धर्म

चिन्मय मिशन लखनऊ द्वारा आयोजित मानस ज्ञान यज्ञ

के तृतीय दिवस के सत्र में कागभुशुण्डि गरुड़ संवाद पर प्रवचन करते हुए स्वामी अद्वैतानंद जी ने बताया कि गरुड़ जी कागभुशुण्डि जी से प्रश्न पूछते हैं कि कौन सा शरीर सबसे दुर्लभ है। कागभुशुण्डि जी कहते हैं की हम संक्षेप में कहेंगे और आप मन बुद्धि चित्त लगाकर अर्थात एकाग्र चित्त प्रेम सहित सुनो कि “नर तन सम नहीं कवनिऊ देही” मुनष्य के समान कोई दूसरा शरीर नहीं क्योंकि परमात्मा ने बुद्धि दी है विचार चिंतन निर्णय कर अपना हित मार्ग चुन लेने की। इस बुद्धि से मनुष्य अपने कर्म का निश्चय कर स्वर्ग नर्क अपवर्ग आदि प्राप्त कर सकता है और आत्मज्ञान से मोक्ष प्राप्त कर सकता है। अज्ञानी जीवन मरण चक्र में फंसा बार बार मरता है, पुनरपि जननं पुनरपि मरण।परंतु ज्ञानी आत्मज्ञान प्राप्त कर जीवनमुक्त जीवन जीता है और समय आने पर शरीर त्याग कर सदा के लिए उस परमात्मा के साथ एकाकार हो जाता है और जीवन मरण चक्र से मुक्त हो जाता है।

आज के कार्यक्रम में ब्रह्मचारी कौशिक चैतन्य, ऊषा गोविंद प्रसाद, किरण मेहता, पंकज अग्रवाल, विष्णु प्रसाद त्रिपाठी, आर. एस. त्रिपाठी, भावना अवस्थी, श्रीकांत अरोड़ा, विनीत तिवारी, अजीत कुमार, देवेश शुक्ला, संगीता, अनिल जैन, अजीत द्विवेदी, आदि ने भाग लिय

यह ज्ञान यज्ञ 29 फरवरी 2024 तक प्रतिदिन 06ः30 से 8 बजे सायं बौद्ध शोध संस्थान में आयोजित होगा।

 

नोट: अगर आपको यह खबर पसंद आई तो इसे शेयर करना न भूलें, देश-विदेश से जुड़ी ताजा अपडेट पाने के लिए कृपया The Lucknow Tribune के  Facebook  पेज को Like व Twitter पर Follow करना न भूलें... -------------------------