युवाओं को कोरोना वायरस का बूस्टर टीका क्यों लगवाना चाहिए? ये हैं 5 कारण
नई दिल्ली: कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में वैक्सीन ही अब तक की सबसे कारगर हथियार साबित हुई है. टीकाकरण ने दुनिया भर में कोरोना के कहर को कम करने में अहम भूमिका निभाई. यही वजह है कि कोरोना वैक्सीन की दो खुराक लेने के बाद भी दुनिया भर की सरकारें लोगों को कोविड बूस्टर डोज लेने की अपील कर रही हैं. शोधकर्ताओं का मानना है कि कोविड वैक्सीन की बदौलत ही दुनिया भर में लाखों लोगों की जान बचाई गई. अब जबकि कोरोना वायरस पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है, ऐसे में वैक्सीन की बूस्टर खुराक और भी महत्वपूर्ण हो गई है. कामकाजी लोगों और पढ़ाई करने वाले युवाओं के लिए तो बूस्टर डोज की अहमियत ऐसे वक्त में और बढ़ जाती है, जब कोविड की वजह से पिछले कुछ समय से जिंदगी प्रभावित रही है. तो चलिए इन पांच कारणों से जानते हैं कि आपको क्यों कोविड बूस्टर वैक्सीन लेने की जरूरत है.
1. समय के साथ टीकों की प्रतिरक्षा होती है कम: शोधकर्ताओं का मानना है कि समय के साथ कोरोना वायरस के टीकों से प्रतिरक्षा कम हो जाती है. कुछ टीके जैसे MMR वैक्सीन (खसरा, गलसुआ और रूबेला) आजीवन सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं, मगर इसके विपरीत बाद के महीनों में कोविड टीकों की प्रभावशीलता कम होने लगती है. टीकाकरण के बाद छह महीनों में संक्रमण से सुरक्षा में करीब 21 फीसदी और गंभीर बीमारी के खिलाफ 10 फीसदी की सामान्य कमी के साथ प्रतिरक्षा में गिरावट आती है. हालांकि बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में प्रतिरक्षा में गिरावट और तेजी से हो सकती है और इससे सभी आयु वर्ग प्रभावित होते हैं. अगर प्रतिरक्षा में कमी होगी तो फिर से कोरोना का संक्रमण इंसान को जकड़ सकता है. इस वजह से कोविड बूस्टर खुराक जरूरी है.
2. टीकाकरण सबको सुरक्षा प्रदान करता है: टीकाकरण न केवल उस व्यक्ति को सुरक्षा प्रदान करता है जिसे वैक्सीन लगी है, बल्कि कोविड टीकाकरण महामारी के प्रसार को कम करके अप्रत्यक्ष रूप से पूरी आबादी की रक्षा करता है. कई युवा वयस्क घरों में रहते हैं या नियमित रूप से बुजुर्गों या मेडिकल रूप से कमजोर रिश्तेदारों या दोस्तों से मिलते हैं या हो सकता है कि उनके साथ गर्भवती महिलाएं भी हों. जिन लोगों को पूरी तरह से टीका नहीं लगाया गया है, उनमें कोविड से संक्रमित होने और इसे अपने करीबी संपर्कों तक पहुंचाने की संभावना अधिक होती है. यह इजरायली शोध में स्पष्ट रूप से पाया गया.
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3. लॉन्ग कोविड के प्रभाव को कम करना: हर उम्र के लोगों में यह पाया गया है कि कोरोना संक्रमण के बाद महीनों तक उनमें कोविड के लक्षण दिखते हैं, जिसे लॉन्ग कोविड कहा जाता है. लंबे समय तक चलने वाला कोविड और भी खतरनाक हो सकता है. यह 30 फीसदी लोगों में हो सकता है, जिन्हें कोविड होता है. हालांकि, इसे लेकर अनुमान अलग-अलग हैं. यह स्पष्ट नहीं है कि क्यों कुछ लोग लॉन्ग कोविड से प्रभावित होते हैं जबकि अन्य नहीं होते हैं. हालांकि, शोध से पता चलता है कि टीकाकरण लंबे कोविड के जोखिम को कम करता है. एक स्टडी में टीकाकरण के बाद लॉन्ग कोविड के केसों में करीब 15% की कमी देखी गई है. वहीं, अन्य स्टडी में जोखिम आधा होने की बात कही गई है. इस तरह से स्पष्ट है कि वैक्सीन के बूस्टर लगवाने से इस जोखिम को और कम किया जा सकता है.
4. कहीं और हालत न हो जाए खराब: कोरोना वायरस की वजह से बीते कुछ समय से न केवल लोगों की नौकरियां और रोजगार प्रभावित हुए हैं, बल्कि पढ़ाई करने वाले युवाओं का भी करियर प्रभावित हुआ है. ऐसे में खुद को पटरी पर लाने के लिए कामकाजी युवाओं से लेकर पढ़ाई करने वाले युवाओं को बमारी की वजह से कम से कम अवकाश लेने के लिए कोविड का बूस्टर डोज भी लेना चाहिए. अगर वे बूस्टर डोज नहीं लेते हैं तो फिर वे लॉन्ग कोविड के शिकार हो जाएंगे और उन्हें बार-बार छुट्टियां लेनी पड़ जाएंगी. महामारी की वजह से बढ़ते वित्तीय दबाव के समय में छुट्टी लेने का मतलब कुछ लोगों के लिए आय के कम दिनों का नुकसान हो सकता है. ठीक यही स्थिति पढ़ाई करने वाले युवाओं के लिए है.
5. कोरोना वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित: कोरोना वायरस की वैक्सीन को लेकर अलग-अलग अफवाहें उड़ीं, मगर पिछले दो साल से कोरोना की यह वैक्सीन सुरक्षित है. दुनिया भर में कोविड वैक्सीन की अरबों खुराकें दी गई हैं और कई तरह से शोध के बाद यह लाबित हुआ कि कोरोना के खिलाफ बने ये टीके बहुत प्रभावी और महत्वपूर्ण रूप से सुरक्षित हैं. ऐसे बहुत ही दुर्लभ अवसर आए, जहां इन वैक्सीन के साइडइफेक्ट्स देखने को मिले, मगर ये भी अपवाद साबित हुए. कुछ लोगों ने चिंता व्यक्त की कि टीकों का बार-बार उपयोग प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर सकता है, मगर यह सच नहीं है. इस बात का कोई सबूत नहीं है कि यह लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है. ये वैक्सीन प्रजनन क्षमता को भी नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. वे गर्भावस्था के दौरान उपयोग के लिए भी सुरक्षित हैं.