इस गांव में 250 साल से नहीं मन रही होली, वजह जानकर आप हो जाएंगे हैरान
देश इस समय होली (Holi) के रंग में है. होली आने में अभी तीन दिन का समय हो लेकिन इसका खुमार सिर चढ़कर बोल रहा है. होली बिहार का भी सबसे अहम पर्व है. इसे मनाने देश के कोने-कोने में बसे बिहारी घर आते हैं लेकिन आज हम आपको बता रहे हैं बिहार के एक ऐसे गांव की कहानी जहां 250 साल से होली नहीं मनाई (Bihar Holi Ban Village) जा रही.
बिहार का ये गांव मुंगेर जिले में साजुआ गांव. यहां 250 साल से होली नहीं मनाई जाती. लोगों का मानना है कि होली मानने से गांव में विपदा आती है, इसलिए यहां रहने वाले लोग रंगों के त्योहार से दूर रहते हैं. मुंगेर जिला मुख्यालय से 55 किलोमीटर दूर असरगंज के इस गांव में होली अभिशाप मानी जाती है. गांव में करीब 2000 लोग रहते हैं, लेकिन कोई भी होली नहीं मनाता. मान्यता है कि पूरे फागुन में इस गांव के किसी घर में अगर पुआ या छानने वाला कोई पकवान बनता है या बनाने की कोशिश की जाती है तो उस परिवार पर कोई विपदा आ सकती है.
होलिका दहन के दिन मौत से जुड़ा मिथक
इस गांव को लोग सती गांव भी कहते है. ग्रामीण गोपाल सिंह बताते हैं कि लगभग 250 साल पहले इसी गांव में सती नाम की एक महिला के पति का होलिका दहन के दिन निधन हो गया था . कहा जाता है कि सती अपने पति के साथ जल कर सती होने की जिद करने लगी, लेकिन ग्रामीणों ने उसे इस बात की इजाजत नहीं दी. सती अपनी जिद पर अड़ी रही. लोग उसे एक कमरे में बंद कर उसके पति के शव को श्मशान घाट ले जाने लगे, कहते हैं कि इसी बीच एक घटना घट गई.
सती माता के नाम पर बना मंदिर
लोग चचरी पर लाद कर ज्योंही आगे बढ़ते शव चचरी से गिर जाता. तब लोगों ने सती को भी श्मशान घाट तक ले जाने का फैसला किया. श्मशान घाट पहुंचने पर चिता तैयार की गई. कहा जाता है कि चिता पर बैठते ही अपने आप उस चिता में आग लग गई. उसके बाद कुछ गांव वालों ने गांव में सती का एक मंदिर बनवा दिया और सती को सती माता मानकर पूजा करने लगे. तब से गांव में होली नहीं मानती.
फागुन बीतने के बाद होलिका दहन
गांव की एक महिला शोभा देवी ने बताया कि इस गांव के लोग फागुन बीत जाने के बाद 14 अप्रैल को होलिका दहन मनाते हैं. हम होली नहीं मनाते हैं. हमारे पूर्वजों के समय से ही ऐसी रीत चली आ रही है. और अगर कोई इस पूरे माह में पुआ या छानकर बनाया जाने वाला पकवान बनाने की कोशिश करता है तो उसके घर में खुद ब खुद आग लग जाती है. कहा यह भी जाता है कि इस तरह की घटनाएं कई बार हो चुकी हैं. गांव के चंदन कुमार ने बताया कि हमारे गांव में कोई होलीमनाने की कोशिश नहीं करता. हमारे गांव में सभी जाति के लोग हैं लेकिन कोई होली नहीं मनाता. जो परंपरा चली आ रही है उसे सब मानते हैं.