पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा क्यों बताई जा रही बेहद अहम? यहां जानें सबकुछ
नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 20 से 25 जून तक अमेरिका (America) और मिस्र की यात्रा पर जा रहे हैं. उनकी यह अमेरिका की यात्रा राष्ट्रपति जो बाइडन और प्रथम महिला जिल बाइडन के निमंत्रण पर हो रही है. इस यात्रा के बाद पीएम मोदी उन महान लोगों की सूची में शामिल हो जाएंगे जिसमें विंस्टन चर्चिल और नेल्सन मंडेला जैसे नाम शामिल हैं, जिन्होंने दो बार अमेरिकी कांग्रेस की संयुक्त बैठक को संबोधित किया है.
पीएम मोदी की यह यात्रा न्यूयॉर्क में शुरू होगी, जहां मोदी 21 जून को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस समारोह का नेतृत्व करेंगे. इस दिन को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा दिसंबर 2014 में नामित किया गया था. उसके बाद, पीएम मोदी, वाशिंगटन डीसी की यात्रा करेंगे, जहां 22 जून को व्हाइट हाउस में उनका औपचारिक स्वागत किया जाएगा. यहां चल रही हाई लेवल डायलॉग के हिस्से के रूप में राष्ट्रपति बाइडन के साथ विचार-विमर्श करेंगे. उसी शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सम्मान में बाइडेन्स द्वारा राजकीय रात्रिभोज का आयोजन किया जाएगा.
पीएम मोदी को 22 जून को अमेरिकी कांग्रेस की संयुक्त बैठक को संबोधित करने के लिए रिपब्लिकन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स केविन मैक्कार्थी और डेमोक्रेटिक सीनेट के स्पीकर चार्ल्स शूमर सहित अन्य अमेरिकी कांग्रेस नेताओं ने भी आमंत्रित किया है. अगले दिन, वे उपराष्ट्रपति कमला हैरिस और विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित एक लंच में भाग लेंगे.
आधिकारिक व्यस्तताओं के साथ, मोदी का मुख्य कार्यकारी अधिकारियों, पेशेवरों और अन्य हितधारकों के साथ-साथ भारतीय डायस्पोरा के साथ बैठक करने का भी कार्यक्रम है. अमेरिका की अपनी यात्रा के समापन के बाद, प्रधान मंत्री 24 से 25 जून तक राजकीय यात्रा के लिए मिस्र जाएंगे.
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा के “महत्वपूर्ण परिणाम” होंगे. जयशंकर ने एक कार्यक्रम में यह बात कही. उन्होंने कहा “प्रधानमंत्री मोदी, अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित करेंगे. अब तक किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री ने इसे दो बार संबोधित नहीं किया है; तो, यह पहली बार होगा. दुनिया भर में भी बहुत कम लोग ऐसा कर पाए हैं. विंस्टन चर्चिल, नेल्सन मंडेला जैसे महान नेताओं को यह गौरव मिल सका है. ऐसे बहुत कम लोग हैं जिन्होंने अमेरिकी कांग्रेस को दो बार संबोधित किया है.
भारत-अमेरिका संबंधों पर राजकीय यात्रा के निहितार्थ के बारे में पूछे जाने पर जयशंकर ने कहा कि इस राजकीय यात्रा के ‘महत्वपूर्ण परिणाम’ होंगे और कहा कि ‘ये क्या परिणाम होंगे, मैं अभी यह नहीं बता सकता.’ यह पूछे जाने पर कि मोदी की अमेरिका की इस राजकीय यात्रा से चीन और पाकिस्तान को क्या संदेश जाएगा. केंद्रीय विदेश मंत्री ने कहा, ‘जब कोई प्रधानमंत्री किसी देश का दौरा करता है, तो यह हमारे (भारत के) संबंधों को आगे ले जाने के लिए होता है. मैं समझता हूं कि यह एक वैश्वीकृत दुनिया है, इसलिए अगर कुछ होता है, तो इसका दूसरों पर प्रभाव हो भी सकता है और नहीं भी. हम इसे अपने हितों के लिए, अपने संबंधों के नजरिए से देखते हैं.’
