आईवीआरआई द्वारा “इंडस्ट्री-अकादमिक इंटरफेस मीट 2025-26” का सफल आयोजन
बरेली,06 अगस्त।भाकृअनुप-भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई), इज्जतनगर द्वारा “इंडस्ट्री-अकादमिक इंटरफेस मीट 2025-26” का सफल आयोजन किया गया, जिसमें 19 उद्योगों के 24 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इन प्रमुख उद्योगों में ई डब्लू न्यूट्रिशन इंडिया, एमएसडी एनिमल हेल्थ, हेस्टर बायोसाइंसेज़, एलेन्को इंडिया, केवा पॉलीकेम, विरबैक एनिमल हेल्थ इंडिया, इंडोवैक्स, बोएरिंगर इंगेलहाइम, इंटास, बायोवेट, हिपरा इंडिया, ज़ेनेक्स एनिमल हेल्थ, ज़ोएटिस इंडिया, ब्रिलियंट बायो फार्मा, ग्लोबियन इंडिया, वैक्सिंडो एनिमल हेल्थ, रिलायंस लाइफ साइंसेज़, हूवेफार्मा सी, एवं आईआईएल शामिल थे।
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए आईवीआरआई के माननीय निदेशक एवं कुलपति डॉ. त्रिवेणी दत्त ने उद्योग प्रतिनिधियों का धन्यवाद करते हुए आईवीआरआई की 1889 से चली आ रही गौरवशाली विरासत का उल्लेख किया और पशु चिकित्सा विज्ञान में संस्थान के अभूतपूर्व योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने संस्थान द्वारा शुरू किए गए नए शैक्षणिक कार्यक्रमों जैसे बी.टेक (बायोटेक), एमबीए (एग्री बिजनेस मैनेजमेंट), खाद्य प्रौद्योगिकी में आगामी स्नातक कार्यक्रम और विभिन्न प्रमाणपत्र/व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की जानकारी दी। उन्होंने नई शिक्षा नीति (एनईपी) के अंतर्गत उद्योग सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया, जिसके अनुसार छात्रों को औद्योगिक परिवेश में शोध कार्य करना होगा । उन्होंने उद्योगों से सीएसआर फंडिंग के द्वारा संस्थान में अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं को विकसित करने, सेंट्रल इंस्ट्रूमेंटेशन फैसिलिटी (सीआईएफ) एवं मानव चिकित्सालय को मजबूती प्रदान करने के लिए अनुरोध किया।
इससे पूर्व बैठक की शुरुआत डॉ. रूपसी तिवारी, संयुक्त निदेशक (प्रसार शिक्षा) के स्वागत भाषण से हुई। उन्होंने प्रतिभागियों का परिचय कराया और बैठक की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि यह मंच संस्थान की तकनीकों को प्रदर्शित करने, सहयोगात्मक अनुसंधान को बढ़ावा देने, छात्रवृत्ति और सीएसआर फंडिंग के माध्यम से छात्रों को वित्तीय सहायता प्रदान करने तथा उद्योग विशेषज्ञों को “प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस” के रूप में शामिल करने के लिए एक रणनीतिक अवसर प्रदान करता है। उन्होंने उद्योग प्रतिनिधियों से प्राप्त प्रतिक्रियाएं भी साझा कीं, जिन्होंने संस्थान से गहरे जुड़ाव की इच्छा को दर्शाया।
इसके उपरांत दो तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया जिनमें प्रथम सत्र में डॉ. बबलू कुमार, प्रभारी, आईटीएमयू ने आईवीआरआई की बौद्धिक संपदा की जानकारी दी, जबकि डॉ. प्रणब धर, विभागाध्यक्ष, जैविक मानकीकरण विभाग ने वैक्सीन और डायग्नोस्टिक के विकास की वर्तमान स्थिति पर प्रकाश डाला।
द्वितीय सत्र में उद्योग प्रतिनिधियों ने संस्थान के वैज्ञानिकों के साथ संवाद किया। इस दौरान सहयोगात्मक अनुसंधान के प्रमुख विषयों जैसे एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस (AMR), वन हेल्थ, रेबीज, और हाईली पैथोजेनिक एवियन इन्फ्लुएंजा (HPAI) पर चर्चा हुई। उद्योग प्रतिनिधियों ने वैक्सीन सुरक्षा और प्रभावशीलता पर सहयोग, छात्र कौशल विकास, इंटर्नशिप, और कैंपस भर्ती पर भी जोर दिया। शोध के दौरान उचित दस्तावेज़ीकरण की आवश्यकता और तकनीक के ट्रांसफर व स्केलेबिलिटी को लेकर सुझाव दिए गए।
इस अवसर पर उद्योग प्रतिनिधियों ने संस्थान के डिप्लोमा पाठ्यक्रमों की प्रशंसा की और नियामक मामलों (रेगुलेटरी अफेयर्स) में एक नए डिप्लोमा पाठ्यक्रम एवं उद्योग हेतु अनुकूलित प्रशिक्षण मॉड्यूल की मांग की। उन्होंने एग्री बिजनेस मैनेजमेंट में एमबीए शुरू के संस्थान की पहल की भी सराहना की। उद्योग प्रतिनिधियों ने एवियन इन्फ्लुएंजा, आईएलटी, और फेलाइन रोगों के लिए वैक्सीन की आवश्यकता बताई। साथ ही साथ आईएलटी और लो पैथोजेनिक एवियन इन्फ्लुएंजा (एलपीएआई) के लिए एक निगरानी कार्यक्रम की आवश्यकता पर बल दिया। सभी उद्योग प्रतिनिधियों ने सीएसआर फंडिंग के माध्यम से संस्थान के शिक्षा एवं शोध इंफ़्रास्ट्रक्चर में सहयोग देने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
कार्यक्रम का समापन निदेशक डॉ. त्रिवेणी दत्त के समापन उद्बोधन से हुआ, जिसमें उन्होंने संस्थान में एक मजबूत औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
कार्यक्रम का संचालन औषधि विभाग के डॉ अखिलेश कुमार द्वारा किया गया जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ. मिथिलेश सिंह, इम्यूनोलॉजी सेक्शन द्वारा प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर संयुक्त निदेशक (शैक्षणिक) डॉ. एस.के. मेंदीरत्ता, संयुक्त निदेशक (प्रसार शिक्षा) डॉ. रुपसी तिवारी, संयुक्त निदेशक (कैडरेड) डॉ. सोहिनी डे तथा विभिन्न विभागों के प्रमुख भी उपस्थित रहे। बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट

