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नाबालिग से जबरन संबंध बनाने में ट्रांसजेंडर महिला को 7 साल कैद की सजा, 2016 का मामला

तिरुवनंतपुरम: तिरुवनंतपुरम फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट ने एक ट्रांसजेंडर महिला को सात साल पहले एक लड़के का यौन शोषण करने के लिए दोषी ठहराया है। 16 साल के नाबालिग के यौन उत्पीड़न मामले में अदालत ने ट्रांसवूमन को सात साल कारावास और 25 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि जुर्माना न चुकाने की सूरत में दोषी को एक साल कैद की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। यह घटना तब सामने आई जब डरे और सहमे बेटे के फेसबुक मैसेंजर पर मां ने दोनों के बीच बातें पढ़ी।

केरल के फास्ट ट्रैक स्पेश कोर्ट ने 16 वर्षीय नाबालिग के साथ यौन उत्पीड़न के मामले में सैमसन उर्फ ​​​​शफीना (34 वर्ष) को नाबालिग के यौन शोषण मामले में सात साल कैद की सजा सुनाई है। दोषी एक ट्रांसवूमन है जिसने सात साल पहले नाबालिग से अप्राकृतिक यौन संबंध बनाये थे। अदालत ने आदेश दिया, “जुर्माने की राशि का भुगतान न करने पर एक अतिरिक्त वर्ष के कारावास की सजा होगी।”

विशेष लोक अभियोजक आर एस विजय मोहन, अधिवक्ता एम मुबीना और आर वाई अखिलेश अभियोजन पक्ष के लिए उपस्थित हुए और बताया “घटना 23 फरवरी 2016 की है जब आरोपी पीड़ित से ट्रेन में मिला था, वह नाबालिग को बहलाकर अपने साथ ले गया और थंबनूर पब्लिक कम्फर्ट स्टेशन पर उसके साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाये। जब नाबालिग ने ऐसा करने से इनकार किया तो आरोपी ने उसे डराया और जान से मारने की धमकी दी।” अभियोजकों ने आगे कहा कि यह घटना तब सामने आई जब पीड़िता की मां को उसके फेसबुक मैसेंजर के जरिए पता चला।

कैसे हुआ खुलासा और पकड़ में कैसे आया
अभियोजन पक्ष के मुताबिक, ”प्रताड़ना के डर से लड़के ने घटना के बारे में अपने परिवार को नहीं बताया। फिर भी आरोपी ने कई बार उसे फोन किया और मिलने को कहने लगा। लेकिन हर बार पीड़ित जाने से इनकार कर देता। मां ने देखा कि उसका बच्चा लगातार फोन पर मैसेज भेज रहा था और अक्सर फोन पर बात करने से डर रहा है। जब बच्चे ने फोन नंबर ब्लॉक कर दिया तो आरोपी ने फेसबुक मैसेंजर के जरिए मैसेज भेजे। जब मां ने फोन पर बच्चे और आरोपी के बीच फेसबुक मैसेज देखे तो वो चौंक गई। अब बच्चे की मां ने आरोपी को जवाब देना शुरू किया। पुलिस के निर्देशानुसार, मां ने आरोपी को संदेश भेजा और उसे थंबनूर बुलाया। जैसे ही वो वहां पहुंचा, पहले से ताक पर बैठी पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर दिया।

अभियोजन पक्ष ने सात गवाहों को पेश किया और 12 दस्तावेज पेश किए गए। मामले की जांच एस पी प्रकाश ने की थी जो थंबनूर पुलिस स्टेशन में उप निरीक्षक थे। आरोपी को भारतीय दंड संहिता की धारा 377 (अप्राकृतिक अपराध) और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम की धारा 3 (डी) (प्रवेशक यौन हमला) के तहत दंडनीय अपराधों का दोषी पाया गया है।

नई दिल्ली: रामचरितमानस पर जारी विवाद के बीच हिंदू समाज में जाति और वर्ण व्यवस्था पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत की टिप्पणी के लिए उनकी आलोचना शुरू हो गई है। वहीं, भागवत के बयान पर अब शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने सवाल उठाए हैं।

आरएसएस प्रमुख ने मुंबई में रविवार को एक कार्यक्रम में कहा था, ”भगवान ने हमेशा कहा है मेरे लिए सभी एक हैं। उनमें कोई जाति वर्ण नही हैं, लेकिन पंडितों ने श्रेणी बनाई, वह गलत था। भारत देश हमारे हिंदू धर्म के अनुसार चलकर बड़ा बने और वह दुनिया का कल्याण करे। हिंदू और मुसलमान सभी एक हैं।” भागवत के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने संघ प्रमुख से सवाल किया कि वह किस शास्त्र के हवाले से जाति व्यवस्था के बारे में बोल रहे थे, इस बारे में उन्होंने बताना चाहिए।

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, रायपुर आए शंकराचार्य ने कहा कि जब गीता जी में भगवान ने स्वयं कहा है कि वर्ण उन्होंने बनाए तो भागवत जी ने कौन से अनुसंधान के आधार पर यह बात कही है उन्हें बताना चाहिए। दरअसल, शंकराचार्य से मोहन भागवत के बयान को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, ‘उनका बहुत लंबा सामाजिक जीवन है, कुछ कहते होंगे तो जिम्मेदारी से कहते होंगे। अब हमको जब तक पता न चल जाए कि उन्होंने किस आधार पर इतनी बड़ी बात कह दी तब तक हम क्या बोलें। वे ऐसे व्यक्ति नहीं हैं कि वे कोई बात बोलें और हम डांट दें। भागवत जी बड़े आदमी हैं। हम समझते हैं कि जो कुछ कहेंगे जिम्मेदारी से कहेंगे। अब उन्होंने कौन सा ऐसा अनुसंधान कर लिया जिससे पता चल गया कि वर्ण पंडितों ने बनाया है।’

हिंदू राष्ट्र की मांग पर कही ये बात

इतना ही नहीं, शंकराचार्य ने हिंदू राष्ट्र की मांग को भी गलत बताया। उन्होंने कहा कि यह सब जुमलेबाजी है। जो लोग भी यह मांग उठा रहे हैं वह हिंदू राष्ट्र का खाका सामने क्यों नहीं रखते। हिंदू राष्ट्र होगा तो राजनीतिक व्यवस्था में क्या बदलेगा। इसका खाका सामने रखे बिना इस पर बात करना बेमानी है।

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