उत्तर प्रदेश

रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय में शिक्षक दिवस पर राष्ट्र निर्माण में शिक्षकों की भूमिका विषय पर संगोष्ठी का आयोजन

बरेली,06 सितम्बर।महात्मा ज्योतिबाफुले रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय बरेली में कल शिक्षक दिवस के अवसर पर राष्ट्र निर्माण में शिक्षकों की भूमिका विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें डॉ. सर्वपल्ली एस. राधाकृष्णन जी को स्मरण करते हुए कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन से किया गया। विश्वविद्यालय सांस्कृतिक केंद्र की संगीत क्लब की छात्राओं द्वारा सरस्वती वंदना की प्रस्तुति की गई ।अतिथियों के औपचारिक स्वागत के पश्चात इस विषयक विचार विभिन्न संकायाध्यक्ष, डीन एकेडमिक्स, अधिष्ठाता छात्र कल्याण,कुलसचिव द्वारा रखे गए । कार्यक्रम में कुलपति प्रो. के.पी. सिंह जी द्वारा अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि गुरु की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है ।गुरु और शिष्य का रिश्ता अलौकिक है तथा मेंटर के रूप में शिष्य का विकास करना ही गुरु का उद्देश्य रहता है। गुरु विद्यार्थियों के लिए ज्ञानप्रदाता, संपर्क स्थापित करने वाला, आत्मीय संबंध बनाए रखने वाला तथा अपना सकारात्मक प्रभाव शिष्यों के व्यक्तित्व पर छोड़ने वाला होना चाहिए। विश्वविद्यालय ज्ञान निर्माण तथा मेधा संवर्धन के केंद्र हैं तथा शिक्षकों के माध्यम से ही ऐसा वातावरण विद्यार्थियों के लिए निर्मित किया जाता है, जो उनमें विभिन्न कौशलों का विकास कर ,उनको विभिन्न अवसर प्रदान कर उनकी क्षमताओं को तलाशता है । शिक्षक ही उन्हें जीवन में न केवल चुनौतियों को स्वीकारना और इन संघर्षों का सामना करना सिखाता है। है । भारतीय ज्ञान परंपरा के अनुसार गुरु ही हमको वास्तविक रूप में जीवन का ज्ञान करवा जीवन में नई दिशा भी दिखाता है। कार्यक्रम में अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रोफेसर पी.बी .सिंह द्वारा विश्वविद्यालय के शिक्षकों द्वारा रैंकिंग तथा विश्वविद्यालय के विकास तथा विद्यार्थियों में मूल्य विकास और ज्ञान प्रदान करने में शिक्षकों की भूमिका पर अपने विचार व्यक्त किए गए । इसी क्रम में प्रो. के.वी .आर्य,निदेशक ट्रिपल आ. ई.टी. ग्वालियर द्वारा शिक्षकों को व्यवहार तथा सीखने पर ध्यान देना राष्ट्र निर्माण के लिए महत्वपूर्ण बताया गया। प्रो. एस.के. पांडे द्वारा रामचरितमानस के उदाहरण देते हुए गुरु किस प्रकार शिष्यों के जीवन में भूमिका निभाते हैं, इस पर प्रकाश डाला गया। प्रो.सुमित्रा कुकरेती द्वारा गुरु वशिष्ठ ,गुरु विश्वामित्र, समर्थ गुरु रामदास, रामकृष्ण परमहंस के उदाहरण देते हुए शैक्षिक गुरु की परिकल्पना और महत्व के विषय में बताया गया । संकायाध्यक्ष, अभियांत्रिकी प्रो .शोभना सिंह द्वारा शैक्षिक संस्थानों में किस प्रकार विद्यार्थियों का विकास किया जाए और शिक्षकों के समक्ष आने वाली चुनौतियां के बारे में चर्चा की गई। संकायाध्यक्ष सामाजिक विज्ञान द्वारा छात्र विकास में शिक्षक के भूमिका के व्यवहारिक पहलुओं पर प्रकाश डाला गया। कुलसचिव श्री संजीव कुमार द्वारा विद्यार्थियों को शिक्षकों से लगातार सीखने के गुर बताए गेयर उन्हें जीवन में अपनाने हेतु प्रेरित किया गया। मंच संचालन सांस्कृतिक समन्वयक डॉ.ज्योति पाण्डेय द्वारा किया गया।धन्यवाद ज्ञापन प्रो.तूलिका सक्सेना द्वारा किया गया। कार्यक्रम के सांस्कृतिक समन्वयक डॉ. ज्योति पाण्डेय,प्रो. तूलिका सक्सेना, डॉ. इंद्रप्रीत कौर, प्रो. शोभना सिंह, प्रो.विजय बहादुर यादव, प्रो. सुमित्रा कुकरेती, प्रो. उपेंद्र कुमार, प्रो.आलोक श्रीवास्तव , प्रो. ए.के.सिंह, प्रो. जे.एन. मौर्य ,प्रो. नवीन कुमार, प्रो.संतोष अरोरा, डॉ.अमित कुमार सिंह, डॉ.एम.एस.करुणा, डॉ.अजीत सिंह,श्री तपन वर्मा सहित समस्त संकायाध्यक्ष,विभागाध्यक्ष, निदेशक, समन्वयक, शिक्षक गण, कर्मचारीगण तथा विद्यार्थी उपस्थित रहे।

बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट

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