भगवान शिव के मंदिरों में नहीं पी पाएंगे गांजा, कांवड़ यात्रा से पहले लगाया बैन
सावन के महीने में कांवड़ यात्रा से पहले, ओडिशा सरकार ने मंगलवार को राज्य भर के सभी भगवान शिव मंदिरों में गांजे के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया। ओडिया भाषा साहित्य एवं संस्कृति विभाग के निदेशक दिलीप राउत्रे ने सभी जिला कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों को लिखे पत्र में अधिकारियों से भगवान शिव के मंदिर में गांजे के इस्तेमाल को रोकने के लिए आवश्यक उपाय करने को कहा है। राज्य सरकार का यह निर्देश सामाजिक कार्यकर्ता पद्मश्री बाबा बलिया द्वारा भगवान शिव के मंदिरों में गांजे पर प्रतिबंध लगाने की अपील के बाद आया है।
बाबा बलिया ने कहा, “मैंने सरकार को पत्र लिखकर शिव मंदिरों में गांजे पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया था। गांजे को मंदिर में प्रसाद के रूप में चढ़ाया जा सकता है लेकिन इसे भक्तों के बीच पीने के लिए वितरित नहीं किया जाना चाहिए। प्रतिबंध से युवाओं में स्वास्थ्य संबंधी खतरों पर अंकुश लगेगा।” माना जाता है कि भांग और गांजा भगवान शिव का प्रिय पदार्थ है। यह शिवरात्रि और श्रावण पूर्णिमा में धार्मिक उत्सवों का एक अभिन्न अंग रहा है। भांग एक प्रकार का पौधा है जिसकी पत्तियों को पीस कर भांग तैयार की जाती है। वहीं गांजा एक मादक पदार्थ है जो गांजे के पौधे से भिन्न-भिन्न विधियों से बनाया जाता है। इन उत्सवों के दौरान भक्त गांजा और भांग पीते हैं।
भद्रक जिले में स्थित अराडी के अखंडलामणि मंदिर में प्रतिदिन पवित्र प्रसाद में भांग मिलाई जाती है। इस मंदिर के मुख्य सेवादार बिजय कुमार दास ने कहा कि वह प्रतिबंध से निराश हैं। उन्होंने कहा, “भांग का इस्तेमाल हमारे मंदिर के ‘घरसाना’ अनुष्ठान के दौरान किया जाता है और यह एक सदी पुरानी परंपरा है। हालांकि, अगर हम अभी भी थोड़ी सी (भांग) इस्तेमाल कर सकते हैं तो हम इसको लेकर अधिकारियों के साथ चर्चा करेंगे।”
भुवनेश्वर के लिंगराज मंदिर में, एक वरिष्ठ पुजारी ने कहा कि किसी भी भक्त को मंदिर में भांग चढ़ाने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया जाता है। पुजारी ने कहा, “हो सकता है कि कुछ भक्त अपनी मर्जी से प्रसाद चढ़ा रहे हों। मुझे लगता है कि सरकार को धर्म के मामलों में नहीं पड़ना चाहिए था।” ओडिशा में, भांग कानूनी रूप से उपलब्ध है, जबकि गांजा एनडीपीएस अधिनियम, 1985 के अनुसार अवैध है।
दिसंबर 2017 और अक्टूबर 2018 के बीच देश के 10-75 वर्ष के लोगों के बीच सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा मादक द्रव्यों के सेवन पर किए गए एक घरेलू नमूना सर्वेक्षण में पाया गया कि शराब के बाद, गांजा और ओपिओइड दूसरा सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला पदार्थ है। सर्वे में पाया गया कि राज्य में 4.9 लाख लोगों को भांग से जुड़ी समस्याओं के लिए मदद की जरूरत है।