कष्ट दूर करे पन्ना
हल्के हरे रंग का रत्न पन्ना दिखने में काफी अच्छा लगता है। इसे अधिकतर दक्षिण महानदी, हिमालय और गिरनार के आस-पास प्राप्त किया जा सकता है। ज्योतिष के अनुसार, इसे धारण करने वाला व्यक्ति बहुत भाग्यशाली होता है। पन्ना कई प्रकार का होता है और इसके अलग-अलग गुण और प्रभाव हैं।
आमतौर पर पन्ना के 5 प्रकार देखने को मिलते हैं। एक पन्ना दिखने में तोते के पंख के जैसे रंग का होता है, जबकि दूसरा पानी के रंग जैसा यानी की रंगहीन होता है। तीसरा सरेस के फूलों जैसा और चौथा मयूरपंख जैसा होता है। इसी तरह इसका पांचवां प्रकार है हल्के संदुल पुष्प के जैसा। यह काफी नरम पत्थर होता है और काफी महंगा भी है। लिहाजा इसके मूल्य को रंग, रूप और चमक के साथ वजह के आधार पर तय किया जाता है। पन्ना के मूल्य की बात करें, तो यह आमतौर पर 500 रुपए कैरेट से शुरू होता है और 5 हजार रुपए कैरेट तक बिकता है। इसे धारण करने वाला व्यक्ति कई मुश्किलों को आसानी से हल कर लेता है। यह रोग निरोधक क्षमता को बढ़ाता है, साथ ही बलवर्धक भी माना जाता है।
कभी न पहनें सुनहरा पन्ना : पन्ना बुध ग्रह का रत्न है। इसीलिए अगर जातक के 6, 8, 12 घर का स्वामी बुध हो, तो पन्ना पहनने से अचानक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। अगर बुध की महादशा चल रही है और बुध 8वें या 12वें भाव में बैठा है, तो पन्ना पहनने से समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
चुनिए विकल्प : पन्ना कीमती रत्न है, जिससे सभी खरीदने में सक्षम नहीं होते। इसलिए इसके विकल्प के तौर पर जातक एक्वा मरीन, हरे रंग का फिरौजा धारण कर सकते हैं। ये सभी पन्ना की अपेक्षा कम मूल्य पर उपलब्ध हैं। यदि हरे रंग का अकीक मिल जाए, तो उससे भी काम चल सकता है। पन्ना के साथ मूंगा और मोती कभी न धारण करें।
क्या होते हैं फायदे : पन्ना अत्यंत गुणकारी रत्न है। इसको धारण करने से चित्त की अशांति, मन की विकलता मिटती है, छात्रों की बुद्धि तीक्ष्ण होती है। रोगियों के लिए यह बलवर्धक एवं आरोग्यकारक होता है। जिस घर में पन्ना होता है वह घर धन-धान्य से परिपूर्ण रहता है। प्रेम बाधा शांत होती है तथा सर्प भय का नाश होता है। पन्ना धारण करने वाले पर जादू-टोने का असर नहीं होता। यदि प्रतिदिन सुबह पन्ना को जल में 5 मिनट रखकर, उस पानी से आंख धोएं, तो नेत्र रोग नहीं होते। गर्भवती इस रत्न को कमर में बांध ले, तो शीघ्र प्रसव होता है।
ऐसे पहनें : पन्ना बुधवार को चांदी की अंगूठी में जड़वाकर धारण करना चाहिए। इसका वजन 3 रत्ती से कम नहीं होना चाहिए। इसे विधिपूर्वक उपासना करने के बाद ‘ओम बुं बुद्धाय नम:Ó मंत्र का नौ हजार बार जप करके किसी शुक्ल पक्ष के बुधवार को सूर्य उदय के 2 घंटे बाद धारण करना चाहिए।