बड़ी दिलचस्प है भारत की पहली स्वेदशी मिक्सी की कहानी!
कहते हैं ‘मर्द की सफलता के पीछे औरत का हाथ होता है’, फिर चाहें वो उसकी मां, बहन, पत्नी कुछ भी हो। इस कहावत का जीवंत उदाहरण आज हमारे सामने सुमीत मिक्सर के नाम से मौजूद है। कई बार चीजों के साथ हमारी यादें जुड़ी होती हैं। जब वे हमारे सामने आती हैं तो उनसे जुड़े पुराने पल हमारी आंखों के सामने घूमने लगते हैं।
इन्हीं यादों की गुल्लक में शामिल है सुमीत मिक्सी। जी हां, वही मिक्सी जो कभी आपके घर की रसोई की शान हुआ करती थी। क्या आपको पता है कि इसकी शुरुआत कहां से हुई थी और इसको बनाने की प्रेरणा कहां से मिली थी? आज हम आपको बताएंगे। आजादी के कुछ सालों बाद तक भारतीय बाज़ारों में विदेशी प्रोडक्ट्स की भरमार थी। इन्हीं में से एक थी मिक्सी। जी हां, साल 1957 का वो दौर जब भारतीय बाज़ार विदेशी प्रोडक्ट्स से पटे रहते थे। उन दिनों ब्रॉन नामक विदेशी कंपनी की मिक्सी काफी प्रचलित थी।
भारत की ज्यादातर महिलाएं मसालों को सिल-बट्टे से पीसने की बजाए मिक्सी का प्रयोग करती थीं। इन्हीं में से एक थीं मुंबई की निवासी माधुरी माथुर। इकने पति सत्य प्रकाश माथुर पेशे से इंजीनियर थे और सीमेंस नाम की कंपनी में जॉब करते थे। एक दिन माधुरी किचन में मसाला पीस रही थीं तभी अचानक से उनकी मिक्सी चलते-चलते बंद हो गई। इसपर परेशान होकर उन्होंने अपने पति से कहा कि अगर आप सच में इंजीनियर हैं तो इस मिक्सी को ठीक करके दिखाइये।
पत्नी के द्वारा दी गई इस चुनौती पर सहजता से प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने इसे स्वीकार किया और मिक्सी को लेकर बैठ गए। इस दौरान उन्होंने मिक्सी के मैकेनिज्म पर गौर किया। इससे उन्हें पता चला कि विदेशी कंपनी होने की वजह से इसका डिजाइन भी विदेशी मसालों के हिसाब से ही बनाया गया था। इस वजह से जब इसमें भारतीय मसाले पीसे जाते थे तो इसकी मोटर फुंक जाती थी और विदेशी होने के कारण जल्दी इसका मिस्त्री भी नहीं मिलता था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मिक्सी की कमी का पता लगाने के बाद सत्यप्रकाश ने नई घर पर ही नई मिक्सी बनाने का फैसला किया। कई दिनों की मेहनत और अपनी लगन से उन्होंने नई मिक्सी तैयार कर ली। यह थी भारत की पहली स्वदेशी मिक्सी जिसे एक साधारण से इंजीनियर ने अपनी पत्नी द्वारा दिए गए चैलेंज के बाद तैयार किया था। इसके बाद सत्यप्रकाश ने अपनी कंपनी के मालिकों को उनकी इस रचना के विषय में बताया और उनसे आग्रह किया कि वे भारत में इसका व्यापार करना चाहते हैं इसके लिए वे एक कंपनी खोल लें।
सीमेंस के डॉयरेक्टर्स को उनका यह आइडिया कापी पसंद आया। इसके बाद साल 1963 में सत्यप्रकाश ने पावर कंट्रोल एंड अप्लायंसेज नाम से एक कंपनी रजिस्टर कारवाई और अपनी पहली स्वदेशी मिक्सी को सुमीत नाम दिया। उनके द्वारा निर्मित इस एल-शेप मिक्सी में 500-600 वाट की दमदार मोटर लगी थी। जिससे 20,000 आरपीएम का टॉर्क उत्पन्न किया जा सकता था।
गौरतलब है, इस मिक्सी को इस्तेमाल करने वाले लोगों का मानना है कि यह 20 सालों तक बिना रुके काम करती थी। यही वजह थी कि 90 के दशक में यह भारत की नंवर बन मिक्सी में से एक थी।