रूहेलखंड विश्वविद्यालय में मंडाला आर्ट की कार्यशाला का आयोजन

बरेली , 16 मार्च । महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग में मंडाला आर्ट की कार्यशाला का आयोजन हुआ जिसमे विभाग के विद्यार्थियों ने इस कला पद्धति की बारीकियों को समझा तथा विविध रूपों को दर्शाती मंडाला आर्ट कलाकृतियों को अपनी तूलिका से कागज पर उकेरा ।
शिक्षा विभाग में बी.एड. तथा एम. एड. कार्यक्रम के विद्यार्थियों के लिए डॉ कीर्ति प्रजापति के संयोजन में इस कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें बी.एड. कि छात्रा कृति सक्सेना ने इस कला की बारीकियों को सभी विद्यार्थियों को समझाया ।
कृति सक्सेना ने इस कला के बारे में बताया कि मंडाला भारतीय संस्कृति विशेष रूप से बौद्ध मत की विख्यात कला पद्धति है जिसमें संकेन्द्रीय वृतों के माध्यम से सुन्दर आकृतियाँ बनायी जाती हैं जिन्हें ईश्वर और विभिन्न शक्तियों का प्रतीक माना जाता है । वर्तमान समय में इसका उपयोग मुख्य रूप से ध्यान केन्द्रित करने के लिए किया जाता है, इसका ध्येय स्वयं को बाहर की दुनिया से निकालकर अपने स्वयं के अंदर प्रवेश कराने अर्थात स्वयं को जानने से है। इसमें जियोमेट्रिक पैटर्न का उपयोग मुख्यतः किया जाता है ।इस कला का उपयोग रंगोली सज्जा, आलेखन आदि में बहुतायत किया जाता है ।
इस अवसर पर शिक्षा विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो रश्मि अग्रवाल ने सभी विद्यार्थियों से कहा कि कला हमारे जीवन को कलात्मक बनाती है साथ ही हमें हमारे जीवन से भी परिचित कराती हैं कला के विवध रूप हमारे जीवन के विविध पक्षों को प्रकट करते हैं अतः हम सभी को अलग अलग प्रकार की कला पद्धतियों को सीखना और समझना चाहिए
कार्यशाला में सभी विद्यार्थियों ने मंडाला कला के चित्रण का भी अभ्यास किया तथा सुन्दर सुंदर आकृतियाँ कागज पर बनायी, कृति सक्सेना के द्वारा बनाई गयी कलाकृतियों को विभाग में प्रदर्शित भी किया गया जिसकी सभी ने सराहना की
इस अवसर पर प्रो संतोष अरोड़ा, प्रो के के चौधरी, डॉ प्रतिभा सागर, डॉ प्रवीण कुमार तिवारी, डॉ रश्मिरंजन, डॉ विमल कुमार आदि उपस्थित रहे अंत में संयोजक डॉ कीर्ति प्रजापति ने सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया ।

बरेली से ए सी सक्सेना की रिपोर्ट

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