बिहार चुनाव की पावर रही महिला वोटर्स, इतने हैं कारण

पटना: बिहार (Bihar) विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) 2025 का नतीजा आते ही तय होगा कि अगला मुख्यमंत्री (Chief Minister) कौन होगा और कौन सी पार्टी सत्ता में आएगी. लेकिन इस बार चुनावी कहानी सिर्फ पार्टियों और जातियों तक सीमित नहीं रही है. सबसे बड़ा बदलाव महिला मतदाताओं और युवाओं की भूमिका में देखने को मिला है. यही कारण है कि अब चुनाव के नतीजे इन्हीं वोटरों के इर्द-गिर्द घूमते दिख रहे हैं.
बीते दशकों में बिहार में चुनाव अक्सर जातिगत समीकरणों और पुराने गठबंधनों पर आधारित होते थे. लेकिन 2025 में महिलाओं ने निर्णायक भूमिका निभाई. चुनाव आयोग के आंकड़े बताते हैं कि कई क्षेत्रों में महिला मतदान प्रतिशत पुरुषों के बराबर या उससे ज्यादा (कुछ जगहों पर 60% तक) रहा है. सरकारी योजनाओं जैसे मुफ्त साइकिल, छात्रवृत्ति और महिलाओं के लिए नकद लाभ ने उन्हें सीधे राजनीतिक प्रक्रिया से जोड़ा है. कह सकते हैं कि अब महिलाएं केवल एक सहायक मतदाता समूह नहीं, बल्कि निर्णायक ताकत बन गई हैं.

बिहार की आबादी का बड़ा हिस्सा 35 साल से कम उम्र का है. पहली और दूसरी बार वोट देने वाले युवा मतदाता रोजगार, शिक्षा और अवसरों को लेकर राजनीतिक पार्टियों से अपेक्षाएं रखते हैं. इस बार पार्टियों ने MY यानी ‘महिला-युवा’ पर फोकस किया है. मुस्लिम और यादव का चुनावी प्रभाव अब भी मौजूद है, लेकिन उसका स्वरूप बदल गया है. अब पार्टियां केवल जाति या धर्म के आधार पर नहीं, बल्कि कल्याणकारी योजनाओं, रोजगार और शिक्षा पर जोर दे रही हैं. महिलाओं और युवाओं के बढ़ते प्रभाव ने पुरानी सामाजिक और राजनीतिक पहचान के महत्व को संतुलित किया है.
महिला और युवा दोनों ही स्थिरता, अवसर और सुरक्षा चाहते हैं. उनके लिए शासन का मतलब सिर्फ प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व नहीं, बल्कि प्रत्यक्ष लाभ होना चाहिए. यही कारण है कि पार्टियां अब अपने एजेंडे में विकास, कल्याण और रोजगार पर जोर दे रही हैं. यह बदलाव न केवल मतदाताओं की प्राथमिकताओं को दर्शाता है, बल्कि राजनीतिक रणनीतियों को भी नया आकार दे रहा है. इस बार सभी प्रमुख दलों ने महिला और युवा मतदाताओं को अपने अभियान का केंद्र बनाया है. सत्तारूढ़ गठबंधन ने महिला कल्याण और छात्रवृत्ति योजनाओं को प्रमुखता दी, जबकि विपक्षी दल युवाओं के रोजगार और पलायन रोकने की बात कर रहे हैं. वहीं उम्मीदवारों की सूची में महिला प्रतिनिधियों की संख्या भी बढ़ी है.

