कमिश्नर और नगरआयुक्त ने घंटाघर, गांधी उद्यान के सौंदर्यीकरण का लिया जायजा
बरेली। बरेली का घंटाघर धरोहर और आधुनिक तकनीक का अदभुत समागम है। सालों से थमी घंटाघर की टिक टिक करती सुइयों की आवाज अब दोबारा सुनाई देने लगी है। कुतुबखाना की फिजाओं में वही 32 साल पुरानी घंटाघर की सदाएं गूंजने लगी हैं। जिनसे कभी रमजान के महीने में सहरी और इफ्तार के वक्त का पता चलता था। घंटाघर की घड़ी की आवाज सुनकर लोग सुबह के वक्त मंदिर जाया करते थे। पूजा और घंटियों का नाद होता था। बरेली में 1975 में कुतुबखाना के पास घंटाघर का निर्माण कराया गया था। कुछ सालों में घंटाघर की घड़ी से लोगों की दिनचर्यां चलने लगी थी, लेकिन पिछले 32 सालों से घंटाघर की सुइयों को अव्यवस्थाओं के वक्त ने थाम लिया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर तेजी से स्मार्ट बन रहे बरेली में नगर निगम ने 87 लाख रुपये से घंटाघर की धरोहर का आधुनिक तकनीक से जीर्णोद्धार करवाकर उसे और सुंदर बना दिया है। उस ऐतिहासिक पहचान को आधुनिक स्वरूप देकर यादों को जीवंत कर दिया है। घंटाघर के ऊपरी हिस्से में आटोमेटिक डिजिटल घड़ी लगाई गई है। एक बार बंद होने के बावजूद डिजिटल घड़ी का टाइम आटो सेट हो जाता है। घंटाघर के प्रांगण में रंग बिरंगी फाउंटेन वाली मनमोहक लाइटें आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं। कमिश्नर संयुक्ता समद्दार और नगर आयुक्त निधि गुप्ता ने घंटाघर और गांधी उद्यान का जायजा लिया। कैनोपी के साथ लंड स्केपिंग और भव्य लाइटिंग में घंटाघर अपनी अदभुत, सतरंगी छटा बिखेरते हुए लोगों को आकर्षित कर रहा है । बरेली से ए सी सक्सेना ।