मोदी सरकार ने 415 मिलियन लोगों को गरीबी से बाहर निकाला : रिपोर्ट
नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र से भाारत के लिए अच्छी खबर सामने आई है। भारत में हाल के वर्षों में गरीबी रिकॉर्ड स्तर पर कम हुई है। 41.50 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए हैं। हालांकि भारत में संपत्ति के मामले में बड़ी असमानता देखने को मिली है। रिपोर्ट के मुताबिक 10 फीसदी सबसे अमीर के पास देश की आधी से ज्यादा संपत्ति है। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत उच्च आय और धन की असमानता वाले टॉप देशों में शामिल है। रिपोर्ट के अनुसार 2005 के बाद से भारत लगभग 415 मिलियन (41.5 करोड़) लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में कामयाब रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक 18.50 करोड़ लोग गरीबी में रहने को मजबूर हैं जिनकी आय 180 रुपये से कम है। UNDP ने अपनी रिपोर्ट में कहा है 2015-16 और 2019-21 के बीच गरीबी में रहने वाली आबादी का हिस्सा 25 से गिरकर 15 प्रतिशत रह गया है। भारत में 2000 और 2022 के बीच प्रति व्यक्ति आय 442 अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2,389 अमेरिकी डॉलर हो गई। वहीं 2004 और 2019 के बीच गरीबी दर (प्रति दिन 2.15 अमेरिकी डॉलर के अंतरराष्ट्रीय मानक के आधार पर) 40 प्रतिशत से गिरकर 10 प्रतिशत रह गई।
रिपोर्ट के अनुसार 2005 के बाद से भारत लगभग 415 मिलियन (41.5 करोड़) लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में कामयाब रहा है। रिपोर्ट के अनुसार सबसे अधिक आय असमानता वाले देश मालदीव, भारत, थाईलैंड और ईरान हैं। भारत के अलावा, शीर्ष 10% की संपत्ति हिस्सेदारी के आधार पर सबसे अधिक धन असमानता वाले देशों में थाईलैंड, चीन, म्यांमार और श्रीलंका शामिल हैं। 2024 की रिपोर्ट में कहा गया है कि दशकों से भारत में बढ़ती असमानताओं के बावजूद जीवन स्तर में सुधार हुआ है और गरीबी काफी कम हुई है।
2005 और 2006 और 2019 और 2020 के बीच गरीबी सूचकांक में 39 प्रतिशत अंक की कमी हुई जिससे भारत 415 मिलियन लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में कामयाब रहा। इन सफलताओं के बावजूद, गरीबी उन राज्यों में केंद्रित है जहां भारत की 45% आबादी रहती है। रिपोर्ट इस बात पर प्रकाश डालती है कि भारत की डिजिटल सफलता की कहानी से दूसरे भी काफी कुछ सीख सकते हैं। इसमें बताया गया है कि कैसे CoWIN दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण कार्यक्रमों में से एक की डिजिटल रीढ़ बन गया। साथ ही UPI लेन-देन में भारत ने एक रिकॉर्ड बनाया है।