जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मुख्यालय पर लगा विधिक जागरुकता शिविर
बरेली, 30 अप्रैल। उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण लखनऊ के आदेशानुसार तथा माननीय जनपद न्यायाधीश श्री विनोद कुमार अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के दिशा-निर्देशन में सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा समय-समय पर विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया जा रहा है, इसी क्रम मे कल जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के मुख्यालय एडीआर भवन पर विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया और मुख्यालय पर आए वादकारियों को शिक्षा के अधिकार के संबंध में विधिक जानकारी उपलब्ध कराई गई।
सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्री सौरभ कुमार वर्मा ने बताया कि भारत में 06 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने के लिए शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 लाया गया। शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 देश के बच्चों को अनिवार्य/जरुरी शिक्षा के अधिकार की गारंटी देता है। इस अधिनियम के तहत अब 06 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान की जा रही है। देश के 06 से 18 वर्ष की आयु के बच्चे शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 के तहत मुफ्त शिक्षा का अधिकार रखते हैं।
प्राधिकरण सचिव द्वारा बताया गया कि भारत ही नहीं विश्व के कई अन्य देशों में भी शिक्षा के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाया गया है। 02 दिसंबर, 2002 को संविधान का 86 वां संशोधन किया गया, जिसके तहत आर्टिकल/अनुच्छेद 21 ए के अनुसार शिक्षा को मौलिक अधिकार बनाया गया है। देश में 06 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने के लिए संसद द्वारा 04 अगस्त, 2009 को शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 को पारित किया गया था। आरटीई एक्ट- 2009 में 38 धाराएं और 7 अध्याय हैं। आरटीई एक्ट को 01 अप्रैल, 2010 को भारत में लागू किया गया। शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 की कोई भी बात वैदिक पाठशालाओं, मदरसों या ऐसे संस्थान जो धर्म से जुडी कोई शिक्षा प्रदान कर रहे हैं उनके लिए लागू नहीं होगी।
प्राधिकरण सचिव श्री सौरभ कुमार वर्मा ने बताया कि भारत सहित दुनिया में लगभग 135 देशों में शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के लागू होने से शिक्षा का अधिकार मौलिक है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 का उद्देश्य देश के अशिक्षित 06 वर्ष से 14 वर्ष के बीच के बच्चों को अनिवार्य शिक्षा प्रदान करना है। इस अधिनियम के द्वारा बच्चों को उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता और सशक्तिकरण के लिए प्रोत्साहित करना है और गरीब अशिक्षित बच्चों को बेसिक और मूल शिक्षा प्रदान करना है। गरीब बच्चों को निशुल्क प्रारंभिक शिक्षा का अधिकार देकर उनके विकास में सकारात्मक प्रभाव डालना है। बच्चों को उनकी उचित आयु में कक्षा में प्रवेश का प्रावधान शिक्षा का अधिकार अधिनियम- 2009 में किया गया है।
विधिक जागरूकता शिविर में मुख्यालय पर आए वादकारियों के साथ जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से श्री शुभेंद्र पाराशरी, श्री एहसान खान, श्री हेमेंद्र, मीडिएटर अधिवक्ता श्री राजेश शर्मा, श्री ओमकार सिंह रघुवंशी, पैरा लीगल वालंटियर श्री शुभम राय एवं श्री रजत कुमार सहित अन्य संबंधित अधिकारी उपस्थित रहे।
बरेली से ए सी सक्सेना की रिपोर्ट