उमेशपाल हत्याकांड: दो बार आराम देने वाली झाँसी में ही अतीक अहमद को मिला जिन्दगी का सबसे बड़ा सदमा, मिट्टी में मिला माफिया का लाडला
झांसी: गुजरात के साबरमती जेल में बन्द माफिया अतीक अहमद को प्रयागराज न्यायालय में पेशी पर लाने के दौरान उसका काफिला दो बार झांसी में रुका। 1300 किलोमीटर के इस दहशत भरे सफर में एक झांसी ही थी, जहाँ उसने सुकून की सांस ली और जान का भय कम हुआ, लेकिन माफिया को नहीं पता था कि उसे आराम देने वाली धरती ही उसे जिन्दगी का सबसे बड़ा गम दे जाएगी।
गुरुवार को एसटीएफ ने झांसी की धरती पर ही इस माफिया के लाडले को मिट्टी में मिला दिया। गुजरात के साबरमती जेल में बन्द चल रहे अतीक अहमद को पहली बार 30 मार्च को प्रयागराज में पेशी पर ले जाया गया। पुलिस उसे सड़क मार्ग से लेकर आई। इस दौरान अतीक की गाड़ी पलटने की चर्चाएं हवा बन गईं।
सुबह झाँसी से करीब 100 किलोमीटर पहले अतीक की गाड़ी सड़क पर गाय से टकरा गई और पलटते-पलटते बची। चूंकि इसी तरह की घटना में पिछले दिनों विकास दुबे का एनकाउण्टर हुआ था, इसलिए गाड़ी के टकराते ही माफिया डॉन के पसीने छूट गए थे, लेकिन कुछ ही पल में गाड़ी दौड़ने लगी और झाँसी पहुँच गई।
दहशत की रात बीत चुकी थी, इसलिए झांसी आकर अतीक ने राहत की साँस ली। दूसरी बार 12 अप्रैल को अतीक फिर पेशी पर जाने के लिए साबरमती जेल से निकला। दहशत इस बार भी वैसी ही थी, लेकिन झांसी पहुँचकर अतीक ने फिर महसूस किया कि अब उसकी जान बच गई है।
दोनों बार अतीक ने यहाँ सवा घण्टे से अधिक समय गुजारा और आराम किया, लेकिन तब उसे नहीं पता था कि उसकी जान बख्श्ने वाली झांसी उसे इतना बड़ा सदमा देगी। गुरुवार को अतीक अहमद प्रयागराज की न्यायालय में था, ठीक उसी समय झांसी में उसके बेटे का पुलिस एनकाउंटर कर रही थी।
अतीक को पहली बार गुजरात के साबरमती जेल से प्रयागराज ले जाते समय उसके काफिले के पीछे अतीक की बहन, बहू और भांजी भी दो अधिवक्ताओं के साथ एक गाड़ी में चल रहे थे। काफिले को झांसी के पुलिस लाइन में ठहराव दिया था। इस दौरान अतीक की बहन ने बयान दिया था। उसे भय सता रहा था कि कहीं उसके भाई का एनकाउंटर न कर दिया जाए, जिसको लेकर वह उसके काफिले के पीछे-पीछे चल रहीं थी। इसके साथ ही अतीक ने भी गाड़ी पलटने और एनकाउंटर की आशंका जतायी थी।