आज से शुरू हुआ नवजात शिशु देखभाल सप्ताह (15 से 21 नवंबर)
रायबरेली, 14 नवम्बर 2023
समुदाय को नवजात देखभाल के बारे में जागरूक करने तथा नवजात मृत्यु दर को कम करने के उद्देश्य से जनपद में 15 से 21 नवम्बर तक नवजात शिशु देखभाल सप्ताह मनाया जा रहा है | इस साल इस दिवस की थीम है – “नवजात जीवन की देखभाल- सामुदायिक एवं स्वास्थ्य इकाई की सहभागिता से” |
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. वीरेंद्र सिंह बताते हैं कि नवजात के बेहतर स्वास्थ्य के लिए स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक कार्यकर्ताओं तथा परिवार की भूमिका अहम होती है |इसके साथ ही नवजात के स्वास्थ्य की बेहतर देखभाल एवं नवजात मृत्यु को क्म करने के लिए अनेक कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं |
इस सप्ताह के आयोजन का उद्देश्य अधिक जोखिम वाली गर्भवती की पहचान एवं देखभाल, नवजात की आवश्यक देखभाल करने के संबंध में जनसमुदाय को जागरूक कर नवजात शिशु मृत्यु दर में कमी लाना, कम वजन के नवजात की ट्रेकिंग करना, प्रसव पूर्व जन्मे नवजात की देखभाल करना, जन्म के तुरंत बाद शीघ्र स्तनपान एवं छह माह तक केवल स्तनपान करणन एवं छह माह के बाद ऊपरी आहार के द्वारा बच्चों को कुपोषित होने से बचाना तथा नवजात का समय से टीकाकरण कराना है |
मुख्य चिकित्सा अधिकारी बताते हैं कि नवजात के बेहतर स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है प्रसव अस्पताल में ही कराएं तथा प्रसव के 48 घंटे बाद तक माँ और नवजात की देखभाल के लिए अस्पताल में ही रुकें | जन्म के तुरंत बाद नवजात का वजन लें और विटामिन के का इंजेक्शन लगवाएं |
शिशु तभी स्वस्थ रहेगा जब उसकी देखभाल सही तरीके से होगी |जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी डी एस अस्थाना बताते हैं कि इसके लिए आवश्यक है कि उसे बाहरी संक्रमण से बचाया जाए क्योंकि शिशु को संक्रमण होने की संभावना अधिक होती है | इसलिए पहले दिन से ही तीन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए |
सबसे पहले नवजात को संक्रमण से बचाने के लिए जरूरी है कि उसे शीघ्र स्तनपान कराएं | नवजात को पीला गाढ़ा दूध जिसे कोलस्ट्रम या खीस कहते हैं उसे अवश्य दें | इसे बहुत से लोग खराब या बासी समझकर फेंक देते हैं पर बच्चे के लिए यह पहला टीका होता है | स्तनपान से पहले नवजात को चीनी या गुड़ का पानी, मिसरी का घोल शहद, बकरी का दूध या घुट्टी न दें | नवजात जितनी बार दिन में या रात में स्तनपान करे उसे कराएं | नवजात को केवल स्तनपान कराएं उसे माँ के दूध के अलावा कुछ भी न दें |
दूसरी बात बच्चे की नाल को साफ एवं सूखा रखें | नाल पर कुछ भी न लगायें क्योंकि कुछ भी लगाने से संक्रमण हो सकता है | नाल को अपने आप सूखकर गिरने दें | नाल पर हल्दी, घी, पाउडर और तेल कुछ भी न लगाएं | नाल में कोई भी फर्क दिखे जैसे नाल से मवाद या खून निकले, बदबू आए या सूजन हो तो शिशु को तुरंत स्वास्थ्य केंद्र पर लेकर जाएं |
बच्चे को जन्म के तुरंत बाद नहलाएं नहीं बल्कि गुनगुने पानी और साफ कपड़े से पोंछें | कम वजन के नवजात को तब तक न नहलाएं जब तक उसका वजन दो किलोग्राम न हो जाए |
माता-पिता को खतरे के लक्षणों को पहचानना चाहिए और समय पर चिकित्सक को दिखाना चाहिए |
बच्चों में आमतौर पर होने वाले खतरे के लक्षण हैं- बच्चे का दूध न पीना, सुस्त रहना, अक्सर सोये रहना, नींद से न जागना, सांस तेज या धीरे चलना, शौच में खून आना, दौरे पड़ना, बदन बहुत ज्यादा ठंडा या गरम रहना |
इसके अलावा नवजात का टीकाकरण करवाएं | कम वजन एवं समय से पहले जन्मे जन्मे शिशुओं का विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है | शिशु का तापमान नियंत्रित रखने के लिए कंगारू विधि केयर अपनाएं जिसमें माँ की त्वचा का सीधा संपर्क बच्चे की त्वचा से होता है |
मन में कोई शंका हो तो आशा कार्यकर्ता, एएनएम व प्रशिक्षित डाक्टर से संपर्क करें |