर्जरी की नई तकनीक
पाठ्यक्रम निदेशक तथा रेफॅरल पॉलीक्लीनिक के प्रभारी डा अमरपाल ने बताया कि पशुओं के फ्रेक्चर होने और टूटने पर पहले घाव सड़ जाते थे। पहले प्लास्टर की व्यवस्था थी। आईवीआरआई ने गाय, भैंस, घोड़ा, भेड़, बकरी, कुत्ता, बिल्ली समेत जानवरों की सर्जरी करने के लिए फिक्सेटर, प्लेट और राड तैयार की हैं। इसकी मदद से पशु जल्दी स्वस्थ हो जाते हैं। इसके अलावा पश्ुाओं के कृत्रिम अंग भी तैयार किए हैं। प्रशिक्षण से कम से कम सुविधाओं के साथ चिकित्सक अपने क्षेत्र में प्रयोग कर सकें। उन्होंने कहा कि आज फ्रैक्चर काफी कॉमन होता जा रहा है जिसकी मुख्य वजह एक्सरसाइज न हो पाना तथा बड़ता हुआ ट्रैफिक है। शल्य चिकित्सा विभाग के विभागाध्यक्ष डा. मुजम्मल हक ने बताया कि पशुओं के फ्रेक्चर एवं शल्य चिकित्सा सम्बन्धी सभी तरह की सुविधायें मौजूद हैं। विभाग द्वारा कई फैक्चर सम्बन्धी डिजाइन एवं पैटेन्ट हासिल किये । बरेली से ए सी सक्सेना की रिपोर्ट