मायावती की गुगली-गेस्ट हाउस कांड न होता तो सपा बसपा गठबंधन देश पर राज कर रहा होता
नगर-निकाय पर निगाह 2024 पर निशाना!
मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती 2024 का लोकसभा अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के साथ लड़ने के लिये ताना बाना बनाने लगीं। ऐसा कहने का आधार यह है कि रविवार को लखनऊ में बसपा प्रदेश मुख्यालय पर पार्टी के पदाधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक करते हुए पार्टी सुप्रीमो मायावती ने निशाना तो सपा और भाजपा दोनों पर साधा। किंतु यह कह कर कि “यदि सपा एहसान फरामोशी नहीं करती और 1995 में गेस्ट हाउस कांड ना होता तो आज यह गठबंधन देश पर राज कर रहा होता”।किंतु सपा की दलित व अति पिछड़ा विरोधी संगठन राजनीति तथा मुस्लिम समाज के प्रति छलावे ने से ऐसा संभव नहीं हो सका। सपा-बसपा के स्थिर पानी में कंकड़ मार दिया। बसपा सुप्रीमों के वक्तव्य का अपने-अपने तरीके राजनैतिक गलियारों में जिसकी अलग-अलग समीक्षा हो रही है। 1993 का विधानसभा चुनाव हो या 2019 का लोकसभा चुनाव सपा से गठबंधन के बाद सपा से ज्यादा फायदे में बसपा रही है। 2014 के लोकसभा चुनाव में मायावती का खाता नहीं खुला था। 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी सिमट कर 19 पर चली आयी। 2019 में सपा के साथ लड़ कर 10 लोकसभा सीटों पर कब्जा किया और 2022 के विधानसभा चुनाव में मात्र एक विधानसभा सीट जीत पायीं। इसी लिये मायावती ने नगर-निकाय चुनाव के पहले लोकसभा चुनाव 2024 का विसात बिछाना आरंभ कर दिया।बता दें कि जब 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा से उनका पुनः गठबंधन हुआ तो मायावती ने स्वयं पुरानी बातें भूलने की बात कही थी। नगर निकाय चुनाव में वह सपा को तगड़ा झटका देने की तैयारी कर रही हैं।जिससे 2024 के लोकसभा चुनाव में यदि गठबंधन साकार हुआ तो सीटों की मजबूत सौदेबाजी हो सके।माना जा रहा है कि हर बार सपा से गठबंधन में उनके दल को हुये फायदे की समीक्षा के सफलता ने फिर उनके में हलचल करने लगा है।
मायावती ने रविवार को प्रदेश कार्यालय पर राज्य भर से आये जिलाध्यक्षों व प्रादेशिक पदाधिकारियों से कहा कि निकाय चुनाव में सभी को मजबूती से जुट जाना है। लोग इस समय महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी और बदहाल कानून व्यवस्था से त्रस्त हैं। भाजपा इन सब मुद्दों पर फेल हो गई है।स्मार्ट सिटी केवल कागजों में हैं। महंगाई और गरीबी के कारण गांव तक में जनता की हालत खराब है।भाजपा की डबल इंजन की सरकार ने सब कुछ ठेके पर कर दिया है और इस ठेका प्रथा के चलते स्थाई नौकरी लोगों के लिए दूर का सपना हो गई है।पार्टी द्वारा आयोजित कार्यक्रम गांव गांव चलो अभियान ने बसपा को मजबूती दी है और लोगों तक लगातार अपनी आवाज पहुंचाते रहें। निकाय चुनाव में उम्मीदवारों का चयन सोच-समझकर किया जाएगा। उन्हीं लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी जो अपने क्षेत्र के लोगों के बीच रहते हैं।उनके कल्याण विकास में रुचि रखते हैं। उन्होंने कहा कि सपा का दलितों, अति पिछड़ों तथा बाबासाहेब आंबेडकर और कांशीराम के प्रति अचानक प्रेम बढ़ जाता है। यह समाज कभी भी इनका नहीं हो सकता क्योंकि 1995 में गेस्ट हाउस कांड में जो हुआ उसे सब जानते हैं।