विश्व पर्यावरण दिवस: महत्वपूर्ण और उपयोगी परिचर्चा संपन्न हुई घोरावल में
सोनभद्र । विश्व पर्यावरण दिवस पर पर्यावरण, पर्यटन, परिस्थितिकी परिवेश पर संगोष्ठी संपन्न हुई घोरावल के रेंज कार्यालय परिसर में। मुख्य अतिथि जिलापंचायत सदस्य नीरज श्रीवास्तव ने मध्यप्रदेश सीमा से सटे उत्तरप्रदेश के इस सम्भाग के समूचे परिक्षेत्र को पर्यावरण परिधि से आच्छादित बताया और पर्यटन की इस इलाके में वृहद संभावनाएं जताई। अपने संबोधन में यहाँ के चर्चित मुख्खा जलप्रपात तक आवाजाही के लिए 2 करोड़ 32 लाख अपने प्रयास से सुलभ कराने की बात बताई और उत्तरप्रदेश के मीरजापुर एवं मध्यप्रदेश के सिंगरौली को स्पर्श करते ढढऊरा दरी फॉल पर गमनागमन व सुन्दरीकरण के बाबत दो करोड़ रुपये उपलब्ध करा दिए जाने की जानकारी दी। इस दीर्घ दायरे में प्राकृतिक सौंदर्य, पर्यावरण, प्रागैतिहासिक चित्रलिपियों की बहुतायत में उपलब्धता से सन्दर्भित विस्तृत जानकारी के साथ ही ऐसे प्रेरणादायक संगोष्ठियों को गाँव क्षेत्र तक सुदूर इलाकों में आयोजित कर जन – जन को जागरूक करने जोर दिया । भाजपा के जिला मंत्री कैलाश सिंह वैश्य ने पर्यावरण के अनछुए पहलुओं को भी बखूबी उठाया और जलसंकट की अहम समस्या एवं प्राकृतिक उपादानों की क्षीणता पर प्रकाश डाला।डॉ0 परमेश्वर दयाल पुष्कर ने वायु ,ध्वनि और जल प्रदूषण की विषम समस्याओं पर अहम विचार दिए और कहा कि उत्तराखंड विभाजन के बाद एकमेव सोनभद्र और खासकर घोरावल को पर्यटन के लिए आवश्यक प्राकृतिक सुषमा, ऐतिहासिक,धार्मिक, सांस्कृतिक धरोहरों और प्राचीन काल की अनेक थाती समेटे इस धरा को अतिशय महत्वपूर्ण बताया जहां पर्यावरण पर विशेष दृष्टि बनी रहे शासन प्रशासन की।कार्यक्रम आयोजक क्षेत्रीय वनाधिकारी सुरजू प्रसाद ने 14 लाख पौध तैयार कराने की बात कही और बताया कि ये पौधे जुलाई माह से वितरित और रोपित कराये जाएंगे जब कि विगत वर्ष 12 लाख पौधरोपण का कार्य सम्पूर्ण हुआ था। क्षेत्रीय वनाधिकारी ने इस निमित्त और भी कार्ययोजना संचालित करने की पूरी प्रक्रिया बताई और पर्यावरण पर अपने आख्यान दिए संगोष्ठी में।कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ समाजसेवी व क्षेत्र के कुशल किसान हिमांशु कुमार सिंह ने उक्त विषयक विशेष बातों के साथ ही खास तौर पर धरती पर बहुतायत उपयोग में लाए जा रहे उर्वरक डीएपी जैसे उर्वरकों के नकारात्मक प्रकृति के कारण उसकी जल संग्रहण क्षमता की शक्ति न बचने की वजह से वर्षा के जल नदियों में प्रवाहित होते जाने की बात कही और कहा कि पृथ्वी में जल संग्रह की ताकत पुनः बढ़े तभी जल नीचे जाएगा और जलस्तर नियंत्रित रहेगा। पर्यावरण पर उद्बोधन देने वाले अन्य वक्ताओं में राजेंद्र कुमार मानव, सुरेंद्र तिवारी, अमरेश चंद्र आदि रहे । कार्यक्रम का संचालन किया एडवोकेट इनामुल हक अंसारी ने।