अरविंद केजरीवाल को बनाया जाए पीएम पद का उम्मीदवार, जानिए AAP ने क्यों रखी ये मांग
नई दिल्ली। विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ (Alliance of opposition parties ‘India’) की मुंबई बैठक से पहले आम आदमी पार्टी (आप) ने केजरीवाल को पीएम उम्मीदवार बनाए जाने की मांग रख दी है। आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ (Priyanka Kakkar, national spokesperson of Aam Aadmi Party) ने कहा है कि आप के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया जाना चाहिए। उन्होंने इसको लेकर कई दलीलें दीं और यह भी बताया कि केजरीवाल पीएम बनते हैं तो देश में किस तरह के बदलाव आएंगे। इसके बाद केजरीवाल के मंत्री गोपाल राय ने भी कहा उनकी पार्टी चाहती है कि केजरीवाल को पीएम उम्मीदवार बनाया जाए।
न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत करते हुए आप की प्रवक्ता ने कई दलीलें दीं और कहा कि केजरीवाल पीएम के सामने चैलेंजर बनकर उभरे हैं। उन्होंने कहा, ‘आप मुझसे पूछेंगे तो मैं तो चाहूंगी कि अरविंद केजरीवाल हों पीएम उम्मीदवार। उसका तर्क है कि इतनी कमरतोड़ महंगाई में भी लगातार दिल्ली एक ऐसा राज्य है जहां सबसे कम महंगाई है। फ्री पानी मिलता है, फ्री अच्छी शिक्षा मिलती है। फ्री बिजली मिलती है। महिलाओं को फ्री यात्रा और बुजुर्गों को तीर्थ यात्रा मिलती है। इसके बावजूद एक मुनाफे का बजट पेश किया। अरविंद केजरीवाल लगातार जनता के मुद्दों को उठाते हैं। केजरीवाल पीएम मोदी के सामने चैलेंजर के रूप में उभरे हैं। चाहें डिग्री का मामला हो या कोई भी मामला हो केजरीवाल ने बहुत मुखर तरीके से अपनी बात उठाई है।’
प्रियंका कक्कड़ ने अपनी इच्छा जाहिर करने के साथ यह भी बता दिया कि केजरीवाल पीएम बनते हैं तो देश कितना बदल जाएगा। उन्होंने कहा, हमारा विजन है मेक इंडिया नंबर वन। हम चाहेंगे कि भारत में सामान बने। पीएम ने लाल किले से कहा था कि जब हम बाहर से सामान खरीदते हैं तो महंगाई भी इंपोर्ट हो रही है। यह इसलिए हो रहा है क्योंकि उनके पास इकॉनमिक विजन नहीं है। मैन्यूफैक्चरिंग माइनस में चली गई है। केजरीवाल के विजन के तहत भारत मैन्युफैक्चरिंग हब होगा, लाइसेंस राज खत्म होगा। व्यापारियों को बिजनेस का अच्छा मौका मिलेगा। जहां शिक्षा इतनी उच्चतम स्तर की होगी कि बच्चे आविष्कार करने की सोचेंगे। जहां कॉलेज ऐसे होंगे कि बाहर के लोग डॉलर खर्च करके पढ़ने आएंगे। हम ऐसा इंडिया चाहते हैं ना कि ऐसा कि जहां पर करीब 17 लाख करोड़ पूंजीपति मित्रों का माफ कर दिया गया, सोचिए इस पैसे से कितने राज्यों में मुफ्त बिजली मिल सकती थी।’