झालावाड़ स्कूल हादसे में लापरवाही पर गिरी गाज : महिला प्रिंसिपल समेत 4 शिक्षक सस्पेंड, 8 मासूमों की गई जान
झालावाड़। ज़िले के पिपलोदी गांव स्थित सरकारी स्कूल में छत गिरने से हुई 8 बच्चों की मौत के बाद प्रशासन हरकत में आया है। हादसे की जिम्मेदारी तय करते हुए स्कूल की महिला प्रिंसिपल समेत चार शिक्षकों को निलंबित कर दिया गया है। यह कार्रवाई प्रथम दृष्टया लापरवाही मानते हुए की गई है, क्योंकि लगातार बारिश से जर्जर हो चुकी बिल्डिंग की शिकायतों के बावजूद कोई ऐहतियात नहीं बरता गया।
बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने भी कार्रवाई की जानकारी देते हुए बताया कि इस मामले में राजनीति करने की बजाय लोगों को राहत पहुंचाने की बात करनी चाहिए। हमारे लोगों ने वहां 71 यूनिट ब्लड की व्यवस्था की है।
पिपलोदी स्कूल में शुक्रवार सुबह जब बारिश हो रही थी, उस वक्त सभी बच्चों को खुले मैदान में प्रार्थना कराने की बजाय एक पुराने कमरे में बैठा दिया गया। कुछ ही देर बाद कमरे की छत भरभराकर गिर गई। 35 बच्चे मलबे में दब गए। 8 बच्चों की जान चली गई, जबकि 27 घायल हो गए, जिनमें से 8 की हालत गंभीर है।

स्कूल की महिला प्रिंसिपल और तीन अन्य शिक्षकों को निलंबित कर दिया गया है। जांच में सामने आया कि स्कूल की बिल्डिंग पहले से जर्जर थी, लेकिन उसकी मरम्मत नहीं कराई गई। न ही किसी जिम्मेदार अधिकारी को इस बारे में जानकारी दी गई। लापरवाही का यह रवैया 8 मासूम जिंदगियों पर भारी पड़ गया।
ग्रामीणों में गहरा आक्रोश है। उनका आरोप है कि कई बार शिकायतों के बावजूद न तो शिक्षा विभाग ने ध्यान दिया, न ही प्रशासन ने निरीक्षण किया। हादसे के बाद पूरे गांव में मातम पसरा हुआ है। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने हादसे पर दुख जताया है। लेकिन ग्रामीणों की पीड़ा इन शोक संदेशों से नहीं घट रही। उनका सवाल है – “जब बिल्डिंग जर्जर थी, तब क्यों नहीं की गई कोई मरम्मत? मासूम बच्चों को क्यों बैठाया गया मौत के कमरे में?”