सेकेंड हैंड कार खरीदते समय नहीं रहेगा धोखेबाजी का डर, सरकार लाने जा रही है ये नए नियम
नई दिल्ली। अगर आप एक सेकेंड हैंड कार खरीदने का प्लान बना रहे हैं, लेकिन डर है कि कहीं डीलर आपको चोरी की कार या किसी ऐसे मॉडल को न थमा दे, जिसके कोई मान्य कागजात नहीं है, तो अब आपको चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने प्री-ओन्ड वाहनों के एक नए नियम को लाने के लिए एक ड्राफ्ट नोटिफिकेश जारी किया है।
राजमार्ग मंत्रालय ने सेकेंड हैंड कार बाजार में नए नियम को रेगुलेट करने के लिए के लिए केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 के चैप्टर III में संशोधन का प्रस्ताव करते हुए इस ड्राफ्ट नोटिफिकेशन लाया है।
ड्राफ्ट नोटिफिकेशन के मुताबिक, अब यूज़्ड कारों डीलरों को वाहनों का मालिक समझा जाएगा। हालांकि, इसके लिए पहले कुछ प्रक्रिया करनी होगी। वाहन के मालिक को अपनी पुरानी कार डीलर को बेचते समय क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय को ऑनलाइन या ऑफलाइन माध्यमों से इसके बारे में सूचित करना होगा। जिससे डीलर एक रजिस्टर्ड मालिक बन जाएगा।
सेकेंड हैंड कार खरीदने वाले डीलर को ऑथराइजेशन सर्टिफिकेट जारी होने के बाद, वे इसके आधार पर अपने नाम पर रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, डुप्लिकेट आरसी, फिटनेस सर्टिफिकेट, नो ऑबजेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) और ट्रांसफर ऑफ ओनरशिप के लिए आवेदन कर सकेंगे। गौरतलब है कि ऑथराइजेशन सर्टिफिकेट की मान्यता केवल पांच सालों के लिए ही रहेगी। इसके बाद डीलर को उस कार का मालिक नहीं समझा जाएगा।
ड्राफ्ट नोटिफिकेशन में प्रस्तावित नियमों का लाभ डीलरों के साथ-साथ खरीदारों को भी होगा। उल्लेख किए गए नियमों के मुताबिक, एक बार ऑथराइजेशन सर्टिफिकेट जारी होने के बाद उस कार से हुई किसी भी दुर्घटना के लिए कार डीलर पूरी तरह से जिम्मेदार होगा। साथ ही आरटीओ के पास इसकी पूरी जानकारी होगी कि डीलर ने सभी मानदंड का पालन किया है कि नहीं।
ऐसे में खरीदार सीधा आरटीओ जाकर कार के बारे में पूरी जानकारी ले सकता है और किसी भी धोकेबाजी से बच सकता है। इसके अलावा अगर डीलर ने मानदंड का पालन नहीं किया तो उसका ऑथराइजेशन सर्टिफिकेट पूरी तरह से रद्द हो सकता है।