G-20 की बैठक में पीएम मोदी और चीनी राष्‍ट्रपति के बीच मुलाकात संभव

नई दिल्‍ली: लद्दाख में चीन के घुसपैठ और गलवान हिंसा के बाद पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में उज्‍बेकिस्‍तान में मिल सकते हैं। दोनों नेताओं के बीच यह बैठक 3 साल के बाद होने जा रही है। इसके अलावा इंडोनेशिया में G-20 की बैठक में भी हिस्‍सा लेने के लिए शी जिनपिंग जाएंगे जहां पीएम मोदी से मुलाकात हो सकती है। इस बैठक के बीच अब भारतीय पक्ष को एक बड़ा डर सता रहा है कि कहीं इससे एक बार फिर से भारत-चीन संबंध फिर से बहाल न हो जाए और लद्दाख में चीन के घुसपैठ का मुद्दा किनारे लग जाए।

चीन की सेना अभी भी भारतीय पक्ष को कई इलाकों में गश्‍त लगाने से न केवल रोक रही है, बल्कि वहां कई बंकर और अन्‍य सैन्‍य किलेबंदी कर रही है। द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक भारत लगातार चीनी पक्ष से साल 2020 की स्थिति को बहाल करने पर जोर दे रहा है जिसे चीन अनसुना कर रहा है और स्थित‍ि को सामान्‍य दिखाने की कोशिश कर रहा है। जी-20 और शंघाई सहयोग संगठन दोनों ही संगठनों की बैठक में हिस्‍सा लेने के पीएम मोदी और शी जिनपिंग ने मंजूरी दी है। चीन पीछे हटने को तैयार नहीं है और यह दिखा रहा है कि वास्‍तविक नियंत्रण रेखा पर हालात ‘सामान्‍य’ है।

दुनिया में जाएगा हालात सामान्‍य होने का संदेश
पीएम मोदी अगर शी जिनपिंग से मिलते हैं तो दुनिया में यह संदेश जाएगा कि दोनों ही देशों के बीच हालात सामान्‍य हैं। इससे पहले चीन के विदेश मंत्री वांग यी जब नई दिल्‍ली आए थे तो भारत ने बहुत अनिच्‍छा से उनका स्‍वागत किया था। हालांकि भारत ने साफ कह दिया था कि वह चीन की सीमा मामले को ‘उचित स्‍थान पर रखकर’ संबंधों को सामान्‍य बनाने की मांग को स्‍वीकार नहीं करेगा। भारत लगातार सार्वजनिक रूप से चीन को कड़ा संदेश दे रहा है। इससे पहले गुरुवार को भारतीय विदेश मंत्रालय ने जर्मनी के राजदूत के उस बयान का समर्थन किया जिसमें उन्‍होंने कहा था कि चीन का अरुणाचल प्रदेश पर दावा ‘घृणित’ है।

जर्मनी के राजदूत ने यह भी कहा क‍ि एलएसी पर चीन की अतिक्रमण अंतरराष्‍ट्रीय कानूनों का उल्‍लंघन है। जर्मनी के राजदूत के इस बयान पर चीन बुरी तरह से भड़क उठा था। भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता ने कहा कि अंतरराष्‍ट्रीय समुदाय ने सीमा के मुद्दे पर भारत के रुख की समुचित प्रशंसा की है। वहीं पिछले कुछ दिनों में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने साफ तौर पर कई बार कह दिया है कि चीन द्विपक्षीय समझौतों का उल्‍लंघन कर रहा है। इस बीच चीन ने अमेरिका की सेना के साथ भारतीय सेना के चीन सीमा के पास अभ्‍यास की योजना पर कड़ी आपत्ति जताई है।

शी जिनपिंग के पास इस चीनी सेना की पूरी पकड़
इससे पहले पीएम मोदी और शी के बीच मुलाकातों को दोनों ही देशों के बीच रिश्‍तों में आए तनाव को कम करने का प्रयास माना जाता था। हालांकि अब ऐसा नहीं होता दिखाई दे रहा है। शी जिनपिंग के पास इस चीनी सेना की पूरी पकड़ है। माना जा रहा है कि चीनी सेना उन्‍हीं के इशारे पर लद्दाख में अपना हर कदम उठा रही है। यही वजह है कि समरकंद की बैठक को देखते हुए भारत फूंक-फूंककर कदम रख रहा है। शी जिनपिंग का कार्यालय पीएम मोदी के साथ मुलाकात की तैयारी कर रहा है। इससे पहले पीएम मोदी और शी के बीच अंतिम मुलाकात नवंबर 2019 में हुई थी।

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