अमेरिका में भारतीय राजदूत तरनजीत सिंह संधू ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन अगले सप्ताह अपनी वार्ता के दौरान महत्व के 5 व्यापक क्षेत्रों ‘स्वास्थ्य सेवा, प्रौद्योगिकी, नवीकरणीय ऊर्जा, शिक्षा और रक्षा’ पर चर्चा कर सकते हैं. उनकी चर्चा के बाद जारी होने वाले संयुक्त बयान से कई चीजें साफ हो जाएंगी. उन्होंने शुक्रवार को पीटीआई को बताया था कि जिन मुद्दों पर चर्चा होगी, वे सभी संयुक्त बयान में उभर कर सामने आ जाएंगे.
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि ‘टेक्नोलॉजी एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनने जा रही है और आप जानते हैं कि टेक्नोलॉजी क्रॉस-कटिंग है. टेक्नोलॉजी न केवल एक व्यावसायिक पहलू है बल्कि इसका एक बहुत मजबूत रणनीतिक पक्ष भी है. भरोसा और विश्वास किसी भी टेक्नोलॉजी को साझा करने या सहयोग के महत्वपूर्ण आधार हैं.’
तरनजीत सिंह संधू ने बताया कि सबसे पहले स्वास्थ्य सेवा है और उसमें सस्ती स्वास्थ्य सेवा, सस्ती दवाएं, सस्ते टीके, और निश्चित रूप से प्रशिक्षण, अनुसंधान, वगैरह, सभी इसका हिस्सा होंगे. जबकि नंबर दो पर टेक्नोलॉजी है, यह आईटी, डिजिटल स्टार्टअप नवाचार है. इसके अलावा बैटरी टेक्नोलॉजी जिसमें रीन्यूएबल बास्केट में सोलर खास इलीमेंट है. साथ ही हाइड्रोजन भी आवश्यक होगा.
उन्होंने कहा कि शिक्षा और ज्ञान की साझेदारी पर भी चर्चा हो सकती है. भारत में, हमारे पास एक नई शिक्षा नीति है. बेशक, यहां मैं यह उल्लेख करना चाहूंगा कि वर्तमान में (अमेरिका में) 200,000 भारतीय छात्र हैं. उनमें से दो-तिहाई एसटीईएम क्षेत्रों में हैं. यह छात्र आबादी यह लिंकेज एक बहुत ही महत्वपूर्ण है. लेकिन नई शिक्षा नीति के तहत अब आगे का आंदोलन कैंपस-टू-कैंपस संबंध स्थापित करने पर होगा. साथ ही डिग्रियों को आपस में जोड़ने, संयुक्त शोध कार्य करने में होने जा रहा है.
उन्होंने कहा कि उन्होंने बड़ी संख्या में विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों के कुलपतियों और अध्यक्षों से व्यक्तिगत रूप से बात की है. आप पहले ही देख चुके हैं कि इसे आगे बढ़ाया गया है. यह आईसीईटी के महत्वपूर्ण तत्वों में से एक है जो कि शिक्षा सहयोग है और यह एक महत्वपूर्ण मार्ग होगा.’ उन्होंने कहा कि रक्षा और रणनीतिक पक्ष पर भी चर्चा संभव है. हाई टेक भी एक महत्वपूर्ण है. यह एक क्रॉस-कटिंग क्षेत्र है. हाई टेक का निश्चित रूप से प्रभाव है.’
रक्षा पक्ष में, संयुक्त राज्य अमेरिका टेक्नोलॉजी महाशक्ति है और भारत एक उभरती हुई टेक्नोलॉजी महाशक्ति जैसा है. इसलिए, यह सहयोग स्वाभाविक है. संधू ने कहा कि पहले दोनों देशों के बीच क्रेता-विक्रेता जैसी स्थिति थी और व्यापारिक संबंध अधिक था. अब हम अगले स्तर की ओर अधिक तैयारी से देख रहे हैं, जो दोनों पक्षों के बीच सह-उत्पादन और सह-विकास सहयोग है.’ संधू ने कहा कि यहां तक कि औपचारिक पक्ष पर राज्य का दौरा करने के लिए दोनों देशों के संबंध अब अगले स्तर पर जा रहे हैं और यात्रा के कई पहलू इस ओर इशारा कर रहे हैं. संधू ने कहा, “आप देखेंगे कि सभी क्षेत्रों में बहुत अधिक सहयोग और एक साथ काम करने जा रहा है, और इसका न केवल संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के लिए बल्कि कई तीसरे देशों के लिए भी प्रभाव पड़ेगा.”