मुजफ्फरनगर में रेलवे लाइन के तार चोरी करने वालों के खिलाफ बडी कार्यवाही की तैयारी, ठप्प हो गई थी ट्रेनें
नई दिल्ली. रोजाना लाखों लोग भारतीय रेलवे में सफर करते हैं और अपने गंतव्य स्थान पर पहुंचने के लिए ट्रेन की सुविधाओं का लाभ उठाते हैं. अलग-अलग कैटेगरी के लोग कीमत के अनुसार अपनी टिकट बुक करते हैं. जनरल डिब्बे से लेकर, स्लीपर व एससी कोच तक की सीटें फुल होती हैं. कई ट्रेनों में हाई क्लास कोच भी मौजूद हैं, जिसमें लोग सफर करना पसंद करते हैं. भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है और इसमें रोजाना लाखों लोग सफर पूरा करते हैं. फिलहाल, क्या आपने कभी इस बारे में सोचा है कि एक ट्रेन को बनाने की क्या कीमत हो सकती है.
ट्रेन में आपको बिजली, पानी, वॉशरूम, फैन, एसी जैसी सुविधाएं तो मिलती है, लेकिन आपको अंदाजा नहीं होगा कि ट्रेन का इंजन व कोच को बनाने में कितनी लागत आती है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारतीय रेल का एक इंजन तैयार करने में 15 से 20 करोड़ रुपये तक का खर्च आता है. इन ट्रेनों का निर्माण भारत में ही किया जाता है, इसलिए खर्च ज्यादा नहीं होता. मालूम हो कि भारतीय रेल के इंजन को बनाने के लिए दो तरीका है, एक- इलेक्ट्रिक और दूसरा- डीजल. जानकारी के मुताबिक, भारत में इस वक्त करीब 52 फीसदी ट्रेनें डीजल से चलती हैं.
डुअल मोड वाले लोकोमोटिव ट्रेन की कॉस्ट करीब 18 करोड़ रुपये है, जबकि 4500 एचपी डीजल लोकोमोटिव की कीमत करीब 13 करोड़ रुपये बताई गई है. वहीं, एक सामान्य पैसेंजर ट्रेन को बनाने के लिए 50 से 60 करोड़ रुपये का खर्च आता है, क्योंकि एक्सप्रेस ट्रेनों की तुलना में सुविधाएं कम होती हैं. एक्सप्रेस ट्रेन में कुल 24 कोच होते हैं और प्रत्येक कोच बनाने के लिए करीब 2 करोड़ रुपए की लागत आती है.
कोचों की कुल कीमत करीब 50 करोड़ और फिर 20 करोड़ का इंजन. दोनों को मिलाकर 70 करोड़ रुपए के करीब एक एक्सप्रेस ट्रेन तैयार होती है. हालांकि इनकी कीमत कोच की सुविधाओं के हिसाब से अलग-अलग होती है. जनरल और स्लीपर के मुकाबले एसी कोच महंगे होते हैं.