कुंवारी कन्याएं ही क्यों उठाती हैं जावा, कोख से जुड़ा है रहस्य
करमा पूजा में जावा उठाने की परंपरा बेहद खास है, लेकिन कुंवारी लड़कियां ही करमा में जावा उठा सकती हैं. इसके पीछे भी एक गूढ़ रहस्य छुपा है. यह रहस्य कोख से जुड़ा है.
दरअसल, जावा डाली में हम बीजों बोने की प्रथा है. बीज, जो कि सृष्टि का आधार हैं. जैव जगत की निरंतरता के लिए बीज और वीर्य की अनिवार्यता स्वयं सिद्ध है. इसी सार्वभौमिक, सार्वकालिक शाश्वत सत्य को करमा में जावा डाली के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है.
कहते हैं कि कन्याएं धरतीस्वरूपा हैं. जिस तरह धरती में बीज धारण करने की क्षमता होती है, उसी तरह वीर्य धारण कर सृष्टि को आगे बढ़ाने का सामर्थ्य नारी में है. इस सत्य को सांकेतिक तौर पर कन्याओं को बताया जाता है. करमा जावा डाली इसी सत्य का प्रतीक है.
मालूम हो कि करमा जावा डाली में अधिकतम नौ प्रकार के बीजों को बोने का विधान है. जावा डाली में समस्त बीजों को बोया जाती है. बीजों में निहित शक्ति और उसकी महिमा का वंदन किया जाता है.
करम पर्व में जब युवतियां करम गीत गाते हुए जावा के इर्द गिर्द पारंपरिक नृत्य करती हैं तो वह लोगों के आकर्षण का केंद्र होता है. गांवों में बच्चियों के साथ महिलाएं भी करम पर्व का खूब आनंद लेती हैं.