उत्तर प्रदेश

आईवीआरआई ने भेड़ों में होने वाली बीमारी पीपीआर और शीपपाक्स का संयुक्त टीका तैयार कर नया कीर्तीमान स्थापित किया

बरेली, 17 जुलाई । भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आई वी आरआई )ने पशु रोग उन्मूलन में एक नया कीर्तीमान स्थापित किया है। संस्थान ने भेड़़ों में होने वाली बीमारी पीपीआर और शीपपाक्स का संयुक्त टीका तैयार किया जिसे कल भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) नई दिल्ली के 96 वें स्थापना एवं प्रौद्योगिकी दिवस पर आयोजित समारोह में माननीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा श्री राजीव रंजन सिंह, माननीय केन्द्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री, श्री जार्ज कुरियन, माननीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय में राज्य मंत्री, प्रोफेसर एस.पी. सिंह बघेल, माननीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय में राज्य मंत्री, श्री रामनाथ ठाकुर, माननीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री, श्री भागीरथ चौधरी, माननीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री, डा. हिमांशु पाठक, सचिव, डेयर एवं महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (भा.कृ.अ.प.) , श्री संजय गर्ग, अपर सचिव, डेयर एवं सचिव भा.कृ.अ.प. तथा श्रीमती अलका अरोड़ा, अपर सचिव एवं वित्तीय सलाहकार, डेयर, भा.कृ.अ.प. तथा आईवीआरआई के निदेशक डा. त्रिवेणी दत्त की गरिमामयी उपस्थिति में रिलीज किया गया।
पीपीआर और शीपपॉक्स अत्यधिक संक्रामक वायरल रोग हैं जो मुख्य रूप से छोटे जुगाली करने वाले पशुओं, विशेष रूप से भेड़ों को प्रभावित करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप अस्वस्थता तथा मृत्यु भी हो जाती है और किसानों को काफी आर्थिक नुकसान होता है। दरअसल, पीपीआर (पेस्ट डेस पेटिट्स रूमिनेंट्स) और शीप पॉक्स विषाणु जनित खतरनाक बीमारी है। यह बीमारी अक्सर भेड़ों में होती है। इस बीमारी के चपेट में आने पर भेड़ों को बुखार आता है। उनकी आंख और नाक से पानी बहने लगता है। मुंह के अंदर लालीपन हो जाता है। साथ ही शरीर में गांठें बनने लगती है, जिनसे रक्तस्राव होने लगता है। यदि समय पर टीका नहीं लगा है तो इस बीमारी का संक्रमण होने पर एक सप्ताह के भीतर भेड़ों की मौत हो जाती है।

इन रोगों से बचाने का मुख्य उपाय भेड़ों में टीकाकरण है। वर्तमान में पीपीआर और शीपॉक्स के लिए अलग-अलग टीके उपलब्ध हैं जो 3-4 साल तक सुरक्षा प्रदान करते हैं। भेड़ों में दोनों रोगों के लिए संयुक्त टीकाकरण से लागत, समय, श्रम की बचत तो होगी ही साथ ही साथ टीकाकरण से जानवरों के तनाव को काफी कम करने में मदद मिलेगी ।

इस संयुक्त टीके को स्वदेशी उपभेदों, पीपीआर सुंगरी/96 और शीप पॉक्स श्रीनगर 38/00 का उपयोग कर आईवीआरआई द्वारा विकसित किया गया है। इस तकनीक से पीपीआर और शीपपॉक्स रोग पर नियंत्रण के प्रयासों को कारगर बनाने की उम्मीद है।
संस्थान के इन 15 वैज्ञानिकों की टीम ने तैयार किया टीका है- डॉ. डी. मुथुचेलवन; डॉ. भानुप्रकाश वी; डॉ. वी. ज्ञानवेल; डॉ. एम होसामनी; डॉ. वी. बालामुरुगन; डॉ. बी.पी. श्रीनिवास; डॉ. आर. पी. सिंह; डॉ. पी. धर; डॉ. आर. एन. रॉय; डॉ. एस. के. बंद्योपाध्याय; डॉ. राज कुमार सिंह; डॉ. एस. चंद्रशेखर; डॉ. अमित कुमार; डॉ. एम. ए. रामकृष्णन, डाॅ त्रिवेणी दत्त। बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट