आई वी आर आई के प्रतिरक्षा अनुभाग में आयोजित दस दिवसीय कार्यशाला का समापन

बरेली , 24 दिसम्बर । भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के प्रतिरक्षा अनुभाग में आयोजित दस दिवसीय कार्यशाला का कल समापन हो गया । यह कार्यशाला विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार द्वारा प्रायोजित थी। इस अवसर पर भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) के संयुक्त निदेशक (शोध) डॉ. एस.के. सिंह ने मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए कहा कि यदि प्रशिक्षु अधिग्रहित ज्ञान और कौशल का अपने अपने क्षेत्रों में सही दिशा में प्रयोग करें तो इससे उनके अनुसंधान में काफी सुधार हो सकता है।
अपने अभिभाषण में संयुक्त निदेशक (शोध) डॉ. सिंह ने कहा कि युवा शोधकर्ताओं की आवश्यकता के अनुसार कार्यशाला का आयोजन किया गया था। उन्होंने इस कार्यशाला में लगभग 85 प्रतिशत महिला उम्मीदवारों की भागीदारी की सराहना की। इस अवसर पर कार्यशाला से संबन्धित कंपेडीयम का विमोचन भी किया गया ।
प्रतिरक्षा अनुभाग के प्रभारी डॉ. एस. दंडापत ने अपने स्वागत भाषण में युवाओं की शक्ति के बारे में बात की और कहा कि युवाओं के लिए इस तरह के प्रशिक्षण से उन्हें अपने शैक्षणिक एवं अनुसंधान कौशल में सुधार लाने में मदद मिलेगी और वे प्रौद्योगिकी विकास एवं राष्ट्र निर्माण में अपना बहमूल्य योगदान दे सकते हैं। उन्होंने इस कार्यशाला को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए प्रतिरक्षा अनुभाग और अन्य विषयों के संकायों, छात्रों और कर्मचारियों के प्रयासों की सराहना की।
कार्यशाला के आयोजक/संयोजक डॉ. मिथलेश सिंह ने प्रशिक्षण की संक्षिप्त रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए बताया कि देश के 09 राज्यों केरल, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के 20 स्नातकोत्तर/ पीएचडी छात्रों ने इस कार्यशाला में भाग लिया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान आईवीआरआई तथा आईआईटी, एम्स, एमएनएनआईटी और पंजाब विश्वविद्यालय जैसे अन्य संगठनों के संकायों द्वारा कुल 20 व्याख्यान और 24 व्यावहारिक कक्षाएं आयोजित की गईं। प्रशिक्षुओं को इन-विवो इमेजिंग सिस्टम, एसपीआर, रियल टाइम पीसीआर, फ्लो साइटोमीटर, बीएसएल-3, स्कैनिंग इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप और कन्फोकल माइक्रोस्कोप जैसे उच्च अंत उपकरणों से भी अवगत कराया गया। इस कार्यशाला के दौरान प्रशिक्षुओं को संस्थान की अन्य सुविधाओं जैसे एनएलवीएस, रेफरल पशु पॉलीक्लिनिक, एलएआर और आईवीआरआई संग्रहालय को देखने का भी अवसर प्राप्त हुआ ।
डा. सिंह ने आगे बताया कि इस कार्यशाला में एंटीबाडीज उत्पादन, शुद्धिकरण और इसके चरित्र निर्धारण, अत्याधुनिक तकनीकों/अनुमोदनों का उपयोग करते हुए टीकाकरण और संक्रमण के प्रति प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का मूल्यांकन, आधुनिक रोग निदान तकनीक और अन्य उन्नत अनुसंधान प्लेटफार्मों से संबंधित विषयों को शामिल किया गया।
प्रशिक्षण भागीदारों ने सभी व्‍याख्‍यान और व्‍यावहारिक कक्षाओं में बहुत ही उत्‍साह के साथ भाग लिया। कार्यशाला के अंत में प्रशिक्षुओं का मूल्यांकन किया गया और प्रदर्शन के आधार पर सर्वश्रेष्ठ तीन प्रतिभागियों को हाईमीडिया द्वारा सम्मानित किया गया।
डॉ. एस. बिंदू, पीएचडी छात्र ने समापन कार्यक्रम का संचालन किया और डॉ. आर. सरवनन, वरिष्ठ वैज्ञानिक, प्रतिरक्षा अनुभाग ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा। कार्यक्रम में संस्थान के अन्य वैज्ञानिक डॉ. रविकांत अग्रवाल, डॉ. कौशल, डॉ. यू. के. डे, डॉ. अशोक, डॉ. श्यामा लतीफ एवं प्रतिरक्षा अनुभाग के छात्र तथा कर्मचारी उपस्थित रहे। बरेली से ए सी सक्सेना ।

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