एस आर एम एस रिद्विमा में नाटक ‘कथा एक कंस की ‘ का मंचन

बरेली , 01 मई । एसआरएमएस रिद्धिमा में कल दया प्रकाश सिन्हा द्वारा लिखित और एकलव्य थिएटर देहरादून द्वारा प्रस्तुत नाटक ‘कथा एक कंस की’ का मंचन हुआ। इसमें कंस की मानसिक वेदना एवं व्यक्तित्व में तनावपूर्ण परिवर्तन को दर्शाया गया। हम सब कंस के व्यक्तित्व को नकारात्मक तौर पर जानते है, लेकिन इस कृति में यह दर्शाया गया है, कि व्यक्ति जन्म से नकारात्मक नहीं होता, बल्कि स्थितियां एवं मानसिक उत्पीड़न ही किसी व्यक्ति को नकारात्मकता की और ले जाती है। कंस अधिकांश समय अपनी सखी स्वाति के साथ वन में व्यतीत करता है, स्वाति और कंस एक दूसरे से बहुत प्रेम करते है। कंस को शास्त्रों से अधिक रूचि संगीत और वाद्य यंत्रों में है। किन्तु कंस का यह कोमल स्वाभाव उसके पिता उग्रसेन को पसंद नहीं। उग्रसेन कंस को बार बार व्यंग बाण से व्यथित करते है कि तुम राजपुरुष होकर स्त्रियों की तरह क्यों हो ? क्यों तुम्हें शस्त्रों में रूचि नहीं ? उग्रसेन कंस का इतना मानसिक उत्पीड़न करते हैं कि कंस के अंतर्मन में उनके प्रति प्रतिशोध की भावना आ जाती है, और एक दिन कंस मगध नरेश जरासंध की सहायता से अपने पिता को बंदी बनाकर मथुरा साम्राज्य का अधिपति बन जाता है। जिसके बदले उसे जरासंध की बेटी अस्ति से विवाह करना पड़ता है। इसी बीच कंस की बहन देवकी का विवाह कंस के मित्र वसुदेव से होता है। इसके अवसर पर एक आकाशवाणी होती है, “देवकी का आठवां पुत्र कंस का विनाश करेगा”। कंस आकाशवाणी से भयभीत होकर नवविवाहित देवकी और वसुदेव को बंदी गृह में डाल देता है। समय बीतता है किन्तु श पिता का अट्ठाहस और वो आकाशवाणी कंस को विचलित करती है, वो रात- रात भर अपनी हत्या के डर से सो नहीं पाता। वो इसी मकड़ जाल में सभी संबंध तोड़ देता है। यहां तक कि उसे अब अपनी सबसे विश्वसनीय स्वाति पर भी भरोसा नहीं। वह सभी को अपने निजी स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करता है। मानसिक द्वंद में छटपटाता हुआ कंस बहुत अकेला पड़ जाता है और मानवीय संवेदनाओं और संबंधों से दूर नितांत गहराई में जाते कंस के साथ ही नाटक खत्म हो जाता है।
अखिलेश नारायण ने कंस की भूमिका में बेहतरीन अभिनय किया। साथ ही प्रद्योत का किरदार भी निभाया। शालिनी चौहान (देवकी), शैलेष कुशवाहा (वसुदेव), हेमलता पांडे (बाल कंस), सुमित ध्रुवा गौढ़ (उग्रसेन), जय सिंह रावत (प्रलंब), जागृति संपूर्ण (स्वाति), चिराग बहल (बाहुक), गौरव गुप्ता (प्रतिहारी 1), हिमांशु कोटनाला (प्रतिहारी 2) ने भी अपनी भूमिकाओं के साथ न्याय किया। इस मौके पर एसआरएमएस ट्रस्ट के संस्थापक व चेयरमैन देव मूर्ति जी, आदित्य मूर्ति जी, आशा मूर्ति जी, ऋचा मूर्ति जी, एयर मार्शल (सेवानिवृत्त) डा.एमएस बुटोला, डा. प्रभाकर गुप्ता, डा.अनुज कुमार सहित शहर के गणमान्य लोग मौजूद रहे। बरेली से ए सी सक्सेना की रिपोर्ट

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