बाल कल्याण समिति कर रही गुमशुदा बच्चों को परिवार से मिलाने का प्रयास
रायबरेलीः विगत चार साल से बिछड़े नाबालिग बालिका को बाल कल्याण समिति रायबरेली द्वारा परिजनों से मिलाया गया। जानकारी के अनुसार बालिका सविता बाल कल्याण समिति (पिछले सत्र) रायबरेली द्वारा 15.09.2017 को गांधी सेवा निकेतन बालगृह बालिका में आवासित थी। पिछले चार वर्षो से अज्ञात बालिका अपने परिजनों से बिछुड़ गई थी। इसकी जानकारी नहीं होने के कारण बच्ची बालगृह में ही आवासित है। कई बार काउंसिलिंग करने के बाद बच्ची अपने घर का पता बता पाई। इसके बाद बाल कल्याण समिति रायबरेली ने काफी प्रयास किया गया। बालिका के माता पिता उत्तर प्रदेश के हाजीपुर (रायबरेली) की रहने वाली है। बच्ची के माता पिता मजदूरी करते हैं बच्ची भटककर कहीं चली गई थी उस समय अल्पआयु होने के कारण वह अपने घर व माता पिता के सम्बंध में कुछ नहीं बता पा रही थी।
उक्त नाबालिग बालिका की गुमशुदगी की सूचना पर बाल कल्याण समिति द्वारा बालक की खोजबीन करने विभिन्न बाल गृहों एव बालिका से जानकारी लेने का प्रयास किया गया। उक्त बालिका उत्तर प्रदेश के हाजीपुर (रायबरेली) जिले में होने की जानकारी प्राप्त हुई। बाल कल्याण समित रायबरेली के अध्यक्ष ओजस्कर पाण्डेय एवं सदस्य मिलिंद द्वेदी के प्रयास से बालिका को अपने परिवार में मिलाया गया। समिति द्वारा किशोर न्याय (बालकों के देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2015 अधिनियम 2 सन 2016 के तहत बालक के सर्वोत्तम हितों को ध्यान में रखते हुए उसे परिजनों को सुपुर्द किया गया। इसकी पुष्टि के लिए बच्ची से माता लक्ष्मी से वीडियो कॉल से कराई गई। वीडियो कॉल के माध्यम से हुई इस बातचीत में बालक ने अपनी मां को पहचान लिया।
मां से बात करने के बाद बालक की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। जानकारी के अनुसार सविता जो 15.09.2017 को बाल कल्याण समिति ने बाल गृह बालिका में आवासित किया गया था। जिस संबंध में बाताया गया कि बालिका आज्ञात है। जबकि आज की जांच के बाद जानकारी मिली कि बालिका का घर हाजीपुर थाना गुरूबक्शगंज है। बालिका के पिता का नाम बसंत गौतम (पुत्र चंपा लाल गौतम) है जो असम में ईंट भट्ठा पर काम करता है। माता लक्ष्मी है जो अपने घर में रहकर ही मजदूरी का काम करती है। सविता के एक भाई राज व बहन पूजा है जो दोनों सविता से छोटी हैं।
बच्ची की जानकारी मिलने के बाद बाल कल्याण समिति ने सर्वसमिति से निर्णय लिया है कि बच्ची सविता को घर भेजना युक्तिसंगत नहीं है। काल व परिस्थिति को देखते हुए सविता को 18 वर्ष तक बाल गृह में ही रखा जाए ततपश्चात बालिका को आफटर केयर में भेजकर उसे अपने पैरों पर खड़ा होने के हुनर व बालिका को विकास कौसल योजना से जोड़ा जाए ताकि बालिका कालांतर में अपने आपको संभाल सके।
दूसरी ओर बारपेटा असम की रहने वाली बालिका रिझी (गुमशुदा) जो असम के रहने वाली है जिसे हिंदी नहीं समझ आती थी इसके काफी प्रयास के बाद उक्त बालिका को बाल गृह में आवासित किया गया। काउंसिलिंग के बाद उक्त बच्ची अपने घर का पता बता पाई जो लखनऊ के तेलीबाग के पास मलिन बस्ती में रहती है। बाल कल्याण समिति रायबरेली की सदस्य पूनम सिंह के प्रयास से उक्त बालिका को अपना परिवार से मिल पाई। उसे मलिन बस्ती में बाल कल्याण समिति के सदस्य पूनम सिंह ने दो दिनों तक मलिन बस्ती में खोजने का काम किया जिससे उक्त बालिका के परिजनों की जानकारी मिल पाई। परिवारजनों को बाल कल्याण समिति रायबरेली के समक्ष उपस्थित होने के लिए बोला गया। बालिका रिझी के माता पिता और अन्य परिवारजनों के साथ उपस्थित हुए माता पिता को देखकर बालिका भावविभोर हो गई। बाल कल्याण समिति अपनी कार्यवाही के बाद बालिका को उसके परिवारजनों को सुपुर्द कर दिया गया।
इसके अतिरिक्त बाल कल्याण समिति मा. उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन रिट पिटीशन चिल्ड्रन इन स्ट्रीट सिच्यूएशन के अनुपालन करते हुए चिन्हिकरण करते हुए भी कार्य कर रही है। इस अवसर पर जिला प्रोबेशन अधिकारी जय पाल वर्मा, बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष ओजस्कर पाण्डेय, सदस्य मिलिंद द्वेदी, पूनम सिंह, रूपा गुप्ता, राजेश्वरी सिंह एवं रामकरण यादव उपस्थित रहे।