अभिनेत्री श्रेणु पारिख ने कहा— “कई पौराणिक शो जहां सिर्फ भव्यता पर ध्यान देते हैं,

मुंबई, अक्टूबर 2025: सोनी सब का ‘गाथा शिव परिवार की– गणेश कार्तिकेय’ दर्शकों को भगवान शिव (मोहित मलिक), माता पार्वती (श्रेणु पारिख), और उनके पुत्र भगवान गणेश (एकांश कठरोतिया) एवं भगवान कार्तिकेय (सुभान खान) की दिव्य दुनिया में एक भावनात्मक और आध्यात्मिक यात्रा पर ले जाता है। यह शो पौराणिकता को भावनाओं से खूबसूरती से जोड़ता है, और इस अलौकिक परिवार के रिश्तों, चुनौतियों और सीखों को दर्शाता है। श्रेणु का माता पार्वती के रूप में भावपूर्ण और संतुलित अभिनय – जिसमें शक्ति, सौम्यता और मातृत्व की गरिमा है – दर्शकों द्वारा खूब सराहा जा रहा है।
श्रेणु पारिख ने एक स्पष्ट बातचीत में, अपने इस किरदार की यात्रा, तैयारी और अनुभवों को साझा किया जो उन्होंने इस भूमिका को निभाते हुए महसूस किए।
आपने माता पार्वती की भूमिका निभाने के लिए हाँ क्यों कहा?
मुझे हमेशा ऐसे किरदारों की ओर आकर्षण रहा है, जिनमें शक्ति, सौम्यता और भावनात्मक गहराई हो — और माता पार्वती में ये सब खूबियाँ पूरी तरह से हैं। जब मुझे यह भूमिका ऑफर हुई, तो मैं उत्साहित भी थी और जिम्मेदारी का एहसास भी था। एक ऐसे देवी स्वरूप को निभाना जो व्यापक रूप से पूजनीय है, एक दुर्लभ अवसर है, और यह मेरे लिए एक कलाकार के रूप में चुनौतीपूर्ण था। पहले तो निर्णय लेना आसान नहीं था, लेकिन जब मैंने किरदार की गहराई और शो के दृष्टिकोण को समझा, तो मुझे लगा यह मौका नहीं गंवाना चाहिए। विकास वहीं होता है जहां आप अपने कम्फर्ट ज़ोन से बाहर आते हैं, और इस किरदार ने मुझे भावनात्मक, आध्यात्मिक और कलात्मक रूप से आगे बढ़ाया।
‘गाथा शिव परिवार की – गणेश कार्तिकेय’ अन्य पौराणिक शोज़ से कैसे अलग है?
अधिकतर पौराणिक शो भव्यता और दृश्य प्रभावों पर केंद्रित होते हैं, लेकिन यह शो दिव्यता के साथ-साथ इंसानी भावनाओं को भी सामने लाता है। यह परिवार के भीतर प्रेम, संघर्ष और रिश्तों को उजागर करता है, जिससे दिव्य पात्र भी दर्शकों को करीब और सजीव लगते हैं। इसकी कहानी में जीवन के पाठ और भावनात्मक उतार-चढ़ाव होते हैं, जिससे लोग आसानी से जुड़ जाते हैं — यही बात इसे आज के टीवी शोज़ में अलग बनाती है।
माता पार्वती की भूमिका के लिए आपने किस तरह की तैयारी की? क्या कोई विशेष रिसर्च या प्रशिक्षण लिया? यह एक गहन और अनुभवात्मक तैयारी थी। मैंने जानबूझकर पुराने विज़ुअल रेफरेंसेज़ से दूरी बनाई ताकि किरदार में ताजगी और मौलिकता लाई जा सके। इसके बजाय, मैंने शिव-शक्ति की कहानियों को गहराई से पढ़ा ताकि पारिवारिक संबंधों और पौराणिकता को समझ सकूं। हमने कई वर्कशॉप्स भी कीं, जिससे किरदार की समझ और बढ़ी। विशेष रूप से वे एपिसोड जहां पार्वती को दिल टूटने, आशा और दंडपाणि के निर्माण का अनुभव होता है — ये बहुत चुनौतीपूर्ण थे क्योंकि मुझे उनकी भावनाओं को भीतर तक महसूस करना पड़ा। इन दृश्यों पर काम करना कठिन लेकिन अत्यंत संतोषजनक रहा।
पार्वती अत्यंत शक्तिशाली और सौम्य देवी हैं। आप उनसे जीवन में कैसे जुड़ाव महसूस करती हैं?
