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राजीव गांधी पेट्रोलियम प्रौद्योगिकी संस्थान (आरजीआईपीटी) में राष्ट्रीय खेल दिवस 2025 का भव्य आयोजन

रायबरेली: राजीव गांधी पेट्रोलियम प्रौद्योगिकी संस्थान (आरजीआईपीटी) में 29 से 31 अगस्त 2025 तक राष्ट्रीय खेल दिवस बड़े उत्साह और गरिमा के साथ मनाया गया। यह आयोजन हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद की जयंती को समर्पित रहा। कार्यक्रम का औपचारिक शुभारंभ संस्थान के माननीय निदेशक प्रो. हरीश हिरानी द्वारा किया गया।

इस अवसर पर छात्र मामलों के अधिष्ठाता डॉ. देबाशीष पांडा तथा परिषद संयोजक डॉ. शैलेश कुमार की उपस्थिति रही। निदेशक महोदय के नेतृत्व में राष्ट्रीय खेल दिवस शपथ ग्रहण समारोह आयोजित हुआ, जिसमें विद्यार्थियों को खेल भावना, अनुशासन एवं शारीरिक तंदुरुस्ती के महत्व का संकल्प दिलाया गया। इस वर्ष का विषय रहा – “एक घंटा खेल के मैदान में”। समारोह के अंतर्गत आंतर-हॉस्टल लीग प्रतियोगिताओं का शुभारंभ हुआ, जिनमें बास्केटबॉल, वॉलीबॉल और फुटबॉल के रोमांचक मुकाबले शामिल थे। साथ ही विद्यार्थियों की सक्रिय भागीदारी हेतु फिटनेस चुनौतियाँ भी आयोजित की गईं।

प्रतियोगिताओं में विश्वेश्वरैया हॉस्टल ने लड़कों की बास्केटबॉल एवं वॉलीबॉल लीग में जीत हासिल की, जबकि सी.वी. रामन हॉस्टल फुटबॉल लीग का विजेता रहा। लड़कियों की बास्केटबॉल में सरोजिनी हॉस्टल तथा वॉलीबॉल में असीमा चटर्जी हॉस्टल ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। कार्यक्रम में 150 से अधिक विद्यार्थियों ने भाग लेकर अद्भुत ऊर्जा, प्रतिस्पर्धात्मकता और टीम भावना का परिचय दिया। यह आयोजन न केवल मेजर ध्यानचंद को सच्ची श्रद्धांजलि रहा, बल्कि इसने आरजीआईपीटी की समृद्ध खेल संस्कृति, शारीरिक दक्षता और सर्वांगीण विकास के प्रति प्रतिबद्धता को भी सशक्त रूप से अभिव्यक्त किया।

सोशल सर्विस काउंसिल, राजीव गांधी पेट्रोलियम प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा दिनांक 27 से 31 अगस्त 2025 तक एक भव्य एवं आध्यात्मिक रूप से प्रेरणादायी कार्यक्रम गणेश पूजन का आयोजन किया गया। पाँच दिवसीय इस आयोजन का शुभारंभ भगवान गणेश पर आधारित चित्रकला प्रतियोगिता से हुआ, जिसमें छात्र–छात्राओं ने अपनी रचनात्मक प्रतिभा का प्रदर्शन कर आध्यात्मिकता के विविध स्वरूपों को अभिव्यक्त किया। विशेष रूप से आरती में हमारे माननीय निदेशक आचार्य हरीश हिरानी, छात्र मामलों के अधिष्ठाता डॉ. देबाशीष पांडा तथा परिषद संयोजक डॉ. अरविंद सिंह की उपस्थिति ने कार्यक्रम की गरिमा को और भी बढ़ा दिया। गणेश पूजन का यह आयोजन न केवल संगठनात्मक उत्कृष्टता का प्रतीक रहा, बल्कि इसने सांस्कृतिक सौहार्द, सृजनात्मकता और सामुदायिक एकता की भावना को भी सशक्त रूप से अभिव्यक्त किया।

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