क्या रूस को जल्दी बदलना पड़ेगा इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में अपना स्पेस कैप्सूल?
नई दिल्ली. इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में रूस के स्पेस कैप्सूल में कूलेंट की लीक होने की घटना हुई थी. इसके कारण दो रूसी अंतरिक्ष यात्री अपनी नियमित स्पेसवॉक रोकनी पड़ी. जब वे स्पेसवॉक के लिए निकलने वाले ही थे तभी फ्लाइट कंट्रोलर्स ने पाया कि सुयोज अंतरिक्ष यान से कणों प्रवाह लीक हो रहा है. रूस की स्पेस एजेंसी रोसकोसमोस ने बताया कि इस लीक के कारण स्पेस स्टेशन से उसे अपने सदस्यों को निकालने की जरूरत नहीं होगी. लेकिन इसके बाद भी एजेंसी ने कैप्सूल को बदलने के लिए लॉन्चिंग के विकल्प को खुला छोड़ा है. लेकिन क्या वास्तव में रूस को इसकी जरूरत पड़ सकती है, यह भी एक सवाल है.
सुयोज एम 22 कैप्सूल को वापस पृथ्वी पर सुरक्षित लाया जा सकता है या नहीं इसके फैसला अगले महीने विशेषज्ञों का एक पैनल तय करेगा. पूरे विश्लेषण के बाद ही फैसला किया जाएगा कि क्या इस यान के खारिज करना चाहिए या फिर बदल देना चाहिए. रोसकोसमोस का कहना है कि अगला प्रक्षेपण वैसे तो मार्च में निर्धारित है, लेकिन उससे पहले भी किया जा सकता है अगर जरूरी हुआ तो.
इस लीक को नासा के एक लाइव वीडियो में स्पष्ट तौर पर देखा गया जिसमें सुयोज एम 22 कैप्सूल के पीछे के हिस्से से स्प्रे की तरह कण निकल रहे थे. देखने में ऐसा लग रहा था कि कोई तरल पदार्थ यान से निकल रहा है, नासा का कहना था कि यह संभवतः कूलेंट हो सकता है.
रोसकोसमोस और नासा दोनों का ही कहना है कि इससे स्टेशन के क्रू सदस्यों को किसी तरह का कोई खतरा नहीं है. रोसकोसमोस ने यह भी बताया कि इस लीक की वजह एक सूक्ष्मउल्कापिंड हो सकता है या फिर अंतरिक्ष के कचरे का टुकड़ा हो सकता है जो कैप्सूल के बाहरी रेडिएटर से टकरा गया होगा.
इस लीक की वजह से कैप्सूल के क्रू वाले हिस्सा का तापमान 30 डिग्री बढ़ गया होगा. बाद में कुछ आपातकालीन क्रियाओं के जरिए यह क्रू हिस्से वाला तापमान 40 डिग्री बढ़ने के बाद 30 डिग्री कम भी हो गया था. एजेंसी का कहना है कि यह कोई बहुत ही असामान्य या चिंताजनक स्थिति नहीं थी. और यान का कंट्रोल सिस्टम इससे अप्रभावित ही रहा था.
कैप्सूल की सतह पर लगे कैमरे के जरिए की गई पड़ताल से पता चला कि लीक कहां से हुआ है. इस यान के जरिए प्रोकोपयेव पेटेलिन और नासा के यात्री फ्रैंक रूबियो स्पेस स्टेशन आए थे. इसी कैप्सूल के जरिए उन्हें मार्च में पृथ्वी पर वापस आना है. इसके लिए रोसकोसमोस का सुयोज एमएस23 पहले से ही कुछ परीक्षणों से गुजर चुका है.