उत्तर प्रदेश

एसआरएमएस रिद्धिमा में डा. धर्मवीर भारती लिखित नाटक युद्धोपरान्त का मंचन

बरेली: 03 दिसम्बर। एसआरएमएस रिद्धिमा में कल नाटक युद्धोपरान्त का मंचन हुआ। देहरादून के एकलव्य थिएटर की ओर से प्रस्तुत साहित्यकार डा. धर्मवीर भारती लिखित इस नाटक का निर्देशन अखिलेश नारायण ने किया। नाटक का कथानक महाभारत के 18वें दिन के बाद का है। जिसमें युद्ध के बाद की घटनाओं को मार्मिक ढंग से दर्शाया गया। नाटक की कथावस्तु उन आंख वाले अंधों की है, जो परिणाम जानकर भी पुत्र मोह के कारण अंधे बने रहे, ये जानते हुए भी कि इस युद्ध से विनाश के सिवा कुछ प्राप्त नहीं होगा। नाटक का मुख्य पात्र अश्वत्थामा है, जो अपने पिता गुरु द्रोणाचार्य की अधर्मयुक्त हत्या एवं दुर्योधन के प्रतिशोध की आग में झुलस रहा है। वह पिता की मृत्यु से क्षुब्ध होकर पशु की तरह व्यवहार करता है, वह वृद्ध याचक का वध करता है और संजय का भी वध करने की कोशिश करता है, किन्तु कृतवर्मा और कृपाचार्य उसे ऐसा न करने के लिए समझाते हैं। इसके पश्चात कृपाचार्य और अश्वत्थामा घायल व अचेत पड़े दुर्योधन से मिलते हैं। दुर्योधन अश्वत्थामा को सेनापति घोषित करता है। अश्वत्थामा को दो पक्षियों के युद्ध से युक्ति मिलती है कि निहत्थे एवं नींद में पड़े व्यक्ति का वध करना सरल एवं संभव है। वह अकेला ही पांडव शिविर की ओर जाता है। रास्ते में उसका सामना भगवान शिव से होता है। अश्वत्थामा से प्रसन्न होकर वह उसे वरदान के रूप में ब्रह्मास्त्र देते हैं, जिसे पाकर वह पांडव शिविर में जाता है और धृष्टद्युम्न की वीभत्स हत्या कर देता है। वह ब्रह्मास्त्र से उत्तरा के गर्भ में पल रहे पांडव कुल के भविष्य अभिमन्यु के पुत्र की हत्या करने का भी प्रयास करता है। इससे क्रोधित होकर श्रीकृष्ण अंत में अश्वत्थामा से उसकी मस्तक जड़ित मणि छीन लेते हैं और उसे युगों- युगों तक भटकते रहने का श्राप देते हैं। वह कहते हैं कि भ्रूण नष्ट करना जघन्य अपराध है और तुमने यह प्रयास किया है। इसलिए “तुम अज्ञान में जियोगे, अंधकार में जियोगे, किन्तु तुम श्वास लेते रहोगे अश्वत्थामा… इसी के साथ नाटक का समप्त हो जाता है। युद्धोपरान्त अश्वत्थामा का मुख्य किरदार नाटक के निर्देशक अखिलेश नारायण ने खुद निभाया। सुमित कुमार गौढ़ ने संजय और कृष्ण की भूमिका निभाई। उनके साथ जय सिंह रावत (कृतवर्मा), आदेश नारायण (कृपाचार्य), अंशुमन (शिव), समीर क़ुरैशी (भीम), जागृति कोठारी (गांधारी), कार्तिक रांगढ़ (प्रहरी/बाज), रितिक सिमल्टी (वृधयाचक), हिमांशु कोटनाला (सैनिक), समीर सिंह (पक्षी) ने भी सहजता से अभिनय किया। नाटक में संगीत संयोजन समीर क़ुरैशी ने दिया। वेश भूषा डिजाइन शैलेश ने की जबकि सैट निर्माण नितिन, प्रमुदित ने किया। बृजेश नारायण ने महर्षि व्यास की आवाज बनकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इस मौके पर एसआरएमएस ट्रस्ट के चेयरमैन देव मूर्ति जी, आशा मूर्ति जी, ऋचा मूर्ति जी, सुभाष मेहरा, डा. प्रभाकर गुप्ता, डा. अनुज कुमार, डा.रीता शर्मा सहित शहर के गणमान्य लोग मौजूद रहे।

बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट

 

 

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