इन 5 लोगों का गलती से भी न करें अपमान, वरना शुरू हो जाएंगे बुरे दिन
नई दिल्ली। आचार्य चाणक्य के विचार आज भी प्रासंगिक हैं। अपनी रचना नीति शास्त्र में आचार्य चाणक्य ने सभी विषयों पर विस्तार से जानकारी दी है। सामान्य व्यक्ति भी चाणक्य नीतियों का पालन कर अपने जीवन में ऊंचा मुकाम हासिल कर सकता है। अर्थशास्त्र और नीति शास्त्र के रचनाकार की मानें तो 5 लोग पिता तुल्य होते हैं। उनकी हमेशा सेवा करनी चाहिए। ज्योतिष भी कुंडली में सूर्य ग्रह को मजबूत करने हेतु पिता की सेवा करने की सलाह देते हैं। अत: भूलकर भी इन 5 लोगों का अपमान नहीं करना चाहिए। आइए, इन 5 लोगों के बारे में जानते हैं-
पिता
आचार्य चाणक्य अपनी रचना नीति शास्त्र में कहते हैं कि जन्म देने वाला व्यक्ति जनक यानी पिता कहलाता है। धरती पे माता-पिता ईश्वर के रूप होते हैं। अतः पिता की सेवा और सम्मान करना चाहिए। इनकी सेवा और पूजा करने से व्यक्ति जीवन में ऊंचा मुकाम हासिल करता है। वहीं, पिता का अपमान और अनादर करने वाला व्यक्ति जीवन में कभी तरक्की नहीं कर पाता है।
गुरु
आचार्य चाणक्य का कहना है कि विद्या देने वाला व्यक्ति गुरु होता है। गुरु के बिना ज्ञान हासिल नहीं होता है। अतः गुरु को भी पितृ यानी पिता का दर्जा दिया गया है। इसके लिए गुरु का अपमान नहीं करना चाहिए। गुरु की आज्ञा का अवहेलना करने से व्यक्ति को जीवन में ढेर सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
कुल पंडित
आचार्य चाणक्य की मानें तो यज्ञोपवीत कराने वाले कुल पंडित का कभी अपमान नहीं करना चाहिए। सनातन धर्म में यज्ञोपवीत को प्रमुख स्थान प्राप्त है। सोलह संस्कारों में यज्ञोपवीत भी एक संस्कार है। यज्ञोपवीत कराने वाले पंडित को हमेशा प्रसन्न रखना चाहिए। उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए।
अन्नदाता
आचार्य चाणक्य अन्न प्रदान करने वाले को भी पिता की श्रेणी में रखते हैं। उनकी मानें तो अन्न प्रदान करने वाला व्यक्ति पिता समान होता है। अन्न प्रदान करने वाले की हमेशा सेवा करनी चाहिए। इनका अपमान नहीं करना चाहिए। अपने कार्यों से अन्नदाता को हमेशा प्रसन्न रखना चाहिए।
भयत्राता
आचार्य चाणक्य की मानें तो भय से मुक्त रखने वाला व्यक्ति भी पिता समान होता है। ऐसे लोगों की हमेशा सेवा करनी चाहिए। इनका अपमान कभी न करें। अगर अनजाने में भी भयत्राता का अपमान करते हैं, तो यथाशीघ्र क्षमा याचना कर लें।