90 प्रतिशत जीएसटी रिफंड अब स्वचालित रूप से दिया जाएगा – केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
कोलकाता । केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Union Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने कहा कि 90 प्रतिशत जीएसटी रिफंड (90 percent GST Refunds) अब स्वचालित रूप से दिया जाएगा (Will now be given Automatically) । केवल 10 प्रतिशत मामलों में जांच की जाएगी, ताकि सही व्यक्ति को रिफंड मिले।
कोलकाता के राष्ट्रीय पुस्तकालय भाषा भवन में आयोजित ‘नेक्स्ट जेन जीएसटी’ कार्यक्रम में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जीएसटी से जुड़े कई अहम पहलुओं पर विस्तार से बात की। उन्होंने बताया कि जीएसटी की दरें कभी भी बिना योजना के तय नहीं की गई हैं और इसके पीछे गहराई से विचार किया गया है। निर्मला सीतारमण ने पश्चिम बंगाल के संदर्भ में कहा कि 22 सितंबर को जो नया जीएसटी अनुपालन लागू हुआ, वह मुख्य रूप से पूजा को ध्यान में रखकर किया गया है। शुरुआत में कुछ लोग चाहते थे कि यह 10 सितंबर से लागू हो, लेकिन बाद में तय हुआ कि यह महालया और नवरात्रि के पहले दिन से लागू होगा। उन्होंने सवाल किया, “क्या आप बंगाल के इस प्रभाव को नजरअंदाज कर सकते हैं?”
उन्होंने बंगाल की विशिष्ट सांस्कृतिक और हस्तशिल्प वस्तुओं के लिए जीएसटी दरों में कटौती का जिक्र करते हुए बताया कि 11 खास बंगाली आइटम्स की दरें 5 प्रतिशत कर दी गई हैं। इनमें शांतिनिकेतन की चमड़े की वस्तुएं (5 प्रतिशत), बांकारा टेराकोटा शिल्प (5 प्रतिशत), मधुर्कटी माच (5 प्रतिशत), पुरुलिया चौ मुखौटे (5 प्रतिशत), दिनाजपुर के लकड़ी के मुखौटे (5 प्रतिशत), मालदा के प्रसंस्कृत आम (5 प्रतिशत), दार्जिलिंग चाय (5 प्रतिशत) और जूट बैग्स (5 प्रतिशत) शामिल हैं। निर्मला सीतारमण ने कहा कि इन कटौतियों से पश्चिम बंगाल के कारीगरों और उत्पादकों को काफी लाभ होगा।
निर्मला सीतारमण ने कहा कि जीएसटी की दरों की समीक्षा की जरूरत इसलिए पड़ी, क्योंकि इसका मकसद था मध्यम वर्ग और किसानों को फायदा पहुंचाना। साथ ही एमएसएमई यानी सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के लिए भी यह जरूरी था कि उन्हें राहत मिले। उन्होंने यह भी कहा कि अंततः जीएसटी सुधार का अंतिम मकसद पूरे देश की अर्थव्यवस्था के व्यापक हित में था। वित्त मंत्री ने कहा कि भविष्य में संभव है कि जीएसटी की एक एकल दर हो। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि हाल ही में जैसलमेर में हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में उत्तर प्रदेश सरकार के अनुरोध पर कुछ दरों की समीक्षा की गई। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि जमीनी स्तर पर कुछ गड़बड़ियां थीं, जिन्हें दूर कर अनुपालन को आसान बनाया जा सके। इस प्रक्रिया में भी कई सुधार किए गए हैं।

सीतारमण ने कहा, “जीएसटी काउंसिल एक संवैधानिक संस्था है। प्रधानमंत्री ने लाल किले से जो बयान दिया था, वह केवल एक संकेत था, उन्होंने दरें तय नहीं की थीं। विपक्ष के कई राज्य, जिनमें पश्चिम बंगाल भी शामिल है, स्लैब कटौती और स्वास्थ्य योजना की छूट जैसी बातों पर हमारे साथ थे। कई बार समर्थन अनाम रूप में भी मिलता है।” उन्होंने यह भी कहा कि जीएसटी काउंसिल में लगभग एक तिहाई हिस्सेदारी सरकार की है, जबकि दो तिहाई हिस्सेदारी विपक्ष की है।
निर्मला सीतारमण ने बताया कि राज्यों ने मिलकर जीएसटी स्लैब घटाने के प्रस्ताव पर सहमति जताई है। उन्होंने सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों को व्यक्तिगत पत्र भी लिखे। उन्होंने कहा कि किसी ने भी व्यक्तिगत आय पर कर दरों में कटौती की कल्पना नहीं की थी। विभाग लगातार टैक्स सुधारों की समीक्षा कर रहा है। उन्होंने कहा, “ब्यूरोक्रेट्स काम करते हैं और नेताओं को समर्थन देना होता है। प्रधानमंत्री ने जीएसटी की सरलता की बात कही थी और देश के हर नागरिक पर इसका असर पड़ा है।”
निर्मला सीतारमण ने इस दौरान कहा कि 90 प्रतिशत जीएसटी रिफंड अब स्वचालित रूप से दिया जाएगा, जबकि केवल 10 प्रतिशत मामलों में जांच की जाएगी, ताकि सही व्यक्ति को रिफंड मिले। उन्होंने विपक्षी पार्टियों से अपील की कि वे जीएसटी काउंसिल के संवैधानिक अधिकार का सम्मान करें और राजनीतिक विवादों को पीछे छोड़कर देशहित में काम करें। इस मौके पर वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि जीएसटी सुधारों का मूल उद्देश्य देश के मध्यम वर्ग, किसानों, एमएसएमई और पूरे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देना है। उन्होंने कहा, “ये सुधार सभी नागरिकों के लिए सकारात्मक बदलाव लाएंगे।”
