कोरोना के जिस वेरिएंट ने चीन में लगाया लाशों का ढेर, उससे भारत को कितना खतरा?
नई दिल्ली. कोरोना के ओमिक्रोन वेरिएंट का सब-वेरिएंट BF.7 चीन में तबाही मचा रहा है. सड़कों पर लाशों का अंबार लगा हुआ है. अस्पतालों में हालात बेहद खराब हैं. दुनिया के कई अन्य देशों में भी कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. भारत में भी इस वेरिएंट के 4 मरीज पाए गए हैं. लेकिन वे ठीक हो चुके हैं. सवाल उठ रहा है कि अगर ये वायरस चीन में इतना खतरनाक रूप दिखा रहा है तो भारत के लिए ये कितना बड़ा खतरा है? बीएफ.7 वेरिएंट को लेकर इन तमाम आशंकाओं को दूर करते हुए देश के एक प्रमुख वैज्ञानिक ने कहा भारत को अपनी आबादी पर इसके संभावित प्रकोप को लेकर ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है
बेंगलुरु के टाटा इंस्टीट्यूट फॉर जेनेटिक्स एंड सोसाइटी (टीआईजीएस) के डायरेक्टर राकेश मिश्रा ने हालांकि चेतावनी दी कि मास्क पहनने और भीड़ में अनावश्यक जाने से बचने की सलाह को हमेशा मानना चाहिए. मिश्रा ने आगे कहा कि चीन में कोविड-19 के मामलों में बेहिसाब इजाफा नजर आ रहा है क्योंकि पड़ोसी देश संक्रमण की विभिन्न लहरों से नहीं गुजरा है, जिनका भारत सामना कर चुका है.
उन्होंने कहा, ‘बीएफ.7 ओमिक्रोन का एक सब-वेरिएंट है. कुछ छोटे बदलावों को छोड़कर इसकी मुख्य संरचना ओमिक्रोन की तरह ही होगी. इसमें कोई बड़ा अंतर नहीं है. हम में से अधिकांश ओमिक्रोन लहर से गुजर चुके हैं. इसलिए हमें इसके बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है. वास्तव में यह वही वायरस है.’
मिश्रा ने कहा कि चीन अपनी जीरो कोविड नीति की वजह से संक्रमण के मामलों में इजाफे का सामना कर रहा है. इसके तहत अधिकारी अपार्टमेंट इमारतों को बंद कर देते हैं और यहां तक कि एक शख्स में संक्रमण की पुष्टि के बाद उसके पड़ोस के घर को भी बंद कर दिया जाता है, जिससे लोगों को बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि चीनी आबादी स्वाभाविक रूप से संक्रमण के संपर्क में नहीं आई है और उन्होंने बुजुर्ग लोगों को टीका लगाने के लिए समय का सही इस्तेमाल नहीं किया. मिश्रा ने चीन में डराने वाले हालात पर कहा, ‘इसलिए जिन लोगों ने टीका नहीं लगवाया है, उनके लक्षण गंभीर हैं. युवाओं को अब भी कोई समस्या नहीं है. लेकिन बुजुर्ग जिन्हें टीका नहीं लगाया गया था, उनमें यह इन्फेक्शन बहुत तेजी से फैल रहा है.’
उनके अनुसार, ज्यादातर भारतीयों ने ‘हाइब्रिड इम्युनिटी’ हासिल कर ली है. इसका मतलब है कि टीकों के जरिए और स्वाभाविक संक्रमण के बाद विकसित इम्युनिटी उन्हें कोरोना वायरस के अलग-अलग वेरिएंट्स से बचाती है. मिश्रा ने आगे कहा कि भारत में मौजूदा समय में लगाए जा रहे कोविड रोधी टीके ओमिक्रोन के अलग-अलग सब-वेरिएंट्स को रोकने में असरदार हैं, क्योंकि कई स्टडीज में पता चला है कि इस साल की शुरुआत में ओमिक्रोन की बड़ी लहर के दौरान भी भारत में ज्यादातर मरीज अस्पतालों में भर्ती नहीं हुए थे.