विश्व तम्बाकू निषेध दिवस (31 मई) पर विशेष: धूम्रपान पहुंचाए स्वास्थ्य व पर्यावरण दोनों को नुकसान

लखनऊ, 30 मई-2022 । कैंसर और टीबी समेत कई गंभीर बीमारियों की प्रमुख वजह बीड़ी-सिगरेट व अन्य तम्बाकू उत्पादों का सेवन है। इतना ही नहीं इनका सेवन करने वाले खुद तो बीमारियों की गिरफ्त में आते ही हैं साथ ही वह अपने आस-पास रहने वालों और पर्यावरण को भी प्रभावित करते हैं। जब कोई धूम्रपान करता है तो बीड़ी या सिगरेट का धुआं पीने वाले के फेफडे़ में 30 प्रतिशत जाता है और आस-पास के वातावरण में 70 प्रतिशत रह जाता है, जिससे परिवार व इर्द-गिर्द रहने वाले प्रभावित होते हैं, जिसको परोक्ष धूम्रपान कहते हैं। तम्बाकू खाने वाले बार-बार इधर-उधर थूकते भी रहते हैं, जिससे वातावरण को भी बड़ा नुकसान पहुंचाते हैं। इसीलिए इस वर्ष विश्व तम्बाकू निषेध दिवस (31 मई) की थीम “आओ पर्यावरण की सुरक्षा करें’’ तय की गयी है। यह कहना है – स्टेट टोबैको कंट्रोल सेल के सदस्य व किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत का।

डॉ. सूर्यकांत का कहना है कि तम्बाकू के कारण 25 तरह की बीमारियां तथा लगभग 40 तरह के कैंसर हो सकते हैं, जिसमें प्रमुख हैं – मुँह का कैंसर, गले का कैंसर, फेफडे का कैंसर, प्रोस्टेट का कैंसर, पेट का कैंसर, ब्रेन ट्यूमर आदि। तम्बाकू के धुएं से 500 हानिकारक गैस एवं 7000 अन्य रासायनिक पदार्थ निकलते हैं, जिनमें निकोटीन और टार प्रमुख हैं। शोध में इनमें से 70 रासायनिक पदार्थ कैंसरकारी पाये गये हैं। सिगरेट की तुलना में बीड़ी पीना ज्यादा नुकसानदायक होता है। यही कारण है कि विश्व भर में होने वाली कुल मृत्यु में 50 प्रतिशत मौत का कारण धूम्रपान बन चुका है।

तम्बाकू से होने वाली प्रमुख बीमारियां :
ब्रॉन्काइटिस, एसिडिटी, टीबी, ब्लडप्रेशर, हार्ट-अटैक, फॉलिज, नपुंसकता, माइग्रेन, सिरदर्द, बालों का जल्दी सफेद होना। महिलायें गर्भावस्था के दौरान परोक्ष या अपरोक्ष रुप से धूम्रपान करती हैं तो उनके होने वाले नवजात का वजन कम होना, गर्भाशय में ही या पैदा होने के तत्काल बाद मृत्यु हो जाना व जन्मजात बीमारियाँ होने आदि का खतरा बना रहता है। तम्बाकू, बीड़ी, सिगरेट से कोरोना होने का भी खतरा बढ़ जाता है।

क्या कहते हैं आंकड़े :
जनरल एग्रीमेंट ऑन ट्रेड इन सर्विसेज के मुताबिक़ देश में करीब 27 करोड़ लोग तम्बाकू का सेवन करते हैं और करीब 12 करोड़ लोग धूम्रपान करते हैं। भारत में तम्बाकू के कारण प्रतिवर्ष लगभग 12 लाख लोग असमय काल के गाल में समा जाते हैं । ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे (2016-2017) के अनुसार भारत में तम्बाकू सेवन प्रारम्भ करने की औसत आयु 18.7 वर्ष है। इसके अलावा दुनिया में प्रतिवर्ष सिगरेट के उत्पादन के लिए करीब 60 करोड़ पेड़ काट दिये जाते हैं तथा 22 अरब लीटर पानी बर्बाद होता है। धूम्रपान से 84 करोड़ टन कार्बन डाईऑक्साइड पैदा होती है।

तम्बाकू छोड़ने में ही भलाई :
डॉ. सूर्यकान्त का कहना है कि बीड़ी-सिगरेट व अन्य तम्बाकू उत्पादों को छोड़ने के फायदे भी बहुत हैं। धूम्रपान बंद करने के 12 मिनट के भीतर उच्च हृदय गति और रक्तचाप में कमी आ सकती है । 12 घंटे बाद रक्त में मौजूद कार्बन मोनो आक्साइड सामान्य पर पहुँच जाएगा। दो से 12 हफ्ते में खून का प्रवाह और फेफड़ों की क्षमता बढ़ जायेगी। इस तरह जहाँ शरीर निरोगी रहता है वहीँ घर-परिवार की जमा पूँजी इलाज पर न खर्च होकर घर-परिवार को बेहतर माहौल प्रदान करने के काम आती है। तम्बाकू का सेवन प्रत्येक व्यक्ति के लिए नुकसानदायक है। योग एवं प्राणायाम भी तम्बाकू, बीड़ी, सिगरेट छोड़ने में सहायक होते है।

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