आई वी आर आई में 21दिवसीय वित्त पोषित शीतकालीन पाठयक्रम का शुभारम्भ
बरेली , 26 जनवरी । भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के पशु जैव प्रौद्योगिकी विभाग में 21 दिवसीय भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली द्वारा वित्त पोषित शीतकालीन पाठ्यक्रम का शुभारंभ हुआ। इस शीतकालीन पाठ्यक्रम में तमिलनाडु, असम, केरल, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र एवं मणिपुर से 25 वैज्ञानिक एवं शिक्षक भाग ले रहे हैं । इस अवसर पर पाठ्यक्रम से संबन्धित एक कंपेडियम का विमोचन भी किया गया ।
कार्यक्रम के शुभारंभ के अवसर पर मुख्य अतिथि संस्थान के पूर्व निदेशक एवं कुलपति डॉ राजकुमार सिंह ने अपने उदबोधन में सभी प्रतिभागियों से इस ट्रेनिंग प्रोग्राम का अधिकाधिक लाभ लेने का आह्वान किया और यह भी अपेक्षा की की सभी प्रतिभागी आईवीआरआई से अपने ज्ञान को बढ़ाने के साथ-साथ आगे शोध की संभावना पर भी विचार करेंगे और एंटीबायोटिक के विकल्प के रूप में विभिन्न मॉलिक्यूल की खोज करने हेतु शोध योजनाओं का संचालन करेंगे ।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि, केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान इज्जतनगर के निदेशक डॉ अशोक कुमार तिवारी ने कुक्कुट के क्षेत्र में प्रयोग में लाए जाने वाली विभिन्न टेक्नोलॉजी का विवरण दिया एवं यह भी बताया कि एंटीबायोटिक्स के अधिक उपयोग के कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती जा रही है और बहुत से एंटीबायोटिक कारगर सिद्ध नहीं हो रहे हैं इसीलिए नए विकल्प ढूंढने की आवश्यकता है।
संस्थान निदेशक एवं कुलपति डॉ त्रिवेणी दत्त ने कार्यक्रम कि अध्यक्षता करते हुए कहा कि आईवीआरआई की बायोसेंसर प्रयोगशाला में शोध करने की समुचित उपकरण मौजूद हैं और इसका लाभ प्रतिभागियों को अवश्य मिलेगा।
पाठ्यक्रम निदेशक, डॉ समीर श्रीवास्तव ने अतिथियों का स्वागत किया एवं वर्तमान परिपेक्ष में एंटीबायोटिक के अधिकाधिक उपयोग के कारण होने वाली समस्याओं की जानकारी दी। उन्होंने बताया की बहुत से जीवाणुओं ने वर्तमान में प्रयोग में लाई जाने वाली एंटीबायोटिक्स से अपने आप को बचाने के लिए प्रतिरोधक क्षमता बना ली है यही कारण है कि बहुत सी दवाई कारगर साबित नहीं होती हैं और इसलिए एंटीबायोटिक के विकल्प के रूप में एंटीमाइक्रोबियल पेप्टाइड्स पर शोध कार्य निरंतर किया जा रहा है इस दिशा में यह कार्यशाला एंटी एंटीमाइक्रोबियल पेप्टाइड्स को बनाने और उनको प्रयोग में लाने के लिए प्रशिक्षण देने हेतु आयोजित की जा रही है।
इस शीतकालीन पाठ्यक्रम का उद्घाटन हाइब्रिड मोड में किया गया और अनेकों वैज्ञानिकों और छात्रों ने ऑनलाइन माध्यम से अपनी भागीदारी सुनिश्चित की। संस्थान के बेंगलुरु और मुक्तेश्वर कैंपस के प्रभारी एवं संयुक्त निदेशक और वैज्ञानिकों ने भी इस प्रोग्राम में ऑनलाइन माध्यम से भाग लिया। इस अवसर पर कंपेडियम का भी विमोचन किया गया जिसमें एंटीबायोटिक प्रतिरोध से लड़ने के लिए विभिन्न वैकल्पिक विषयों पर चर्चा की गई है। यह पाठ्यक्रम वन हेल्थ की दिशा में एक यूनिक कार्यक्रम है जिसमें की पशु चिकित्सा विज्ञान के साथ-साथ मत्स्य पालन एवं पादप विज्ञान विषयों के वैज्ञानिक भी शिरकत कर रहे हैं। इन वैज्ञानिकों को अगले 21 दिनों तक विभिन्न तकनीकों की जानकारी के साथ-साथ संस्थान के मुक्तेश्वर कैंपस का भी भ्रमण कराना प्रस्तावित है।
उद्घाटन समारोह में सेवानिवृत्त वैज्ञानिक डॉ सतीश कुमार जी का भी सम्मान किया गया जिन्होंने की कई वर्षों तक अपनी सेवाएं दी और सिंथेटिक पेप्टाइड के एरिया में अनेकों विद्यार्थियों को उनके मास्टर्स और पीएचडी प्रोग्राम के लिए गाइड किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ सोनल सक्सेना कोर्स कोऑर्डिनेटर ने किया और कार्यक्रम में संस्थान के सभी संयुक्त निदेशक, कुलसचिव, नोडल अधिकारी एवं विभागाध्यक्षों ने भाग लिया। बरेली से ए सी सक्सेना की रिपोर्ट