किसानों का ध्यान खरीफ की फसलों की बुवाई एवं रोपाई की तरफ जाए इसके पूर्व बीजशोधन एवं भूमिशोधन का कार्य करना उचित

 


सोनभद्र, जिला कृषि रक्षा अधिकारी श्री जनार्दन कटियार ने किसान भाइयों का ध्यान खरीफ की फसलों की बुवाई एवं रोपाई की तरफ आकृष्ट कराते हुए अवगत कराना है कि फसलों के बुवाई से पूर्व बीजशोधन एवं भूमिशोधन का कार्य करना उचित होगा क्योंकि बीजशोधन करने से बीज के साथ सलग्न रोगों के बीजाणु एवं कीटो के अण्डाणु एवं लार्वा नष्ट हो जाते है। भूमिशोधन से पूर्व भूमि की गहरी जुताई करने पर भूमि में पाये जाने वाले रोगों के बीजाणु एवं कीटो के अण्डाणु एवं लार्वा भी नष्ट हो जाते है। अंतिम जुताई के समय निम्न विधियों से भूमिशोधन करें। उन्होंने बताया कि दीमक के प्रकोप की सम्भावना होने पर व्यूवेरिया बसियाना 2.5 किग्रा० प्रति हे० की दर से 60-70 किग्रा० गोबर की सड़ी खाद में मिला कर प्रयोग करें अथवा क्लोरपायरीफॉस 20 प्रतिशत 2 से 3 लीटर प्रति हे0 की दर से भूमिशोधन करना चाहिए। अरहर उर्द, मूंग एवं मूंगफली की फसल को जड़ सडन एवं उकठा रोग से बचाव हेतु 2.5 किग्रा ट्राइकोडरमा को 60-70 किग्रा0 गोबर की सड़ी खाद में मिला कर प्रयोग करें। धान की फसल को झोका रोग (ब्लास्ट) से बचाव हेतु स्यूडोमोनास फ्लोरीसेंस द्वारा 500 ग्राम हेक्टेयर की दर से भूमिशोधन कर लेना चाहिए। यदि धान रोपाई के समय 2.5 से 3.0 किग्रा ट्राइकोडरमा प्रति हेक्टयर भूमि शोधन करें तो फसल में हरदिया रोग नही लगेगा और फसल अच्छी होगी। धान की फसल को मिथ्या कण्डुआ बचाव हेतु बीज शोधन 4 ग्राम प्रति किग्रा बीज ट्राइकोडरमा या कार्वेन्डाजिम 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम अथवा थीरम 3 ग्राम प्रति किलोग्राम की दर से बीजशोधन करने से फायदा अवश्य होगा क्योकि बीजशोधन करने से कम खर्च में ही फसलों को रोगों से पूर्णतया
निजात मिल जाती है। धान की फसल में जीवाणु झुलसा (बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट) नियंत्रण हेतु 15 ग्राम स्ट्रप्टोमाइसिन सल्फेट 90 प्रतिशत़़ टेट्रासाइक्लीन हाइड्रोक्लोराइड 10 प्रतिशत के द्वारा बीजशोधन करें।

रवीन्द्र केसरी सोनभद्र

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