कई करोड़ के 50 शय्या वाले इस एकीकृत आयुष अस्पताल में बूंद-बूंद पानी को तरस रहे लोग, 2 साल बाद भी नहीं हो पाया पेय जल का इंतजाम-साबित हुआ छलावा
सोनभद्र,जनपद के संत कीनाराम विद्यालय के पीछे लोढ़ी में 7 करोड़ की लागत से बना 50 बेड वाला एकीकृत आयुष, होमियोपैथी, यूनानी चिकित्सालय मरीजों सहित डॉक्टरों के लिए भी पानी की व्यवस्था न होने के कारण बहुत ही कष्टकारी हो रहा है। यहां पर आए मरीज और उनके परिजन बूंद-बूंद पानी को तरसते हैं। इस अस्पताल का लोकार्पण 22 दिसम्बर 2021 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कर चुके हैं लेकिन इसमें आज तक इलाज के मुकम्मल इंतजाम नहीं हो पाए।निर्माण करने वाली कार्य दायी संस्था ने यहां बिल्डिंग खड़ी करके अपना कार्य पूरा समझ लिया, पानी के लिए निर्माण के पूर्व जल निगम के विशेषज्ञों द्वारा पानी की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं करायी गयी और बाद में पानी नहीं मिलने पर अपना हांथ खड़ा कर भाग खड़े हुए, आज तक किसी की कोई जिम्मेदारी निर्धारित नहीं की गई परिणाम स्वरूप आज भी अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों, डॉक्टरों सहित अस्पताल के सभी कर्मचारियों को पीने का शुद्ध पानी भी नसीब नहीं हो रहा है है।सभी को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। आलम ये है कि अस्पताल में कार्यरत चिकित्सक और कर्मी घर से पानी की थोड़ा बहुत व्यवस्था करके पहुंचते है जबकि मरीजों को अस्पताल के बाहर कुछ दूर बाजार से खरीद कर पानी पीना पड़ता है
सोनभद्र के एकीकृत आयुष, होमियोपैथी, यूनानी चिकित्सालय में पानी का भीषण संकट है। यहां मरीज मौजूद डॉक्टर और अस्पताल कर्मचारी भी पेयजल की व्यवस्था न होने से परेशान हैं। टैंकर द्वारा पानी की सप्लाई होती है लेकिन वह पानी पीने योग्य नहीं होता है, अस्पताल में न तो फिल्टर की व्यवस्था है और न ही आरओ की।
7 करोड़ की लागत से बना 50 बेड वाला आयुष होम्योपैथिक, यूनानी चिकित्सालय मरीजों के लिए बहुत ही कष्टकारी साबित हो रहा है। यहां पर आए मरीज और उनके परिजन बूंद-बूंद पानी को तरसते हैं।
इस अस्पताल के लिए 800 फीट का एक बोरिंग किया गया था, लेकिन ड्राई एरिया के साथ-साथ पहाड़ी क्षेत्र होने के चलते बोर सफल नहीं हुआ और पानी नहीं मिल सका। इस अस्पताल में आयुर्वेदिक, होम्योपैथी और यूनानी पद्धति से इलाज होता है और सैकड़ों मरीज प्रतिदिन यहां इलाज के लिए आते हैं। यहां आए हुए मरीजों ने बताया कि इस अस्पताल में पानी की एक बड़ी समस्या है। बीमार होने के बावजूद भी बाजार का पानी न खरीद सकने की क्षमता वाले लोग टैंकर का गंदा पानी पीने के लिए विवश हैं।
वहीं अस्पताल में इलाज कराने आए मरीज़ों ने बताया कि एकीकृत आयुष चिकित्सालय में बोरिंग सफल न होने के कारण पानी की बेहद किल्लत रहती है। इसके चलते मरीजों और उनके परिजनों को पानी के लिए भटकना पड़ रहा है, लेकिन अस्पताल प्रबंधन या तो इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है, या बेबस है।परिणामस्वरूप मरीजों और परिजनों सहित सभी को पानी के लिए भटकना पड़ रहा है। टैंकरों के माध्यम से अस्पताल में पानी सप्लाई की जा रही है, जो पीने के योग्य नहीं है।
आयुष अस्पताल के चिकित्सा अधिकारियों ने बेबसी से बताया कि यहां पानी की विकराल समस्या है। हम लोग घर से पानी लेकर आते हैं लेकिन वह खत्म हो जाता है। यहां टैंकर का गंदा पानी ही सभी लोग पीते हैं और टैंकर तीसरे दिन ही आता है।वहां उपस्थित सभी लोगों ने पत्रकारों और जिलाधिकारी से हाथ जोड़कर निवेदन किया कि कृपया इस अस्पताल में पीने के पानी की व्यवस्था जल्द से जल्द करवाएं।
वहीं आयुष अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक राजेश सिंह चंदेल से बात करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने इस मुद्दे पर अधिकृत रूप से बात करने से साफ इंकार कर दिया। उन्होंने अपना नाम न छापने की शर्त पर अपनी मज़बूरी ज़ाहिर करते हुए कहा कि इस मुद्दे को आप लोग ही उठाइये क्योंकि जब इस मुद्दे पर सवाल उठते हैं तो समस्या के समाधान की जगह मुझसे ही सवाल-जबाव किया जाता है।
रवीन्द्र केसरी सोनभद्र