उत्तर प्रदेश

आईवीआरआई में इंटरफेस मीट के फॉलोअप हेतु बैठक का आयोजन

 

बरेली, 12 जून। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर में हिमाचल प्रदेश के राज्य पशुपालन विभाग के पशु चिकित्साधिकारियों के लिए ”पशु रोग और उत्पादन में अनुसंधान प्रवृत्तियों पर कार्यशाला“ और इंटरफेस मीट के फालोअप लिए बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में पशु चिकित्साधिकारियों को पशु स्वास्थ्य और उत्पादन में सुधार के लिए संस्थान द्वारा विकसित नवीनतम प्रगति और प्रौद्योगिकियों के बारे में जानकारी के साथ-साथ उनके ज्ञानवर्धन हेतु विभिन्न विषयों पर व्याख्यान भी दिया गया। इस कार्यक्रम में कुल 313 प्रतिभागियों ने सहभागिता की।

डॉ. संदीप रतन, उप निदेशक, पशुपालन विभाग, हिमाचल प्रदेश ने इस तरह की कार्यशाला एवं इंटरफेस आयोजित करने के लिए आईवीआरआई की की सराहना की, जो अनुसंधान संस्थान और अंतिम उपयोगकर्ता के बीच के अंतर को कम करने में सहायक होगा। उन्होंने कहा आईवीआरआई द्वारा विकसित तकनीकों से हमारे पशुचिकित्साधिकारियों को प्रक्षेत्र की समस्याओं के निवारण मे मदद मिली है। उन्होंने परस्पर सहयोग तथा वर्तमान परिस्थितयों पर समग्र स्वास्थ्य की दिशा में कार्य करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि वर्तमान बैठक, विभाग के पशु चिकित्सा अधिकारियों को निदान और उपचार में नवीनतम प्रगति के साथ अपने ज्ञान को ताजा करने का एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करेगा।

डॉ त्रिवेणी दत्त, निदेशक, आईवीआरआई ने अपने सम्बोधन में कहा कि संस्थान ने अपने ऐतिहासिक 134 वर्ष में कई पशु रोगों का उन्मूलन किया है जिसके लिए भारत सरकार द्वारा डाक टिकट भी जारी किया गया है। संस्थान द्वारा 13 टीकों सहित 46 प्रौद्योगिकियों को 159 उद्योगों को हस्तांतरित किया गया है। इसके अतिरिक्त संस्थान द्वारा 64 आईसीटी टूल विकसित किये है जिनका प्रयोग 134 देशों में 4 लाख से अधिक लोगों द्वारा किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त संस्थान ने एआई आधारित चैटवोट बनाया है जो डेयरी, भेड़ तथा बकरी पर आधारित है। ये आईसीटी टूल हमारे पशुचिकित्साधिकारियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। इसके अतिरिक्त डा. दत ने संस्थान के सम-विश्वविद्यालय द्वारा विभिन्न व्यावसायिक पाठ्यक्रमों और ऑनलाइन डिप्लोमा पाठ्यक्रमों तथा पाठ्यक्रमों के रूप में की गयी विभिन्न शैक्षणिक पहलों के बारे में भी जानकारी दी जिनका उपयोग पशुपालन में काम कर रहे विषय विषेशज्ञों की क्षमता निमार्ण के लिए किया जा सकता है।

इस अवसर पर संयुक्त निदेशक (प्रसार शिक्षा), डॉ. रूपसी तिवारी ने सभी गणमान्य व्यक्तियों और प्रतिभागियों का स्वागत किया। इस अवसर पर उन्होंने पिछली इंटरफेस बैठक में चिन्हित क्षेत्रों में आईवीआरआई द्वारा की गई कार्रवाई का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया। उन्होने कहा कि प्रतिभागियों से एकत्र की गई जानकारी से संकेत मिलता है कि बार-बार प्रजनन एवं बांझपन, चयापचय और पोषण सम्बन्धी कमी से होने वाली बीमारियां, थनैला, हीमो प्रोटोजोआ रोग, लैंटाना विषाक्ता, चारा और चारे से जुड़ी समस्यायें, ब्राहय परजीवी तथा कुछ क्षेत्रों में उच्च श्रेणी बुखार और तंत्रिका सम्बन्धी रोग पशु चिकित्सकों के सामने आने वाली सबसे आम समस्याएं हैं। इसके अतिरिक्त पशुओं के निदान और उपचार में आने वाली समस्यायें जैसे निदान किट की कमी, क्षेत्र स्तर पर सुस्ज्जित प्रयोगशाला का अभाव, तकनीकी स्टाफ की कमी, रिफ्रेशमेंट कोर्स की कमी, विभिन्न बीमारियों के लिए समान लक्षण जैसी समस्यायें भी पशु चिकित्सकों के लिए महत्वपूर्ण है।

