” कैंसर से घबरायें नहीं,यह अब लाइलाज नहीं”—- राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस 7 नवंबर 2025 पर विशेष


बरेली,06 नवंबर। कैंसर का नाम ही इसकी भयावहता को बताने के लिए काफी है। कैंसर पीड़ित होने की जानकारी पर मरीज बीमारी से लड़ने की हिम्मत हार जाते हैं। यही हाल घरवालों का भी होता है। हालांकि कुछ लोग इस बीमारी से लड़ते हैं और जीतते भी हैं। मुस्कुराकर फिर अपनी स्वस्थ जिंदगी गुजारते हैं, जैसे कभी कुछ हुआ ही न हो। राष्ट्रीय कैंसर जागरुकता दिवस के अवसर पर आपकी मुलाकात आज ऐसे ही कुछ योद्धाओं से कराते हैं जिन्होंने लड़कर कैंसर पर जीत हासिल की। ये कोई सेलिब्रिटी नहीं, जो विदेश गए हों और महंगा इलाज करा कर स्वस्थ हुए हों। यह आपके आसपास के ही आम लोग हैं। जिन्होंने बरेली में ही रहकर एसआरएमएस इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज के आरआर कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर में इलाज कराया और जानलेवा समझी जाने वाली बीमारी कैंसर को मात दी। 2007 में स्थापित होने के बाद से आरआर कैंसर इंस्टीट्यूट 35 हजार से अधिक कैंसर पीड़ितों का इलाज कर चुका है। यह सेंटर रुहेलखंड रीजन और आसपास के इलाके में एक बड़ा सेंटर बन चुका है। जहां उत्तराखंड, नेपाल तक से मरीज अपना इलाज कराने आते हैं।
“कैंसर से डरें नहीं, बस जागरुक रहें।
कैंसर लाइलाज नहीं, बस जागरूकता की कमी से लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है। शुरुआती चरणों में पूरी तरह से इस भयानक बीमारी पर काबू करना संभव है। लेकिन इसकी जांच के लिए बायोप्सी कराने से डरना। रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी को लेकर गलत धारणाओं से लोग इसके इलाज से बचते हैं। इस लापरवाही से यह बीमारी अंतिम चरण में पहुंच कर लाइलाज हो जाती है। यदि समय से जांच और इलाज कराया जाए। तो इसे प्रारंभिक अवस्था में ही पकड़ा जा सकता है और इसका पूर्ण इलाज संभव है। एसआरएमएस मेडिकल कॉलेज स्थित आरआर कैंसर इंस्टीट्यूट में आरंभिक चरण में ही सभी प्रकार के कैंसर की पहचान और इसका संभव है। हजारों मरीज यहां से स्वस्थ होकर सामान्य और कैंसर से बेखौफ जीवन बिता रहे हैं।” -डा.पियूष कुमार अग्रवाल, डायरेक्टर, आर.आर.कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर बरेली। बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट

