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कैबिनेट में एंट्री के बाद डेढ़ साल में CM, आतिशी को चुनने के पीछे ये 4 वजह हैं अहम

नई दिल्‍ली : आतिशी को दिल्ली की नई CM चुनने के पीछे ये 4 वजह हैं अहम, कैसे डेढ़ साल में तय किया मंत्री से मुख्यमंंत्री तक दिल्ली में ‘आप’ सरकार की मौजूदा शिक्षा एवं वित्त मंत्री आतिशी दिल्ली की अगली मुख्यमंत्री होंगी। आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई विधायक दल की बैठक में आतिशी सर्वसम्मति से नेता चुनी गईं। ‘आप’ के प्रदेश संयोजक गोपाल राय ने कहा कि दिलीप पांडेय की ओर से आतिशी के नाम का प्रस्ताव रखा गया था। शाम 4.30 बजे उपराज्यपाल विनय सक्सेना से भेंट कर अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से अपना इस्तीफा सौंप दिया। इसके बाद आतिशी ने एलजी के समक्ष सरकार बनाने का दावा पेश किया।

कालकाजी विधानसभा सीट से विधायक आतिशी दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री होंगी। इससे पहले भाजपा से सुषमा स्वराज और कांग्रेस की ओर से शीला दीक्षित दिल्ली की सत्ता संभाल चुकी हैं। आतिशी को 09 मार्च 2023 को पहली बार मंत्री बनाया गया था। मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद उन्हें केजरीवाल कैबिनेट में एंट्री मिली थी। उन्हें सिसोदिया की करीबी माना जाता है।

दिल्ली में पली-बढ़ीं आतिशी का जन्म 8 जून 1981 में विजय सिंह तोमर और तृप्ता वाही के घर में हुआ है। वे मूल रूप से पंजाब के रहने वाले हैं, लेकिन आतिशी दिल्ली में पली-बढ़ी हैं। यह राजपूत फैमिली से आती हैं, परंतु उनके अभिभावक ने इनके नाम के साथ मार्लेना शब्द जोड़ा। हालांकि, 2018 में इन्होंने सिर्फ आतिशी नाम से अपने नाम को आगे बढ़ाया। अब हर जगह उन्हें केवल आतिशी के नाम से जाना जाता है।

आतिशी शुरू से ही पढ़ाई में अच्छी स्कॉलर रही हैं। स्प्रिंगडेल स्कूल पूसा रोड से स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद आतिशी ने दिल्ली विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले सेंट स्टीफन से इतिहास में स्नातक की पढ़ाई 2001 में पूरी की। उसके तुरंत बाद स्कॉलरशिप पर ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से इतिहास में मास्टर डिग्री ली। 2005 में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से रोड्स स्कॉलरशिप के साथ मैग्डेलस कॉलेज से पढ़ाई की।

आतिशी का चयन क्यों

■ आतिशी पार्टी के साथ शुरुआती दिनों से जुड़ी हुई हैं। दिल्ली शिक्षा मॉडल समेत कई योजनाओं को आकार देने में अहम भूमिका रही।

■ मनीष सिसोदिया व अरविंद केजरीवाल के जेल जाने के बाद सरकार में सबसे ज्यादा विभागों के साथ अपने काम को आगे बढ़ाया।

■ पार्टी व सरकार के मुद्दों को हर मंच पर जोरदार तरीके से उठाती रहीं। अच्छी नीतिकार के साथ, सरकार में फिलहाल अच्छी पकड़ है।

■ वह आम आदमी पार्टी के भरोसेमंद नेताओं में शामिल है।

सीएम चुने जाने पर आतिशी ने कहा कि मैं खुश हूं, लेकिन दुखी भी हूं, क्योंकि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफा दे दिया। मैं आप के सभी विधायकों और दिल्ली की 2 करोड़ जनता की तरफ से कहना चाहती हूं कि दिल्ली का एक ही मुख्यमंत्री है और उसका नाम अरविंद केजरीवाल। भाजपा ने पिछले दो साल से केजरीवाल को परेशान करने और उनके खिलाफ षड्यंत्र रचने में कोई कसर नहीं छोड़ी। ऐसा आदमी जो आईआरएस की नौकरी ठुकरा सकता है, मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे सकता है, ऐसे ईमानदार आदमी पर भाजपा ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाए, उन्हें झूठे केस में जेल में रखा। आतिशी ने पत्रकारों से कहा कि अब हमें अगले कुछ महीनों तक जमकर काम करना है। केजरीवाल ने जो विकास कार्य जनता के लिए शुरू किए हैं, उन्हें जारी रखना है। हमारा एक ही उदेश्य है कि प्रचंड बहुमत के साथ केजरीवाल को दोबारा मुख्यमंत्री बनाया जाए।

दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा, ”चेहरा बदलने से आम आदमी पार्टी का चरित्र नहीं बदलेगा। केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी 10 वर्ष के शासन में भ्रष्टाचार के लिए अभी भी जवाबदेह है। नई मुख्यमंत्री को बताना होगा कि उन्होंने दिल्ली के लोगों को कैसे लूटा।” दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष देवेन्द्र यादव ने कहा, ”आतिशी को शुभकामनाएं। उन्हें लोगों की समस्याएं हल करने व महिलाओं पर बढ़ते अत्याचार को रोकने लिए काम करना चाहिए। आप लोगों की समस्याओं को दरकिनार नहीं कर सकती है।”

दिल्ली में नई सरकार के गठन में उपराज्यपाल से लेकर राष्ट्रपति की बड़ी भूमिका होती है। नए मुख्यमंत्री बनने के बाद नए सिरे से कैबिनेट का गठन किया जाता है। प्रक्रिया के मुताबिक, सबसे पहले सीएम को अपना इस्तीफा उपराज्यपाल को सौंपना होता है। इस पर एलजी की तरफ से मंजूरी दी जाती है और उसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है। उसके बाद राष्ट्रपति भी इस्तीफे को मंजूर करते हैं। इसी तरह नई सरकार की प्रक्रिया पूरी होती है। नियमों के अनुसार, विधायक दल का नया नेता अपने सदस्यों के साथ उपराज्यपाल से मिलता है और नई सरकार बनाने का दावा पेश करता है। इस पर पहले उपराज्यपाल की सहमति लेनी होती है और उसके बाद आखिरी मुहर राष्ट्रपति की लगती है। अंत में मुख्यमंत्री व उनकी कैबिनेट का शपथ ग्रहण होता है।

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