इसके अतिरिक्त प्रतिभागियों ने निदान हेतु विभिन्न रोगों के लिए त्वरित निदान किट, हाल ही में रोग निदान विधियों में व्यावहारिक प्रशिक्षण, प्रयोगशाला रिपोर्ट के आधार पर रोग की स्थिति की व्याख्या, उपकरण और बुनियादी ढाँचा (अल्ट्रासाउण्ड, एक्स रे और रक्त ऑटो विश्लेषक आदि), मवेशियों और भैंसों के लिए प्रारंभिक गर्भावस्था निदान किट, कुछ प्रमुख मामलों का शीघ्र पता लगाने के लिए नैदानिक किट, बड़े जानवरों के लिए स्मार्ट पोर्टेबल लिफ्टिंग असेंबली, क्लिनिकल, प्रबंधन और दूध और दूध प्रसंस्करण में वर्तमान प्रगति के बारे में अपडेट के लिए ऐप में प्रशिक्षण प्राप्त करने की आवश्यकता जतायी।

इस अवसर पर दो तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया। प्रथम सत्र संस्थान के संयुक्त निदेशक शोध डा. एस.के. सिंह की अध्यक्षता में आयोजित किया गया जिसमें संस्थान के पशुपोषण विभाग के विभागाध्यक्ष डा. एल. सी चैधरी द्वारा ”पहाड़ी क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण चारा उत्पादन के लिए अपरंपरागत चारा संसाधनों का प्रभावी उपयोग“, पशु पुनरूत्पादन विभाग के विभागाध्यक्ष डा. एम.एच. खान द्वारा “ बांझपन और बार-बार प्रजनन करने वाले प्रजनकों की पहचान करना और उनके प्रबंधन की रणनीति बनाना“ तथा संस्थान के क्षेत्रीय परिसर कोलकाता के डा. एस बन्धोपाध्याय द्वारा “ रोगाणुरोधी प्रतिरोध के मुद्दे और रोगाणुरोधी प्रतिरोध को संबोधित करने में एथनो-मेडिसिन की भूमिका“ तथा क्षेत्रीय परिसर पालमपुर के डा. देवीगोपीनाथ द्वारा पालमपुर परिसर की अनुसंधान उपलब्धियों पर जानकारी प्रदान की गयी। दूसरे सत्र में पशु चिकित्सकों के द्वारा पूछे गये विभिन्न प्रश्नों का उत्तर संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा दिया गया।

कार्यक्रम का संचालन औषधि विभाग के वैज्ञानिक डॉ अखिलेश कुमार द्वारा किया गया जबकि धन्यवाद ज्ञापन पालमपुर केंद्र के वैज्ञानिक डा. अज्यता रियालच द्वारा किया गया इस अवसर पर संस्थान के संयुक्त निदेशक, कैडराड डा. के.पी. सिंह, संयुक्त निदेशक, शैक्षणिक डा. एस.के. मेंदीरत्ता, बंगलूरू परिसर के संयुक्त निदेशक डा. पल्लव चैधरी, मुक्तेश्वर के संयुक्त निदेशक डा. यशपाल मलिक, तथा कोलकाता स्टेशन के प्रभारी डा. अर्नब सेन तथा पालमपुर केन्द्र के प्रभारी डॉ गोरखमल, डॉ. यू . एस. पाती, डॉ. रिंकू शर्मा, डॉ. बीरबल, डॉ. गौरी जयरथ आदि मौजूद रहे । बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट