धान की फसल में मिथ्या कण्डुआ के प्रकोप से रोकथाम हेतु किसानों को निम्न जानकारी आवश्यक
सोनभद्र,जिला कृषि रक्षा अधिकारी सोनभद्र ने अवगत कराया है कि जनपद में विगत वर्षो में धान की फसल में मिथ्या कण्डुआ का प्रकोप देखा गया है, इसके रोकथाम हेतु किसान भाइयों को निम्न जानकारी होना आवश्यक है।
रोग का कारणः-यह फफूद जनित रोग है जिसका कारक Ustilaginoide Virens नामक फफूंद है। इस रोग का प्राथमिक स्रोत मृदा है तथा वैकल्पिक स्रोत प्रकोपित बीज है। रोग की पहचानः- इस रोग के लक्षण बालियाॅं निकलनें के पश्चात ही परिलक्षित होते है। इस रोग के स्पोर हवा द्वारा फैलते है। मुख्यतः इस रोग का फैलाव पुष्पावस्था में होता है। प्रकोप के पश्चात धान की बाली के दाने पीले और काले रंग के आवरण से ढक जाते है, जिनको हाथ से छूने पर हाथ में पीले, काले अथवा हरे रंग के पाउडर जैसे रोग के स्पोर लग जाते है। कभी-कभी इस रोग के लक्षण बाली के कुछ ही दानों पर दिखाई पड़तें है। अनुकूल दशायेंः- उच्च सापेक्षिक आर्द्रता (90% से अधिक) के साथ साथ 25-35°C तापमान तथा पुष्पावस्था के दौरान छिटपुट वर्षा इस रोग के प्रकोप की अनुकूल दशायें है, इसके साथ ही अत्यधिक नाइट्रोजन युक्त उर्वरकों का प्रयोग इस रोग के फैलाव में सहायक है। पुष्पावस्था के दौरान हवाओं के चलने से इस रोग के स्पोर का फैलाव तेजी से होता है,रोग का प्रबन्धनः-खेत की मेड़ों और सिंचाई की नालियों को खरपतवारों से मुक्त रखें, जिससे रोग के कारक को आश्रय न मिल सकें, धान की अगेती एवं पछेती प्रजातियाॅं इस रोग से कम प्रभावित रहती है। मध्यम अवधि की प्रजातियाॅं इस रोग के प्रति अधिक संवेनशील है। उन्होंने बताया कि धान की अगेती एवं पछेती प्रजातियों का ही प्रयोग करें, यूरिया का संतुलित एवं खण्डों में प्रयोग करें, फसल की नियमित निगरानी करनी चाहिए, प्रकोप की सम्भावना के दृष्टिगत् स्यूडोमोनास फ्लोरिसेंस 5 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से 15-20 दिन के अन्तराल पर सुरक्षात्मक छिड़काव करना चाहिए, रोग के लक्षण दिखाई देने पर निम्न में से किसी एक संस्तुत फफूंदनाशकों का प्रयोग करना चाहिए, कापर हाइड्रोआक्साइड 53.8%DF 525 ग्राम, 500 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें, कापर हाइड्रोआक्साइड 77%WP 1 किग्रा, 750 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें, पिक आक्सीस्ट्रोबिन 7.05%+प्रापीकोनाजोल 11.7%SC, 200 ग्राम, 500 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव कर सकते हैं।
रवीन्द्र केसरी सोनभद्र