इलेक्टोरल बॉन्ड पर आने वाली लिस्ट से बढ़ेगी राजनीतिक पार्टियों की टेंशन? SBI को क्या-क्या खुलासे करने होंगे
नई दिल्ली: इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral Bond) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की याचिका खारिज करते हुए कहा है कि आज 12 मार्च की शाम तक इसके बारे में बैंक ब्योरा दे. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को 15 मार्च तक ये ब्योरा पब्लिश करने के निर्देश दिए हैं. सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने SBI पर बड़ी टिप्पणी की.
सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने एसबीआई की मांग को खारिज करते हुए आज 12 मार्च तक सारी डिटेल चुनाव आयोग को देने का आदेश दिया है. साथ ही चुनाव आयोग को ये सारी डिटेल 15 मार्च की शाम 5 बजे तक वेबसाइट पर अपलोड करने को कहा है.
इलेक्टोरल बॉन्ड माने क्या?
साल 2017 में केंद्र सरकार ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम की घोषणा की थी. इसे 29 जनवरी 2018 को कानूनी रूप से लागू किया गया था. सरकार का कहना था कि चुनावी चंदे में ‘साफ-सुथरा’ धन लाने और ‘पारदर्शिता’ बढ़ाने के लिए इस स्कीम को लाया गया है.
एसबीआई की 29 ब्रांचों से अलग-अलग रकम के इलेक्टोरल बॉन्ड जारी किए जाते हैं. ये रकम एक हजार से लेकर एक करोड़ रुपये तक हो सकती है. इसे कोई भी खरीद सकता है और अपनी पसंद की राजनीतिक पार्टी को दे सकता है.
इसे खरीदने की प्रक्रिया क्या थी?
इलेक्टोरल बॉन्ड को साल में चार बार- जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर में जारी किया जाता था. इलेक्टोरल बॉन्ड से चंदा उन्हीं पार्टियों को दिया जा सकता था, जिन्हें लोकसभा और विधानसभा चुनाव में कम से कम एक फीसदी वोट मिले हों.
साल में चार बार 10-10 दिन के लिए इन बॉन्ड को जारी किया जाता है. कोई भी व्यक्ति या कॉर्पोरेट हाउस इन बॉन्ड को खरीद सकता था.
बॉन्ड मिलने के बाद 15 दिन के भीतर राजनीतिक पार्टी को इन्हें अपने खातों में जमा कराना होता था. कानूनन, राजनीतिक पार्टियां ये बताने के लिए बाध्य नहीं थीं कि उन्हें बॉन्ड कहां से मिला?
साथ ही एसबीआई को भी ये बताना जरूरी नहीं था कि उसके यहां से किसने और कितने बॉन्ड खरीदे हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा-26 दिन से क्या कर रहे थे?
सीजेआई ने एसबीआई से ये भी पूछा कि आपने पिछले 26 दिनों में क्या काम किया, कितना डेटा मिलान किया. मिलान के लिए समय मांगना सही नहीं है.
30 जून तक की मांगी थी मोहलत
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया द्वारा एलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी देने के लिए 30 जून तक की मोहलत की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई. इस पीठ में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा थे.