लाइफस्टाइल

अपने बच्चों को न समझ पाने की चूक मां-बाप को पड़ रही भारी! फोन की निगरानी जरूरी

Lucknow: बदलते समय के साथ समाज में लोगों का रहन-सहन भी बदल रहा है, जहां लोग फोन तक ही सीमित होते जा रहे हैं। वह बातचीत के साथ-साथ मनोरंजन व अन्य जरूरतों की पूर्ति के लिए फोन पर ही निर्भर होते जा रहे हैं। लेकिन, इसका सबसे चिंताजनक प्रभाव बच्चों पर देखने को मिल रहा है। जो बाहरी गतिविधियों के बजाय फोन पर ही ज्यादा समय बिताते हैं, उनकी यही आदत उन्हें अपने मां-बाप से दूर करती जा रही है और अपनी समस्याओं को किसी से शेयर करने से बचते हैं। जिसका खामियाजा बाद में उनके परिजनों को भुगतना पड़ता है।

दरअसल, बीते कुछ सालों में कम उम्र में बच्चों की आत्महत्या करने की घटनाएं बढ़ीं हैं। जिनमें ज्यादातर बच्चे किशोरावस्था से गुजर रहे थे। यह वही समय होता है जब बच्चों को किसी भी सांचें ढाला जा सकता है। यानी उनका व्यक्तित्व निर्माण की शुरुआत इसी उम्र से होती है। बच्चे जैसे वातावरण में रहते हैं उसके अनुसार उनकी आदतें होती जाती हैं। इस समय पर मां-बाप की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। उनकी अनदेखी या लापरवाही उन्हें अपनी ही औलादों से दूर करने लगती है। यूं कहें कि बच्चों के व्यवहार को न समझ पाना किसी बड़े खतरे को इशारा होती है। इसका ताजा उदाहरण- लखनऊ में 13 साल के यश की आत्महत्या की घटना है। उसने यह खौफनाक कदम ऑनलाइन गेमिंग में पिता के 14 लाख रुपये गंवाने के बाद उठाया है। सबसे हैरान करने वाली बात यह कि परिजनों को इस बात की भनक तक नहीं लगी कि उनका बेटा ऑनलाइन गेमिंग के मकड़जाल में फंस चुका है।

मृतक यश के परिजनों का कहना है कि उनका बेटा कुछ दिनों से सही से बात नहीं कर रहा था। लेकिन, उसके बदले व्यवहार से वह समझ नहीं सके कि उसे कोई बात परेशान कर रही है। यश के पिता सुरेश कह रहे हैं कि पैसे तो आते-जाते रहते हैं, लेकिन बेटा अब लौटकर वापस नहीं आएगा। अगर यश ने उन्हें अपनी परेशानी के बारे में कभी नहीं बताया। यह घटना एक परिवार के लिए बेहद तकलीफ देने वाली है। हालांकि, उन परिजनों के लिए सबक है जो अपने बच्चों पर नजर नहीं रखते। उन्हें यह जानने की कभी फुर्सत तक नहीं मिलती कि उनके बच्चे क्या कर रहे हैं? अपने फोन में क्या देख रहे हैं? उनकी दोस्ती कैसे लोगों के साथ है? इन सवालों की गंभीरता को समझना बेहद जरूरी है, जिससे आपको अपने बच्चे की तकलीफ को न समझने का मलाल न रह जाए।

जासूसी न करें, पर निगरानी रखें

आमतौर पर लोग बच्चों की जिद पर उनके वयस्क होने से पहले ही फोन दे देते हैं, लेकिन इसके बाद वह एक बार भी इस बात को जानने की कोशिश नहीं करते हैं कि बच्चा फोन का किस तरीके से इस्तेमाल कर रहा है। ज़्यादातर मामलों में बच्चे फोन का इस्तेमाल सोशल मीडिया चलाने या फिर गेमिंग के लिए करते हैं। वहीं, ऑनलाइन गेमिंग में बच्चों द्वारा मां-बाप की कमाई गंवाने के सैकड़ों मामले सामने आ चुके हैं। फिर लोग इनसे सबक लेने की वजह बच्चों से सवाल करने या उनके फोन चेक करने की कोशिश नहीं करते। यह बच्चों की जासूसी करना नहीं, बल्कि उन्हें किसी तरह की मुसीबत से बचाए रखने की सावधानी बरतना है।

---------------------------------------------------------------------------------------------------