मुझे उनकी शांतता और धैर्य से गहरा जुड़ाव है। मैं भी जीवन में चुनौतियों का सामना संयम और करुणा के साथ करना पसंद करती हूं। सेट पर और रोज़मर्रा की ज़िंदगी में भी, मैं उनके ज्ञान और प्रेम के संतुलन को अपनाने की कोशिश करती हूं। हम चाहे दिव्य परिस्थितियों में न हों, लेकिन पार्वती के पोषक, बुद्धिमान और मजबूत स्वभाव को मैं अपने जीवन में उतारने की कोशिश करती हूं।
सेट और कॉस्ट्यूम्स इतने खूबसूरत हैं — क्या ये किरदार में उतरने में मदद करते हैं?

बिलकुल। माता पार्वती के लिए मेरी लुक तैयार करने का काम शूटिंग से एक महीने पहले ही शुरू हो गया था। कई लुक टेस्ट्स हुए, और मेकअप भी बहुत हल्का रखा गया ताकि पोशाक और आभूषण की शोभा उभर सके। जब मैं कॉस्ट्यूम पहनती हूं और सेट की भव्यता देखती हूं, तो एकदम से उनकी ऊर्जा और आभा महसूस होती है। हर विज़ुअल एलिमेंट — आभूषण से लेकर पृष्ठभूमि तक — मुझे उनके शालीन, शक्तिशाली और संतुलित रूप को सहजता से निभाने में मदद करता है।
पौराणिक शो में विशेष मुद्राएं, संवाद अदायगी और हाव-भाव की जरूरत होती है। आप इसकी रोज़ाना कैसे प्रैक्टिस करती हैं?
हर दिन मैं कुछ समय मुद्राओं, हाव-भाव और संवाद अदायगी की प्रैक्टिस में देती हूं ताकि किरदार में निरंतरता बनी रहे। सेट से बाहर भी मैं पार्वती की शांति और गरिमा बनाए रखने की कोशिश करती हूं। यह सतत अभ्यास मुझे शूटिंग के दौरान उनके स्वरूप में पूरी तरह ढलने में मदद करता है।
शूटिंग से पहले किरदार में उतरने के लिए आपका कोई विशेष रिवाज़ या तरीका है?
मेरे लिए ध्यान और आत्मचिंतन सबसे ज़रूरी हैं। शूटिंग से पहले मैं कुछ मिनट खुद को केंद्रित करती हूं और पार्वती की भावनाओं और सोच को महसूस करने की कोशिश करती हूं। यह अभ्यास मुझे उनके भावनात्मक पहलुओं से जुड़ने में मदद करता है और मेरे प्रदर्शन को ईमानदार और दिव्य बनाता है।
मोहित मलिक, एकांश और सुब्हान के साथ आपकी ऑफ-स्क्रीन केमिस्ट्री कैसी है? क्या सेट पर मस्ती भी होती है जो ऑनस्क्रीन नज़र आती है?
हमारे सेट पर बहुत गर्मजोशी और मस्तीभरा माहौल रहता है। हम हँसते हैं, कहानियां साझा करते हैं और एक-दूसरे को सपोर्ट करते हैं, जिससे एक पॉजिटिव एनर्जी बनी रहती है। यही दोस्ताना रिश्ता हमारी ऑन-स्क्रीन बॉन्डिंग में भी झलकता है। परिवार जैसा जो एहसास स्क्रीन पर आता है, वो हमारे असली रिश्तों से उपजा है।
कोई ऐसा सीन या सीक्वेंस है जिसे आप दर्शकों को दिखाने के लिए सबसे ज़्यादा उत्साहित हैं?
दंडपाणि का शिरोच्छेद वाला सीन मेरे लिए सबसे गहन अनुभवों में से एक रहा है। उस पल में पार्वती का मातृ ह्रदय टूटता है — उस दुख, विवशता और पीड़ा को दर्शाना बेहद भावनात्मक था। फिर भी मुझे उनकी दिव्यता और संयम को बनाए रखना था। यह एक बेहद परतदार सीन था, जिसमें उनका निस्वार्थ प्रेम और शक्ति एक साथ दिखता है। मुझे लगता है कि दर्शक इस सीन से गहराई से जुड़ेंगे और पार्वती को एक देवी और एक संवेदनशील मां — दोनों रूपों में देख पाएंगे।
‘गाथा शिव परिवार की – गणेश कार्तिकेय’ देखना न भूलें,
हर सोमवार से शनिवार रात 8 बजे, सिर्फ सोनी सब पर

