आदर्श गौशाला: ऑक्सीजन का भंडार और जैव ऊर्जा व जीवनशैली की प्रेरणा
ग्वालियर स्थित आदर्श गौशाला आज केवल गोसेवा का केंद्र के साथ बल्कि पर्यावरण संरक्षण, ऑक्सीजन संवर्धन, और प्राकृतिक जीवनशैली का एक सशक्त और जीवंत मॉडल बन चुकी है।
कोरोना काल के दौरान, जब देशभर में ऑक्सीजन की भारी कमी से संकट गहराया, तब संत ऋषभ देवानंद जी को यह प्रेरणा मिली कि प्राकृतिक साधनों से ऑक्सीजन की उपलब्धता को कैसे बढ़ाया जा सकता है। इसी सोच के तहत, बीते चार वर्षों में गौशाला परिसर में 30 से अधिक ऑक्सीजन उत्सर्जक पौधों की विभिन्न प्रजातियों का रोपण किया गया, जिससे एक अद्वितीय “ऑक्सीजन भंडार” विकसित हुआ है। इसका विशेष लाभ उन लोगों को मिला है जो श्वसन संबंधी समस्याओं या प्रदूषण से प्रभावित थे।
गौशाला परिसर में मियावाकी तकनीक से विकसित सघन वन आज हरियाली, जैव विविधता और पर्यावरणीय संतुलन का अद्वितीय उदाहरण बन गया है। इस नवाचार की सराहना IAS प्रशिक्षु अधिकारियों से लेकर पश्चिम अफ्रीका से आए अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल तक ने की है।
यह स्थल अब केवल गोसेवा तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह सामाजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक गतिविधियों का केंद्र बन गया है। यहाँ नियमित रूप से जन्मदिन, विवाह वर्षगांठ, गोवर्धन पूजन, वैदिक विवाह तथा ग्रीष्मकालीन शिविर जैसे आयोजनों का आयोजन होता रहता है, जिनमें बड़ी संख्या में लोग उत्साहपूर्वक भाग लेते हैं।

गौरतलब है कि ग्वालियर मध्यप्रदेश के सबसे प्रदूषित शहरों में गिना जाता है। जहाँ एक ओर हरित क्षेत्र में 9% की वृद्धि दर्ज की गई है, वहीं दूसरी ओर जनसंख्या में 24% की तीव्र वृद्धि ने पर्यावरणीय संतुलन को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। ऐसे में आदर्श गौशाला की यह नवाचारपरक पहल समय की सख्त आवश्यकता बन गई है।
यहाँ आने वाले लोग ऑक्सीजन इनरिचमेंट, बायो-CNG उत्पादन, और ऑर्गेनिक फार्मिंग जैसी सतत गतिविधियों में न केवल सक्रिय भागीदारी कर रहे हैं, बल्कि CITU ऑक्सीजन सिटी बैंक प्लांटेशन जैसी पहलों से जुड़कर समाज को हरित, स्वच्छ और सतत जीवनशैली की ओर प्रेरित कर रहे हैं।
यह अभिनव पहल स्थानीय ही नहीं, राष्ट्रीय स्तर पर भी एक पर्यावरणीय समाधान के रूप में उभर रही है। आने वाले समय में यह मॉडल देश के अन्य शहरों और संस्थाओं के लिए भी प्रेरणा स्रोत बन सकता है।
