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आईवीआरआई में बकरी पालन द्वारा उद्यमिता विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ

बरेली ,03 सितम्बर । अनुसूचित जाति उपयोजना केे अन्तर्गत अनुसूचित जाति के पशुपालकों, उद्यमियों, युवाओं एवं युवतियों हेतु आईवीआरआई में 05 दिवसीय बकरी पालन द्वारा उद्यमिता विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम का कल शुभारम्भ किया गया। यह कार्यक्रम पशुधन उत्पादन एवं प्रबन्धन अनुभाग भाकृअनुप-भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर द्वारा आयोजित किया जा रहा है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में बरेली जनपद एवं आस पास के 25 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं।
समारोह के उदघाटन अवसर पर बोलते हुये संस्थान की संयुक्त निदेशक, प्रसार शिक्षा डा. रूपसी तिवारी ने कहा कि बकरी पालन में आज के परिवेश में उद्यमिता की असीम संभावनायें हैं क्योंकि बकरी के मांस की मांग एवं खपत सबसे ज्यादा है एवं सामाजिक एवं धार्मिक वर्जनाएँ भी नहीे हैं। इसका दुग्ध सुपाच्य एवं औषधीय गुणों से भरूपूर है। उन्होंने बकरी पालन व्यवसाय को उद्यमिता का रूप देने के लिए कृषक उत्पादक संगठन के निमार्ण पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि संस्थान द्वारा भेड़ एवं बकरी पालकों के लिए भेड़ एवं बकरी श्रिया चैटवाट तैयार किया है जो गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त आईवीआरआई ने ऑन लाइन पशु चिकित्सा क्लीनिक तथा टेली कन्सलटेंसी सर्विस की सेवायें उपलब्ध हैं जो बकरी पालकों के लिए बहुत सहायक होगा।

इस अवसर पर पशुधन उत्पादन एवं प्रबन्धन विभाग के प्रभारी डा. मुकेश सिंह ने बताया कि अधिकांश बकरियां लघु, सीमान्त किसान या भूमिहीनों द्वारा मांस, दूध, त्वचा, बाल/फाइबर और खाद का एवं आजीविका के लिये पाली जाती है। आज के दौर में बढती आबादी, बढती आय, खाद्य वरीयताओं और खाद्य पदार्थों के प्रति जागरुकता के कारण दूध की कीमत, एवं बकरी के मांस की मांग उपभोक्ता तेजी से बढ़ रही है। इसलिये बकरी पालन द्वारा उद्यमिता विकास में असीमित संभावनायें हैं।
इस अवसर पर कार्यक्रम के समन्वयक डॉ हरि ओम पाण्डेय ने प्रशिक्षण कार्यक्रम के बारे में बताते हुए कहा कि इस दौरान प्रतिभागियों को बकरी पालन पर वैज्ञानिक प्रबन्धन, बकरी की प्रमुख नस्लेंः मुख्य लक्षण एवं विशेषतायें, बकरियों का चयन एवं उत्तम संतति हेतु प्रजनन प्रबंधन, बकरियों की प्रमुख बीमारियां, लक्षण, निदान एवं नियन्त्रण, बकरियों के लिये आवास निर्माण एवं प्रबन्धन, विभिन्न आयुवर्ग की बकरियों के लिये आवश्यक आहार की गणना एवं प्रबन्धन, बकरियों में अन्तः एवं बाह्रय परजीवी रोग, लक्षण, निदान एवं नियन्त्रण, बकरी के दूध की विशेषतायें एवं बढता महत्व, बकरी पालन के अपशिष्टो से वर्मीकम्पोष्ट उत्पादन, एकीकृत बकरी पालन एवं उससे होने वाला लाभ एवं लघु एवं मध्यम बकरी पालन का अर्थशास्त्र पर तकनीकी जानकारी प्रदान की जायेगी।
कार्यक्रम का संचालन पशुधन उत्पादन एवं प्रबन्धन अनुभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा हरिओम पाण्डेय द्वारा किया गया जबकि धन्यवाद ज्ञापन इसी विभाग के डा. अयोन तरफदार द्वारा किया गया। इस अवसर पर डा. ए.के.एस. तोमर, डा. ओमवीर सिंह एवं प्रबन्धन अनुभाग के अधिकारी एवं कर्मचारीगण शामिल रहे। बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट

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